Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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प्राचीन चरित्रकोश
(५) पराशर नितिश की टिल्य ने इसका निर्देश केवलसार तथा एक ग्रंथ और भी पराशर ने लिखा
किया है।
था।
पराशर
ज्योतिषशास्त्रकार -- सिद्धांत, होरा एवं संहिता इन तीन स्कंधों से युक्त ज्योतिषशास्त्र के प्रवर्तक अठारह ऋषियों में पराशर प्रमुख था । ज्योतिषशास्त्रकार अठारह ऋपियों के नाम इस प्रकार है— सूर्य, पितामह, व्यास, वसिष्ठ, अत्रि, पराशर, कश्यप, नारद, गर्ग, मरीचि, मनु, अंगिरा, लोमश, पौलिश, च्यवन, यवन, भृगु एवं शौनक ( कश्यप संहिता)। अपने ज्योतिषशास्त्रीय ग्रंथों में, पराशर ने 'वसंत संपात' स्थिति का निर्देश किया है ।
पराशर के ज्योतिषशास्त्रीय ग्रंथ इस प्रकार है( १ ) परागरसंहिता - इस ग्रंथ में, पराशर ने प्रयोतिषशास्त्र से संबंधित निम्न पूर्वाचायों का निर्देश किया है:- ब्रह्मा मायारुण, वसिष्ठ, मांडव्य, वामदेव । पराशर के ज्योतिषशास्त्रीय शिष्यों में मैत्रेय एवं कौशिक प्रमुख थे।
आयुर्वेदशास्त्रज्ञ - पराशर एक आयुर्वेदशास्त्रज्ञ मी था । यह अग्निषेश मेल, काश्यप एवं खण्डकाप्य इन आयुर्वेदाचार्यों से समकालीन था । पराशर के नाम पर निम्नलिखित आयुर्वेदीय ग्रंथ प्राप्त हैं। -- ( १ ) पराशरतंत्र, (२) वृद्धपराशर, (३) हस्तिआयुर्वेद, (४) गोलक्षण, (५)
( ४ ) वेतपराशर - इस वंश के प्रमुख कुल: -- इषी
(२) बृहत्पाराशरहोराशा - इस ग्रंथ में १२००० कहस्त उपय (ग), बालय (ग), आविश्वायन, स्वाव श्लोक है ।
(ग)।
( ३ ) लघुराराशरी
। पुराण इतिहास पराशर पुराण एवं इतिहास शास्त्र में भी पारंगत था । पुराण ग्रंथो में, 'विष्णु पुराण' सारस्वत ने पराशर को एवं पराशर ने अपने शिष्य मैत्रेयको बताया था। विष्णु पुराण में, पराशर को इतिहास एवं पुराणों में विश कहा गया है ( विष्णु. १. १) । 'भागवत पुराण' भी सांख्यायन ऋपिद्वारा पराशर एवं बृहस्पति को सिखाया गया, एवं वह पराशर ने मैत्रेय को सिखाया ( भा. ३.८ ) । पराशर के नाम पर 'पराशरोप पुराण' नामक एक पुराण ग्रंथ उपलब्ध है । माधवाचार्य ने उसका निर्देश किया है।
पराशर
पराशर वंश -- पराशर के वंश की कुल छः उपशाखायें उलब्ध है। उनके नाम:- १. गीरपराशर, २. नीलपराशर २. कृष्णपराशर, ४. वेतपराशर, ५. श्यामपराशर, ६. धूम्राराशर ( मल्य. २०० ) ।
( १ ) गौरपराशर -- इस वंश के प्रमुख कुल:- कांडय ( कांडशय ), गोपालि, जैाप (समय), भौमतापन समतापन ), वाहनप ( वाहयौज ) ।
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( २ ) नीलपराशर -- इस वंश के प्रमुख कुल:--केतु जातेय, सातेय (ग) प्रपोहय ( ग ), वामय हवंय
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( ४ ) पाराशर्यकल्प — विमानविद्या पर महाग्रंथ, क्रोधनायन, क्षमि, बादरि, वाटिका, स्तंत्र ।
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पराशरपरंपरा के किसी ध्यासने लिखा है।
अन्य ग्रंथ - - पराशर के नाम पर पराशर वास्तुशास्त्र ' नामक एक वास्तुशास्त्र विषयक एक ग्रंथ भी उपलब्ध है | विश्वकर्मा ने उसका निर्देश किया है।
'पराशर
(३) कृष्णपराशर -- इस वंश के प्रमुख कुल:-- कपिमुख (मपिश्ववम्) (ग), कायस्थ (काव्य) ( ग ), कार्ष्णायन ( ग ), जपातय ( ख्यातपायन ) ( ग ), . पुष्कर ।
( ५ ) श्यामपराशर - इस वंश के प्रमुख कुल :
(६) धूम्रपत्र- इस वंश के प्रमुख कुल खल्यायन (ग), तंति (जर्ति), तैलेय, यूथप, एवार्ष्णायन ।
उपनिर्दिष्ट वंशो में से, 'गौरपराशर वंश के लोग वसिष्ठ, मित्रावरुण एवं कुंडिन इन तीन प्रवरों के हैं। बाकी सारे वंश के लोग पराशर, वसिष्ठ एवं शक्ति इन तीन प्रवरों के हैं ।
२. एक ऋग्वेदी श्रुतर्षि, ऋषिक एवं ब्रह्मचारी । यह व्यास की शिष्यपरंपरा में से बाध्य ऋषि का शिष्य था । इसके नाम से इसकी शाखा को 'पराशरी' नाम प्राप्त हुआ
२. वायु एवं ब्रह्मांड के अनुसार, व्यास की सामशिष्यपरंपरा में से हिरण्यनाभ ऋषि का शिष्य । ब्रह्मांड में इसके नाम के लिये पाराशय पाठभेद प्राप्त है। '
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४. व्यास की सामशिष्यपरंपरा में से कुकुमि ऋपिका शिष्य ।
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५. ब्रह्मांड के अनुसार, व्यास की यजुः शिष्यपरंपरा में याज्ञवल्क्य का बाय शिष्य ( व्यास देखिये) । ६. ऋयम नामक शिवावतार का शिष्य ।
७. धृतराष्ट्र के वंश में उत्पन्न एक नाग, जो जनमेजय के सर्पसत्र में स्वाहा हो गया ( म. आ. ५२.१७ ) ।
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