Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
View full book text
________________
निशठ
मृत्यु के पश्चात्, यह विश्वेदेवों में विलीन हो गया (म. स्व. ५.१६ ) ।
२. यमसभा में रह कर, सूर्यपुत्र यम की उपासना करनेवाला एक प्राचीन राजा ( म. स. ८.९०७)।
प्राचीन चरित्रकोश
निशा - भानु (मनु) नामक अग्नि की तीसरी पत्नी । इसने आने एवं सोम नामक दो पुत्र एवं रोहिणी नामक कन्या को जन्म दिया था। उनके अतिरिक्त इसे पाँच अभिस्वरूप पुत्र भी थे। उनके नाम-वैश्वानर विश्वपति, संनिहित, कपिल, एवं अग्रणी ।
निशाकर -- गरुड़ के प्रमुख पुत्रों में से एक ( म.उ. ९९.१४) ।
निशुंभ-- शुंभ असुर का भाई, एवं जालंधर दैत्य का सेनापति (शुंभनिशुंभ देखिये) । इंद्र की अमरावती जीतने के बाद, जालंधर ने इसे युवराज्याभिषेक किया था (पद्म. उ. ८ ) । चंडिका देवी ने इसका वध किया ( [मार्क] ८६.२२) ।
निसुंद
निषधाश्व - - (सो. अज. ) एक राजा । भागवत के अनुसार, यह कुरु राजा का पुत्र था।
निषाद - ( स्वा. उत्तान. ) एक म्लेच्छ राजा । यह मृत्यु की मानसी कन्या सुरथा का पौत्र एवं वेन राजा का पुत्र था । वेन राजा की मृत्यु के पश्चात्, ऋषियों ने उसके दाहिने जाँघ का मंचन किया। उस मंथन के कारण, एक 'हस्वाकार' एवं कृष्णवर्ण पुरुष बाहर निकला । ऋषियों ने उसे कहा, 'निधीद (बैठ जाओ ) ' उस कारण उस पुरुष का नाम 'निषाद हो गया। आगे चलकर इससे वन में रहनेवाले 'निवाद' नामक म्लेच्छ जाति की उत्पत्ति हुयी ( म. शां. ५९.१०३; भा. ४.१४.४५; वेन देखिये) । २. एक जाति (तै. सं. ४.५.४.२ फा. सं. १७. १३: ऐ. बा. ८.११) । संभवतः आधुनिक मिल लोग यही होंगे। इनके एक ग्राम का एवं ' स्थपति' (नेता). का उल्लेख प्राप्त है (ला. श्री. ८.२.८ ) ।
३. एक राजा । यह कालेय एवं फोधता नामक दै के अंश से उत्पन्न हुआ था ( म. आ. ४८.६१ ) | निष्कम्प - रौच्य मन्वंतर के सप्तर्षिओं में से एक। निष्किरीय- एक वैदिक पुरोहितवर्ग का सामूहिक नाम (पं. बा. १२.५.१४ ) ।
२. नरकासुर के चार प्रमुख राज्यपालों में से एक । यह भूतल से ले कर देवयान तक का मार्ग रोक कर खड़ा रहता था । श्रीकृष्ण ने इसका वध किया ( म. स. परि. १.क्र. २१. पंक्ति. १५३६ ) ।
निश्चक्र - - (सो.) एक राजा । भविष्य के अनुसार यह यशदत्त राजा का पुत्र था। इसने एक सहस वर्ष तक राज्य किया ।
निश्चर — धर्मसावर्णि मन्वन्तर के सप्तर्षिओं में से
निष्कुटिका की अनुचरी मातृका (म. श. ४५.१२) ।
निष्कृति -- एक अग्नि । यह निश्च्यवन का पुत्र था, एवं इसे 'विपात्मन् ' नामांतर था। लोगों को संकट से ' निष्कृति' (छुटकारा ) दिलाने के कारण, इसे निष्कृति नाम प्राप्त हुआ । इसका पुत्र स्वन ( म. व. २०९.१४; विपाप्मन् देखिये) ।
निष्टानक - कश्यप एवं कद्रू से उत्पन्न एक नाग ।
एक ।
२. बृहस्पतिपुत्र निश्चवन का नामांतर । निश्च्यवन -- बृहस्पति के तारा में उत्पन्न सात पुत्रों में से एक । यह अग्नि के समान यश, वर्चस् एवं कान्तियुक्त था। यह निष्पाप, निर्मल, विशुद्ध एवं तेजःपुंज था. इसके पुत्र का नाम विपाप्मन् या निष्कृति था ( म. व. २०९. १२ ) । इसके पौत्र का नाम सत्य था ।
२. स्वारोचिप मन्वन्तर के सप्तर्षिों में से एक । निषंगिन - ( सो. कुरु. ) धृतराष्ट्र के शतपुत्रों में से एक भीम ने इसका वध किया (म. क्र. ६२.५ ) । निषध -- (सू. इ. ) अयोध्या का एक राजा । यह अतिथि राजा का पुत्र था ।
२. (सो. पूरु. ) भरतवंशी कुरु राजा का पौत्र, एवं जनमेजय राजा के चार पुत्रों में से चौथा पुत्र (म. आ. ८९.५० ) । यह धर्म, अर्थ में कुशल, एवं समस्त प्राणिमात्रों के हित में संलग्न रहता था ( म. आ. ९.५० ) ।
३७२
निष्ठुर -- एक व्याध | कार्तिक माह में, चंद्रशर्मा नामक ब्राह्मण से ' दीपमाहात्म्य' सुनने के कारण, इसे मुक्ति मिल गयी (स्कंद. २.४.७ ) ।
२. अत्रिकुल का एक मंत्रकार । इसे ' गविष्ठर ' भी कहते थे ।
निष्ठुरिक-एक कश्यप वंशी नाग (म.उ. १०१० १२ ) ।
निष्प्रकम्य - रौच्य मन्वंतर के सप्तर्षियों में से
एक ।
निसंदि -- एक असुर ( वा. रा. उ. २२.२५ ) ।' निसुंद-नरकासुर के परिवार में से एक दैत्य । यह श्रीकृष्ण द्वारा मारा गया ( म. व. १३.२६ ) ।