Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
View full book text
________________
दरिद्योत
प्राचीन चरित्रकोश
दशरथ
दरिद्योत--(सो. कुकुर.) भागवत मतानुसार दुंदुभि दशज्योति-सुभ्राज् का पुत्र (म. आ. १.४२)। का पुत्र । विष्णु तथा वायु में, इसे अभिजित् कहा | दशधु--एक राजा । इसका तुग्र से युद्ध हुआ था । गया है।
इस युद्ध में इंद्र ने दोनों का ही संरक्षण किया (ऋ. १. दरीमुख-राम का सेनापति ।
३३.१४, ६.२६.४)। दर्प-(वा.) धर्म का उन्नति से उत्पन्न पुत्र । दशमी--ब्रह्मदेव की मानसकन्या। दर्पणासि--कारुष राजा का पुत्र । इसने अपनी माता | दशरथ-(सू. इ.) सूर्यवंश का एक विख्यात राजा। की आज्ञा के अनुसार, अपने पिता राजा कारुष का वध 'वाल्मीकिरामायण' का नायक एवं भारत की एक किया (भवि. ब्राह्म.८)।
प्रातःस्मरणीय विभूति रामचंद्र का यह पिता था। इसीके दर्भक-(शिशु. भविष्य.) भागवत, विष्णु तथा
नाम से राम, 'दाशरथि राम' नाम से प्रसिद्ध हुआ। ब्रह्मांड मतानुसार अजातशत्रु का पुत्र । वायु मतानुसार __यह अज राजा का पुत्र था । यह अतिरथी, यज्ञयाग इसे दशक तथा मत्स्य मतानुसार वंशक कहा गया है। करने वाला, धर्मनिष्ठ, मनोनिग्रही तथा जितेन्द्रिय था दर्भवाह--अगस्त्यकुलोत्पन्न एक ऋषि । . | (वा. रा. बा. ६. २-४)। इसके पूर्वपुरुष अज-दीर्घ
दर्भि--एक ऋषि । इसने सातों समुद्रों से कहा था, | बाहु-प्रजापाल इस रूप में भी प्राप्त है (पन. सु.८. 'तुम सारे एक तीर्थ उत्पन्न करो'। उन्होंने 'अर्धकील' | १५३)। यह अयोध्या का राजा था (पा. पा. ७)। नामक एक पापनाशक तीर्थ उत्पन्न किया (म. व. ८१. अतिविषयासक्त होने के कारण, इसके वृद्धावस्था के १३३-१३६)। .
सारे दिन अनर्थकारी साबित हुएँ, एवं पुत्रशोक से इसे २. दण्डिन देखिये।
मरना पड़ा। दर्वा-उशीनर की पत्नी।
कौसल्या, सुमित्रा तथा कैकेयी नामक दशरथ की तीन .: दार्वन्-(सो. उशी.) विष्णुमतानुस्वार उशीनर का पत्नियाँ प्रसिद्ध हैं । दशरथ को कौसल्या, सुमित्रा, सुरुपा पुत्र। .
तथा सुवेषा नामक चार पत्नियाँ थीं, ऐसा भी कहा गया दर्श-कृष्ण का कालिंदी से उत्पन्न पुत्र (भा. १०. | है ( पध्न. पा. ११६ )। किंतु वास्तव में इसे तीन सौ
पचास विवाहित स्त्रियाँ थीं। इतनी पत्नियों के पति '२. धाता नामक आदित्य एवं सिनीवाली का पुत्र (भा. होनेवाले पुरुष की गृहस्थिती जैसी रहनी चाहिये, वैसी ६.१८.३)।
ही इसकी थी। 'वाल्मीकिरामायण' में प्राप्त सीता के दर्शक-(शिशु. भविष्य.) वायुमत में विविसारपुत्र। | उद्गारों से इसकी पुरी जानकारी मिलती है । सीता अनसूया दर्शनीय-मणिभद्र तथा पुण्यजनी का पुत्र । से कहती है, 'राम जिस प्रकार का व्यवहार अपनी माता दल-(सू. इ.) राजा परीक्षित् का मंडूककन्या |
कौसल्या से करता है, उसी प्रकार का व्यवहार अन्य राजशोभना से उत्पन्न पुत्र (म. व. १९०.४३; शल देखिये)।
स्त्रियों से भी करता है। किंतु दशरथ हरएक स्त्री के तरफ विष्णु एवं वायु मतानुसार, यह राजा पारियात्र का पुत्र
उपभोग्य दृष्टि से देखता है। ऐसी स्त्रियों से भी राम माता था। भागवत में बल नाम उपलब्ध है। वंश तथा पुत्रसाम्य के समान ही व्यवहार रखता है' (वा. रा. अयो. ११८. के कारण, परीक्षित तथा पारियात्र ये दोनों व्यक्ति शायद | ५-६ ) । लक्ष्मण, भरत एवं राम के भाषण में भी इसके एक ही प्रतीत होते है।
लिये आधार प्राप्त है। राम वनवासगमन कर रहा है, २. कश्यप तथा दनु का पुत्र।
ऐसा ज्ञात होते ही, लक्ष्मण ने कौसल्या से कहा, 'विषयदलशु-बलेक्षु देखिये।
भोगों के नियंत्रण में रहनेवाला, तथा जिसकी बुद्धि का दवशद-गौतम नामक शिवावतार का पुत्र ।
| विपर्यास हो गया है, ऐसा यह विषयी तथा वृद्ध राजा, दशग्व-एक आंगिरस कुल । नवग्व के साथ अनेक | कैकेयी की प्रेरणा से क्या नहीं बकेगा'? (वा. रा. अयो. स्थानों पर इसका उल्लेख मिलता है (ऋ. १.६२.४, ३. २१. ३)। ३९.५)। इंद्र ने इसका संरक्षण किया, ऐसा एक स्थान कैकेयी से इसका विवाह इसकी विषयलंपटता पर कलश पर स्पष्ट उल्लेख है (ऋ. ८.१२.२)। आंगिरस का यह चढानेवाला है। इस विवाह के वक्त, यद्यपि कैकेयी एक कुल रहा होगा।
| बिलकुल जवान थी, बुढ़ापे की साया इसके शरीर पर २६७