Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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जमदग्नि
प्राचीन चरित्रकोश
जयत्सेन
सप्तर्षियों में से यह एक था (मत्स्य. ९; ब्रह्म.५:मा. ६. (सो. नील.) मत्स्यमत में भद्राश्वपुत्र । भागवत ७९)।
मत में संजय, एवं विष्णु तथा वायु के मत में संजय श्राद्ध विधि का प्रारंभ जमदग्नि ने किया। यह भृगुकुल
यही था। का गोत्रकार तथा प्रवर भी था।
७. (सू . निमि.) भागवत मत में श्रुतपुत्र, विष्णु एवं
वायु के मत में सुश्रुतपुत्र । जंबुमालिन्--रावण के मंत्री प्रहस्त का पुत्र । हनुमान्
८. (स्वा. उत्तान.) भागवत मत में बत्सर का स्वर्वीथी ने अशोकवन उध्वस्त किया। रावण की आज्ञा से, हनुमान् ।
से उत्पन्न पुत्र। को रोकने के लिये यह वहाँ गया। हनुमान् ने इतका
९. विश्वामित्रपुत्र (भा. ९.१६.३६)। वध किया (वा. रा. सु. ४२-४४)।
१०. शुक्राचार्य तथा पीवरी से उत्पन्न पाँच पुत्रों में से २. एक राक्षस । यह भी हनुमान् के द्वारा मारा गया |
एक। (वा. रा. यु. ४३)।
११. विष्णु के द्वारपालों में से एक (जयविजय देखिये)। जंबूक-शंबूक देखिये ।
१२. विकुंठ देवों में से एक । जंभ-बलि का मित्र । इसे जंभासुर भी कहते थे ।। १३. यमसभा का एक क्षत्रिय (म. स. ८.१४)। । इंद्र तथा बलि के युद्ध में, इंद्र के वज्र के आघात से बलि । १४. (सो. यदु.) भागवत मत में कंक तथा कर्णिका मूछित हो गया। वहाँ इसने सिंह पर आरूढ हो कर, इंद्र | का पुत्र । से युद्ध किया । इंद्र ने इसका वध किया (भा. ८.११. १५. (सो. यदु.) भागवत मत में कृष्ण तथा भद्रा १३)।
का पुत्र। २. तारकासुर का एक प्रमुख हस्तक | तारकासुर के १६. (सो. यदु.) भागवत मत में युयुधानपुत्र । मत्स्य युद्ध में, विष्णु ने इसका वध किया। इसकी कन्या कयाधु | तथा विष्णु में यही असंग है। (भा. ६.१८.१२)।
१७. ( सो. कुरु.) धृतराष्ट्र का पुत्र । भारतीययुद्ध में ३. रावणपक्षीय राक्षस तथा ताटकापति सुंद का पिता। भीम ने इसका वध किया (म. द्रो. ११०.२९-३५)। ४. रामसेना का एक वानर (वा. रा. यु. ४)।
१८. पांडवं पक्ष का.राजा । कर्ण ने इसका वध किया ५. जालंधर की सेना का एक राक्षस (पद्म. उ. १२)।।
| (म. क. ५६.४०)। , ६. कश्यपस्त्री दिति के पुत्रों में से एक (पन. उ. २३०)।
१९. दुर्योधन पक्ष का एक राजा (म. द्रो. ५२.१६)। ७. कश्यप एवं दनु का पुत्र ।
जयद्रथवध के समय, इसने अर्जुन के साथ युद्ध किया था ८. संहाद का पुत्र । इसका पुत्र शतदुंदुभि (ब्रह्मांड. | (म. द्रो. ६६.३६ ) । ३.५.३८-३९)।
२० अज्ञातवासकाल में युधिष्ठिर का गुप्तनाम (म. जंभक-इंद्र के द्वारा मारा गया एक दैत्य । तारका
वि. ५. ३०; २२.१२)। सुर की सेना का यह एक नायक था (वा. सं. ३०.१६, जय ऐन्द्र-सूक्तद्रष्टा (ऋ. १०.१८०)। सां. आ. १२.६५)।
जयक लौहित्य-यशस्विन् जयंत लौहत्य का शिष्य __ जय--(सो. पुरूरवस्.) भागवत मत में पुरूरवस्- | (जै. उ. ब्रा. ३.४२.१)। पुत्र ।
जयत्सेन-(सो, कुरु.) मत्स्य, वार, एवं महा२. (सो. पुरूरवस्.) भागवत मत में मन्युपुत्र । भारत के मत में सार्वभौम का कैकयी से उत्पन्न पुर।
३. (सो. प्रति.) वायुमत में विजयपुत्र । भागवत में भविष्य, भागवत तथा विष्णु मत में इसे जय तेज कहा गया इसे कृत तथा विष्णु में यज्ञकृत नाम है ।
| है । इसे सुश्रवा नामक स्त्री तथा अराचिन नामक पुत्र था ४. (सो. प्रति.) भागवत एवं वायु के मत में संजयपत्र. (म. आ.१०.१७) विष्णु मत में सुंजय का पुत्र ।
२. (सो. कुरु.) धृतराष्ट्र का पुत्र । भारतीय युद्ध में, ५.(सो. प्रति.) भागवत मत में संकृतिपुत्र । भीम ने इसका वध किया (म. श. २५.९.)।