Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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धृतराष्ट्र
प्राचीन चरित्रकोश
धृति
यही देवगंधर्व भूतल पर धृतराष्ट्र राजा के रूप में उत्पन्न | पांडवों के अश्वमेध यज्ञ के समय. अर्जन ने त्रिगर्त हुआ था (म. स्व. ४.१२)।
देश पर हमला किया। तत्पश्चात् संपन्न हुए युद्ध में, • ५. जनमेजय पारिक्षित (प्रथम) राजा का पुत्र, एवं त्रिगत देश का राजा सूर्यवर्मा पराजित हुआ, एवं उसका भरतवंशी पूरु राजा का पौत्र (म. आ. ८९.४९)। जन- भाई केतुवर्मा मारा गया। उस अवसर पर, सूर्यवर्मा मेजय के पश्चात् यह राजगद्दी पर बैठा । ये कुल आठ एवं केतुवर्मा का भाई धृतवर्मा, अर्जुन के साथ युद्ध भाई थे। उनके नामः- पांडु, बाहीक, निषध, जांबूनद, करने के लिये स्वयं आगे वढा । इसने अर्जुन पर बाणों कुंडोदर, पदाति, एवं वसाति । इसे 'कुण्डिक' आदि की वर्षा की । इसके तेजस्वी बाण से अर्जुन के हाथ में पुत्र थे (म. आ. ८९.४९-५०)। उनके नामः- गहरी चोट लगी, एवं गाण्डीव धनुष उसके हाथ से गिर कुण्डिक, हस्तिन् , वितर्क, नाथ, कुण्डुल, हविःश्रवस् , गया । पश्चात् रोष से भरे हुए अर्जुन ने धृतवर्मा पर बाणों इंद्राभ, सुमन्यु, अपराजित ।
की वर्षा की । धृतवर्मा को बचाने के लिये त्रिगर्त योद्धाओं ६. कश्यप एवं दनु का पुत्र । ।
ने अर्जुन पर एकसाथ हमला किया। किंतु अर्जुन ने ७. पाथुश्रवस का नामांतर (जै. उ. ब्रा. ४. २६. अठारह त्रैगर्त वीरों को मार कर, युद्ध में विजय संपादन १५; पार्थश्रवस देखिये)।
किया । पश्चात् धृतवर्मा आदि सारे त्रिगर्त, दास बन कर धृतराष्ट्र ऐरावंत--एक सर्पदैत्य । धृतराष्ट्र इसका | अर्जुन की शरण में आये (म. आश्व. ७३.१६-२८)। नाम हो कर, ऐरावत (इरावत् का वंशज) इसका पैतृक
धृतवत--स्वायंभुव मन्वन्तर के अर्थवण ऋषि का नाम था (अथर्व. ८.१०.२९, पं. ब्रा. २५.१५.३)। चित्ति नामक भार्या से उत्पन्न पत्र। सर्पसत्र में यह 'ब्रह्मा' था।
___२. चक्षुर्मनु का नड्वला से उत्पन्न पुत्र । 'धृतराष्ट्र पांचाल-एक राजा । बक दाल्भ्य ऋषि ने
३. (सो. अनु.) धृति राजा का पुत्र । इसका पुत्र इसका गर्वहरण किया था (बक दाल्भ्य देखिये)। । धृतराष्ट्र पाथुश्रवस-एक आचार्य (जै. उ. वा. |
| सुकर्मा ।
४. अंगिरा ऋषि के पुत्रों के लिये प्रयुक्त सामुहिक ४. २६.१५)।
नाम (म.आ.६०.५)। ..धृतराष्ट्र वैचित्रवीर्य-काशी का राजा (श. ब्रा. १३. ५. ४. २२)। इसने किये अश्वमेध यज्ञ के धृतसेन--दुर्योधन के पक्ष का एक राजा (म. श. दिग्विजय के समय, शतानीक सत्राजित ने इसका पराजय किया, एवं इसके अश्वमेध का घोडा चरा लिया। धृति-दक्ष प्रजापति की कन्या, एवं धर्म की पत्नी
शतानीक सत्राजित पांचाल देश का राजा था (क. सं. (म. आ.६०.१४; धर्म देखिये)। नकुल तथा सहदेव -- १०. ६; श. ब्रा. १३. ५. ४. १८-२३)। उससे | की माता माद्री इसाका अवतार
| की माता माद्री इसीका अवतार मानी जाती है (म. ज्ञात होत है कि, धृतराष्ट्र वैचित्रवीर्य का राज्य कुरुपांचाल | आ. ६१.९८ )। से कुछ अलग, एवं उससे कही दूर बसा हुआ था। २. सावर्णि मनु का पुत्र (मनु देखिये)। ___ 'वैचित्रवीर्य' यह इसका पैतृक नाम था । उसका
३. (सो. अनु.) भागवत तथा विष्णुमत में विजय अर्थ 'विचित्रवीर्य का वंशज' ऐसा प्रतीत होता है। का पुत्र।
बक दाल्भ्य नामक पांचाल देश में रहनेवाले ऋषि से | ४. (सू. निमि.) विदेह देश का राजा। यह वीतहव्य इसका संवाद हुआ था (क. सं. १०.६)।
जनक का पुत्र था। कुरुपौरव राजा विचित्रवीर्य एवं कृष्ण धृतराष्ट्रिका--धृतराष्ट्री देखिये।
द्वैपायन व्यास ये दोनों इसके समकालीन थे। इसका पुत्र धृतराष्ट्री--ताम्रा की कन्या, एवं गरुड की पत्नी । | बहुलाश्व । इसने सभी प्रकारों के हंस, कलहंस, तथा चक्रवाकों को | ५. (सो. कुकुर.) वायुमत में आहुक का पुत्र । जन्म दिया था (म. आ. ६०.५६)।।
६. ब्रह्मधाना का पुत्र। धृतवर्मन्--त्रिगर्तराज सूर्यवर्मन् एवं केतुवर्मन् का ७. सृष्टि तथा छाया का पुत्र । भाई (म. आश्व. ७४. २२)। कौरवों के पक्ष का यह ८. सुतप देवों में से एक। अत्यंत पराक्रमी महारथि था ।
९.सुधामन् देवों में से एक । प्रा. च. ४२]
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