Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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दुष्यंत
प्राचीन चरित्रकोश
दृढाच्युत
रह कर भरत नामक पुत्र हुआ। परंतु यह विवाह छुपके | २. अगस्त्य गोत्र का मंत्रकार (मत्स्य. १४५.११४से किये जाने के कारण, शकुंतला को यह अस्वीकार करने | ११५)। दृढ़ायु इसीका नामांतर था (ब्रह्मांड, २.३२. लगा। बाद में आकाशवाणी ने सत्य परिस्थिति बतायी।। ११९-१२०) तब राजा को उसके स्वीकार में कुछ बाधा नहीं रही (म. दृढधन-(सो. अज.) विष्णु तथा वायु के मत में आ. २.६३-६९, ९०; द्रो. परि. १.क्र.८, पंक्ति ७३० | सेनजित् का पुत्र । दृढरथ एवं दृढहनु इसीका नामांतर है । से आगे; शां.२९; आश्व. ३: भा. ९.२०.७-२२; विष्णु. दृढधन्वन् कौरव-(सो. कुरु.) द्रौपदीस्वयंवर के ४. १९-२१: ह. व. १. ३८; वायु. ९९. १३२)।| लिये आया हुआ एक क्षत्रिय (म. आ. १७७.१५)। शकंतला को दोषवती मानने से इसे दुष्यंत नाम प्राप्त दृढनमि-(सो. द्विमीढ.) भागवत, वायु तथा मत्स्यहुआ, एसा इसके 'दुष्यंत' नाम का विश्लपण 'शब्द- | मत में सत्यधृती का पुत्र । विष्णु मत में धृतिमान् का पुत्र । कल्पदुम' में दिया है (दुष दोषवती मन्यते शकुन्तलाम्
दृढमति- एक शूद्र। इसके पीछे ब्रह्मराक्षस लगा इति)। शकुन्तला से इसे भरत नामक पुत्र हुआ। उसे
हुआ था। किन्तु वेंकटाचल जाने पर उस पीड़ा से यह ब्राह्मण ग्रंथों में दौष्यंति नाम से, एवं अन्य ग्रंथों में
मुक्त हुआ (स्कन्द. २.१.१९)। सर्वदमन कहा गया है । दुष्यंत को पौरव कुल का आदि
दृढरथ-(सो. कुरु.) धृतराष्ट्र का पुत्र । संस्थापक माना जाता है। राज्यशकट चलाने की इसकी पद्धति बहुत अच्छी थी (म. आ. ६२)।
२. (सो. कोष्टु.) मत्स्यमत में नवरथ का पुत्र
| (दशरथ ३. देखिये)। २. (सो. अज.) अजमीढ का पुत्र । इसकी माता |
३. (सो. अज.) मत्स्यमत में सेनाजित् का पुत्र नीली (म. आ. ८९.२८)। परमेष्ठिन् राजा इसका भाई था। उत्तर एवं दक्षिण पंचाल देशों का राजवंश इन दो
(दृढधनु देखिये)। • भाईयों से शुरू हुआ।
दृढरथाश्रय-(सो. कुरु.) धृतराष्ट्र का पुत्र ।
दृढरुचि--प्रियव्रतपुत्र हिरण्यरेता का पुत्र। दूरसोम--मणिभद्र एवं पुण्य जनी का पुत्र ।
दृढवर्मन्-(सो. कुरु.) धृतराष्ट्र का पुत्र । दूर्व--गौड देश का एक ब्राह्मण (गणेश. १.३६.७६)।
दृढसंध-(सो. कुरु.) धृतराष्ट्र का पुत्र । दूषण-खर राक्षस का भाई (म. व. २६१.४३)।
दृढसेन-द्रोण द्वारा मारा गया एक पांडवपक्षीय वज्रवेग तथा प्रमाथी नामक इसे दो भाई और थे। राम
राजा (म. द्रो, २०.४०)। ने इसका वध किया (भा. ९.१०; म. व. २६१.४३)।
२. (सो. मगध. भविष्य.) विष्णु तथा ब्रह्मांडमत में २. विश्ववसु एवं वाका का पुत्र ।
सुश्रम का तथा वायुमत में सुव्रत का पुत्र । द्युमत्सेन इसीदूषणा-ऋषभदेव के वश के भौवन राजा की पत्नी ।
का नामांतर है। इसका पुत्र त्वष्टा।
दृढस्यु-अगस्त्य एवं लोपामुद्रा का पुत्र । यह अत्यंत दृढ--धृतराष्ट्र के पुत्रों में से एक । भीम ने इसका
तपस्वी तथा विद्वान था । यह अरण्य में से समिधा वध किया (म. द्रो. ११२.३०; १३२.११३५००, पंक्ति २)। | के बड़ेबड़े गठ्ठर लाता था। इस कारण, इसे इध्मवाह नाम
२. दुर्योधन के पक्ष का एक राजा । इसका अदृढ नाम | प्राप्त हुआ। भी उपलब्ध है (म. क. ४.४१)।
ऋतु ऋषि निःसंतान था। इसलिये उसने दृढस्य को दृढक्षत्र-(सो. कुरु.) धृतराष्ट्र का पुत्र। अपना पुत्र माना था। उसी तरह पुलह एवं पुलस्त्य इन दृढच्युत आगस्त्य-सूक्तद्रष्टा (ऋ. ९.२५)। यह | दोनों की संतति दुष्ट होने के कारण, वे भी इसे अपना अगस्य ऋषि एवं कृष्णेक्षणा का पुत्र था । इसीलिये इसका | पुत्र मानते थे (म. व. ९७.२३-२५) । इसके दृढास्यु, पैतृक नाम 'अगस्ति' दिया गया है। विभिंदुकीय के | दृढायु एवं दृढद्युम्न नामांतर थे । सत्र में यह उद्गाता था (जै. बा. ३.२३३)। इसका पुत्र दृढहनु-(सो. अज.) भागवत मत में सेनजित् इध्मवाह (भा. ४.२८)।
| राजा का पुत्र (दृढधनु देखि)। दृढजयंत--विपश्चित् दृढज्यंत लौहित्य देखिये। दृढहस्त--(सो. कुरु.) धृतराष्ट्र का पुत्र । दृढद्युम्न दृढस्यु का नामांतर ।
दृढाच्युत-अगत्स्यपुत्र दृढास्यु का नामांतर । प्रा. च. ३७]
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