Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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चित्रगंधा
प्राचीन चरित्रकोश
चित्ररथ
नामक ग्वाले के घर उसे चित्रगंधा नामक गोपी का जन्म | इसके लिये कापेय ने द्विरात्रयज्ञ किया। इस कारण प्राप्त हुआ (पन. पा. ७२)।
इसके कुल को क्षत्रपतित्व प्राप्त हुआ, एवं अन्य लोग चित्रगु-श्रीकृष्ण का सत्या से उत्पन्न पुत्र ।
इसके आश्रित हुए। इससे इस कुल के श्रेष्ठत्व का पता चित्रगुप्त-(सो. कुरु.) धृतराष्ट्र का पुत्र।
चलता है (पं. ब्रा. २०.१२.५)। इसके कुल में ज्येष्ठ २. पूर्वकाल में कायस्थ जाति में मित्र नामक गृहस्थ ।
राजपुत्र सिंहासन पर बैठता था, एवं उसके भाई उसके
अनुचर होते थे (शौनक देखिये)। था। उसकी दो संतानें थीं। चित्र नामक पुत्र, तथा चित्रा नामक पुत्री। मित्र की मृत्यु के बाद, उसकी स्त्री सती
२. (सो. पुरु.) कुरु का पुत्र (म. आ. ८९.४४)। हुई । कालांतर में चित्र एवं चित्रा प्रभासक्षेत्र में सूर्य की
३. मुनि तथा कश्यप के देवगंधर्व पुत्रों में से एक
२. नान तथा आराधना करने लगे। इसका ज्ञान देख कर, यमधर्म ने
(अंगारपर्ण देखिये)। युधिष्ठिर ने यज्ञ किया, तब इसने इसको अपने कार्यालय में लेखक नियुक्त किया। यही
उसे सौ अश्व दिये (म. स. ४८.२२)। चतुर्विध चित्रगुप्त नाम से प्रसिद्ध हुआ (स्कंद. ७.१.१३९)।
आश्रमों से किसी एक आश्रम का मनुष्य, तथा चातुर्वर्यो इसने धर्म का रहस्य यम को बताया (म. अनु. १९३. |
में से किसी एक वर्ण का मनुष्य, जिन लक्षणों पर से १३ कुं.)। चित्रलेखा ने चित्रगुप्त को ऐश्वर्यसंपन्न बनाया।
पहचाना जा सकता है, वे लक्षण इसने युधिष्ठिर को इस ऐश्वर्य को देख, वैवस्वत मन्वन्तर में विचित्रवस्तु निर्माण
बताये। उसी प्रकार उसे तापत्यसंवरणाख्यान बता कर, करनेवाला विश्वकर्मा इसका प्रतिस्पर्धी बन गया (भवि.
पांडव तापत्य किस प्रकार हैं, यह समझाया (म. आ.' प्रति. ४.१८)।
१५९-१६०)।
४. (स्वा. प्रिय.) गय को गयंती से उत्पन्न पुत्रों में से चित्रचाप--(सो. कुरु.) धृतराष्ट्रपुत्र । भीम ने |
ज्येष्ठपुत्र । इसे ऊर्णा नामक स्त्री से सम्राट नामक पुत्र हुआ इसका वध किया। .
(भा. ५.१५.१४)। चित्रज्योति-प्रथम मरुद्गणों में से एक । . चित्रदर्शन--(सो. कुरु.) धृतराष्ट्रपुत्र ।
५. वीरबाहु का पुत्र । कुश की कन्या हेमा के स्वयंवर
के समय, इसने अन्य लोगों पर मोहनास्त्र डाल कर, हेमा चित्रधर्मन्--क्षत्रिय राजा। भारतीययुद्ध में यह |
का हरण किया । परंतु कन्या को चोरी से ले जाना ठीक दुर्योधन के पक्ष में था।
नहीं, इसलिये इसने मोहनास्त्र वापस लिया । यह स्वयं नगर - चित्रध्वज--चंद्रप्रभ नामक राजा का पुत्र । इसने
के बाहर खडा हुआ। तत्पश्चात् युद्ध हुआ, जिसमें इसने कृष्ण को प्रिय लगनेवाली सुंदरी की उपासना की। इस लिये
सब को पराजित किया। लव को यह पराजित न कर इसे सुंदर गोपकन्या का जन्म प्राप्त हुआ (पन. पा.७२)।
सका। तब पास ही खडे हो कर, युद्ध का अवलोकन करने'चित्रबह--गरुडपुत्र ।
वाला वीरबाहु आगे बढा । उसने लव को मूछित किया। चित्रवाण-(सो. कुरु.) धृतराष्ट्रपुत्र ।
कुश वीरबाहू को बाँध लाया। राम ने उन्हें बताया चित्रबाहु--(सो. कुरु.) धृतराष्ट्रपुत्र ।
कि, यह मेरा मित्र है, तथा उसे छुडाया। बाद में लव की २. कृष्ण का एक पुत्र । यह महारथी था (भा. १०. मूर्छा उतरने पर, हेमा का चित्ररथ से विवाह करवाया। ९०.३३)।
पश्चात् वीरबाहु को राम ने बड़े सम्मान से बिदा किया चित्रभानु-(सो. वृष्णि.) कृष्ण का नाती। यह | (आ. रा. राज्य. २.३)। महारथी था (भा. १०.९०.३३)।
| ६. (सू. निमि.) सुपार्श्व जनक का पुत्र । विष्णु मताचित्रमहस् वासिष्ठ--सूक्तद्रष्टा (ऋ.१०.१२२)। नुसार इसे संजय कहा गया है । इसका क्षेमधी नामक पुत्र चित्रमुख--एक ऋषि । यह प्रथम वैश्य था। बाद में | था। यह ब्राह्मण बना तथा ब्रह्मर्षि हुआ। इसने अपनी कन्या | ७. (सो. अनु.) राजा रोमपाद का नामांतर । दशरथ वसिष्ठपुत्र को दी थी (म. अनु. ५३. १७. कुं.)। इसका मित्र था। यह निपुत्रिक था, इसलिये दशरथ ने
चित्ररथ--एक राजा । यह तुर्वशों का शत्रु था। | अपनी पुत्री शांता इसे दत्तक दी। इसने शांता ऋश्यशंग इन्द्र ने सुदास के लिये सरयू नदी के तट पर अर्ण तथा | ऋषि को दी। बडी युक्ति से उसे अपनी नगरी में चित्ररथ का वध किया (ऋ४.३०.१८)।
निमंत्रित कर, स्वयं पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया तथा दशरथ