Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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नकुलीश
नकुलीश पाशुपत दर्शनकार इसका कारावन से संबंध आया था ( लकुलिन् देखिये) ।
प्राचीन चरित्रकोश
नक्त—(स्वा. प्रिय. ) पृथुषेण राजा का पुत्र । इसकी माता का नाम आकुति । द्वति नामक पत्नी से इसे गय नामक पुत्र हुआ था ( भा. ५. १५.६ ) ।
नखवत् (भविष्य) वायु के मतानुसार मथुरा में राज्य करनेवाला एक राजा ।
२. (भविष्य. ) ब्रह्मांड के मतानुसार वैदेश का एक नागवंशीय राजा |
नग - शत्रुध्न का सेनापति । नगरिन जानतेय उदित होमवादी एक आचार्य (ऐ. बा. ५.३० ) । इसका पूरा नाम नगरिन् जानतेय काय था (जे. उ. प्रा. ३. ४०. २ ) | सायण ने नगरिन् का अर्थ ' नगर में रहनेवाला यों किया है। इसका ऐकदिशाक्ष मानुतंतव्य के साथ निर्देश कई जगह प्राप्त है ।
नगृहू - नग्रह देखिये ।
ननक एक निषाद शातिसमुदाय अमृत लाने गये गरूड़ ने, क्षुधाशमनार्थ पृथ्वी पर के कई निषाद ला लिये । पश्चात् गलें में जलन होने के कारण, खाये हुएँ सारे निषाद उसने बाहर उगले ( गरूड़ देखिये) ।
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गरुड़ ने उगले हुएँ वे निषाद छन गये। उनमें से आग्नेय दिशा की ओर जो निषाद गिरे, उन्हे 'नक' नाम प्राप्त हुआ (पद्म. सु. ४७ ) । नग्नजित्——गांधार देश का एक क्षत्रिय राजा, एवं कृष्ण की पत्नी सत्या का पिता । यह 'इषुपाद' नामक दैत्य के अंश से उत्पन्न हुआ था (म. आ. ६१.२१ पापजित् पाठ ) । कर्ण के दिग्विजय में, उसने इसका पराभव किया था (म. व. परि. १.२४.७० ) ।
भगवान् श्रीकृष्ण ने नमजित् के समस्त पुत्रों को पराजित किया था ( म.उ. ४० ६९ ) । भारतीय में यह कौरवों के पक्ष में था।
युद्ध
नचिकेतस्
नग्नजित् गांधार -- गांधार देश का एक यज्ञवेत्ता राजा । पर्वत एवं नारद ने इसकी राजगद्दी पर प्रतिष्ठापना की थी ( ऐ. ब्रा. ७. ३४ ) । ' शतपथ ब्राह्मण' में अपने स्वर्जित नामक पुत्र के साथ इसका उल्लेख प्राप्त है (श. बा. ८.१.४.१० ) । उस ग्रंथ में, संस्कार विषयक इस राजा के किसी वक्तव्य का व्यंग्योक्तिपूर्ण दृष्टि से निर्देश किया गया है।
२. एक वास्तुशास्त्रज्ञ । इसने वास्तुशास्त्र पर एक ग्रंथ लिखा था ( मस्त्य. २५२ ) ।
नचक्षु - ( सो.) भविष्यमत में मषपाल का शिष्यं । नचिकेतस - कग्वेदकालीन सुविख्यात ऋषिकुमार | यह वाजश्रवसू का पुत्र एवं एक 'गोतम' था (ते. बा. : ३.११.८ ) । कठोपनिषद में इसे बाजश्रवसू के साथ उद्दालक का पुत्र भी कहा गया है (कं. उ. १.११ १. ११) । उद्दालक के पुत्र होने के कारण, एवं ' आरुणि उद्दालकि ' दोनों एक ही थे, ऐसा निर्देश महाभारत में प्राप्त है (म. अनु. ७१) किंतु यह मत सर्वा असंभव एवं प्रसिद्ध आरुणि सेनति का संबंध लगाने के उद्देश्य से प्रसृत किया गया प्रतीत होता है ।
ऋग्वेद के सुविख्यात 'यमसूक्त' में, 'कुमार' नाम से संशोधित किया गया ऋषिकुमार नचिकेतस ही है ऐसा सायणाचार्य का कहना है (ऋ. १०.१३५) | का पुत्र नचिकेत अपने पिता की आशा के अनुसार यम के पास गया, एवं यम को प्रसन्न कर वापस आया । यह भांडारकर संहिता में इसके नाम के लिये 'पाप जित्' कथा नचिकेतस् के नाम का स्पष्ट निर्देश न करते हुए, उस पाठभेद उपलब्ध है।
सूक्त में दी गयी है ।
३. प्रल्हाद का शिष्य, एक दैत्य । पृथ्वी पर, राजा
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'सुबल' नाम से इसने अवतार लिया था ।
'नमजित् गांधार,' यह एक ही व्यक्ति मान कर ' शतपथ ब्राह्मण' एवं 'ऐतरेय ब्राह्मण' में इसका निर्देश किया गया है । फिर भी सायणाचार्य 'नग्नजित् ' एवं 'गांधार' को दो अलग व्यक्तियाँ मानते है । 'शतपथ ब्राह्मण के जिस परिच्छेद में इसका निर्देश आया है, वहाँ अनेक राजाओं के ही नाम इकडे दिये गये हैं । उनमें से प्रत्येक व्यक्ति अलग मान कर अर्थ किया जाये, तो वह यथार्थ नहीं होगा।
नग्नहू--नग्रहू देखिये ।
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नग्रहू - एक ऋषिक ( वायु. ५९.९२ - ९४ ) । इसके. 'नमहू' एवं 'नगृहू ' नामांतर भी प्राप्त हैं ( मत्स्य. १४५.९५ ९९ १.२२.१०१-१०३ ) ।
नचिकेतस का यह आख्यान विस्तृत रूप से तैतिरीय ब्राह्मण में दिया गया है। नचिकेतस का पिता उद्दालक
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'विश्वजित् ' नामक यज्ञ कर रहा था। नचिकेतस् उम्र से - छोटा हो कर भी, बड़ा ही परिणतप्रज्ञ एवं श्रद्धावंत था ।
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