Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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चार्वाक
प्राचीन चरित्रकोश
चित्रगंधा
एक सामान्य लोकमान्य मत चार्वाक प्रतिपादन करता चित्रकेतु--स्वायंभुव मन्वन्तर में वसिष्ठ ऋषि तथा है। अतः चार्वाकदर्शन को लोकायतदर्शन भी कहते है। । ऊर्जा का पुत्र (भा. ४.१.४१)।
२. दुर्योधन का मित्र । ब्राह्मणों का अवमान करने से | २. शूरसेन देश का राजा । इसकी एक करोड़ स्त्रिया इसका नाश हुआ (म. शां. ३९-४०)। इसका पूर्वजन्म | थीं पर वे सारी अनपत्य थीं। भी यहाँ दिया है।
एक बार अंगिरस ऋषि इसके पास आये। तब इसकी चिकित्वत्--तुषित देवों में से एक ।
प्रार्थनानुसार उन्होंने यज्ञ किया। उसमें आदित्य को चिकुर—एक सर्प । यह आयक का पुत्र तथा सुमुख | हविभाग देने के बाद, इसकी पटरानी कृतयुति ने हुतशेष का पिता था (म. उ. १०१.२४)।
भक्षण किया। इससे उसे पुत्र हुआ। परंतु यह उसकी चिक्तित-लक्ष्मीपुत्र। ..
सौतों को सहन न हो कर, उन्होंने बालक को विष दे दिया। चिक्षर-महिषासुर का सेनापति । चिक्षुराक्ष इसका इससे सब शोकाकुल हो गये। इतने में अंगिरस् ऋषि नामांतर है (महिषासुर देखिये)।
तथा नारद वहाँ प्रकट हुए। 'अनित्य के लिये शोक चित्ति--स्वायंभुव मन्वन्तर के अथर्वण ऋषि की करना उचित नही है,' ऐसा उपदेश उन्होंने इसे किया। भायां । इसे दध्यच् नामक अश्वमुखी पुत्र था (भा. ४. अपने दुख को सम्हाल कर, इसने पुत्र की उत्तरक्रिया १.४२)।
की। पश्चात् नारद का उपदेश ले कर, यह तपस्या करने चित्र-एक सर्प (म. स. ९.८)।
यमुना के किनारे गया। २. दुर्योधन के पक्ष का एक राजा। भारतीययुद्ध में
___ दूसरे जन्म में यह विद्याधरों का राजा बना। एक बार प्रतिविंध्य ने इसका वध किया (म. क. १०.३१)।
यह विमान में घूम रहा था। तब इसने देखा कि, शंकर ' ३. पांडवपक्षीय चैद्य राजा । भारतीय युद्ध में कर्ण ने
पार्वती को गोद में ले कर, सभा में बैठे हैं। यह देख कर इसका वध किया (म. क. ४०.५०)
इसने हँस दिया। तब पार्वती ने इसे, 'तुमं राक्षस बनोंगे' ४. (सो. कुरु.) धृतराष्ट्र का पुत्र । भारतीय युद्ध में
ऐसा शाप दिया। यह परम विष्णुभक्त था। इस कारण, भीम ने इसका वध किया (म. द्रो. ११२.३०)।
शाप देने की शक्ति होते हुए भी, इसने पार्वती को उलटा. ५. (सो. वृष्णि.) वृष्णि राजा का पुत्र । इसका नाम
शाप नही दिया । इसने उससे क्षमा माँगी, तथा यह वापस भारावत मे चित्ररथ तथा वायु में चित्रक दिया है। वायु
गया। पार्वती के शाप से यह वृत्रासुर बना (भा. ६. में इसे पृश्निपुत्र कहा है।
१४-१७)। ६. एक राजा । सोभरि के सूक्त में इसका उल्लेख है
३. दशरथपुत्र लक्ष्मण के चन्द्र केतु नामक पुत्र का (ऋ. ८.२१.१७-१८)। यह सोभरि का आश्रयदाता था
नामांतर। यह चंद्रकांतनगर में रहता था (भा. ९.११. (ऋ. ८.२१.१८)।
१२)। ७. द्रविड़ देश का एक राजा। यह त्रिवेणीसंगम पर
४. (सो. नील.) पांचालदेश का राजा। यह द्रुपद स्नान करने से मुक्त हुआ (प. उ. १२९; चित्रगुप्त
का पुत्र था। द्रोणाचार्य ने इसके भाई वीरकेतु का वध देखिये)।
| किया। इसलिये क्रोधित हो कर इसने द्रोणाचार्य पर चित्र गाायणि-एक क्षत्रिय नृप । आरुणि ने
आक्रमण किया। परंतु द्रोणाचार्य ने इसका भी वध किया इससे ब्रह्मज्ञान प्राप्त किया (को. उ. १.१)। चित्र
(म. द्रो. १२२)। इसे सुकेतु नामक पुत्र था (म. आ. गांग्यायणि इसीका नामान्तर है । चित्र गौश्रायाण-एक आचार्य (सां. ब्रा. २३.
१८६; क. ३८.२१)।
५. (सो. वृष्णि.) भागवत मतानुसार देवभाग एवं चित्रक--(सो. वृष्णि.) वृष्णिपुत्र (चित्र ५. देखिये)।।
कंसा का ज्येष्ठ पुत्र। २. (सो. कुरु.) धृतराष्ट्रपुत्र ।
६. (सो. वृष्णि.) श्रीकृष्ण तथा जांबवती का पुत्र । ३. एक राजा। राजसूय यज्ञ में इसने पांडवों की । ७. गरुड का पुत्र (म. उ. ९९. १२)। सहायता की थी।
चित्रगंधा-गोकुल की एक गोपी । जाबालि ऋषि चित्रकुंडल-(सो. कुरु.) धृतराष्ट्रपुत्र । ने श्रीकृष्ण की उपासना की थी। इसलिये गोकुल के प्रचंड
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