Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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चित्रायुध
चित्रायुध -- पांचाल राजा । द्रौपदीस्वयंवर में उपस्थित राजाओं में से यह एक था ( म. आ. १७७.१० ) । भारतीय युद्ध में कर्ण ने इसका वध किया ( म. क. ४०. ५० ) । यह महारथी था ( म. उ. १६८.१६ ) ।
२. (सो. कुरु. ) धृतराष्ट्र का पुत्र । भारतीय युद्ध में भीम ने इसका वध किया (म. द्रो. १११.१८ ) । चित्राश्व शास्त्र देशाधिपति गुमत्सेन का पुत्र | सावित्री के पति सत्यवान का यह नामांतर था बचपन में इसे अश्व बहुत प्रिय थे। यह मिट्टी के अध था, उनके चित्र खींचता था। अतः इसका नाम चित्राश्व पड़ा (म. व. २७८.१३ ) ।
नाता
प्राचीन चरित्रकोश
२. एक राजर्षि (म. अनु. १६५.४९ ) । चित्रोपचित्र--(सो. कुरु. ) धृतराष्ट्रपुत्र । भारतीय युद्ध में भीम ने इसका वध किया (म. द्रो. १११. १८ ) ।
मत में
चिदि - (सो. क्रोष्टु. ) मत्स्य एवं वायु कौशिक का पुत्र । विष्णु एवं पद्म में इसे चेदि कहा गया है । भागवत में इसे उशिक का पुत्र कहा गया है । इसके देश का नाम चेदि था । इसके वंशज चैद्य या चेदि कहलाते थे ( भा. ९.२४.२ ) ।
चिबिलक—(आंध्र. भविष्य.) लंबोदर राजा का पुत्र विष्णु में इसका नाम दिविक, तथा मत्स्य में पुत्र। विष्णु में इसका नाम दिविलक, तथा मत्स्य में अपीतक दिया है । इसका पुत्र मेधस्वाति । चिरकारिन या चिरकारिक-मेधातिथि गौतम के दो पुत्रों में से कनिष्ठ । इसकी माता अहल्या गौतम ऋषि । को अहल्या के व्यभिचार का पता चला तब उसने इसे मातृवध करने के लिये कहा । परंतु चिरकारी अपने नाम के अनुसार दीर्घसूत्री था । यह विचार करते बैठा रहा। बाद में, पत्नी का वध करने के लिये कहने पर गौतम ऋषि को पश्चाताप हुआ। वह पत्नी के पास आया । चिरकारी शस्त्र ले कर मातृवध के लिये खड़ा था । पिता को देखते ही शस्त्र नीचे रख कर, इसने पिता को नमन किया। विचारी होने के कारण, इतके हाथों हत्या नहीं हुई ( म. शां. २५.८; स्कंद. १.२.६ ) ।
चेदि
ने इन दोनों का वध किया (ऋ. १.११२.२३) । अन्यत्र, शम्बर, पिप्रु तथा शुष्ण के साथ इन दोनों का इंद्रद्वारा पराभूत होने का, तथा इनके दुर्गो को नष्ट करने का उल्लेख है (ऋ. ६.१८.८ ) ।
चूटाला-शिलिध्वज राजा की भार्या। यह आत्मशानी थी। इसका पति राज्य छोड़ कर भरण्य में चला गया। उसको आत्मशान का मार्ग दर्शा कर इसने पुनः राज्य करने के लिये प्रेरित किया ( यो. वा. ७७-१११ ) । चूर्णनाभ- कश्यप तथा दनु का पुत्र ।
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चूल भागवित्ति-मधुप पैग्य का शिष्य (बृ. उ. ६. ३.९-१० ) । माध्यंदिन आवृत्ति में निर्दिष्ट चूद इसका पाठभेद है।
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चूलि - एक ऋषि यह तपस्या कर रहा था। सोमदा नामक पर्थी इसकी सेवा कर रही थी तपश्चर्या पूर्ण होने के बाद, गंधर्थी ने पुत्रप्राप्ति की इच्छा दर्शाई । इसने एक मानसपुत्र निर्माण कर के उसे दिया। उसका नाम ब्रह्मदत्त ( वा. रा. बा. ३३) ।
चेकितान- वृष्णिवंशीय क्षत्रिय राजा । यह पांडवों के पक्ष में था ( म.स. ४९.९ . २५.२ ५६.२:१९६. भारतीययुद्ध में भी यह था । इसके रथ के अश्व कुछ २३; भी. १९.१४ ) । यह द्रौपदीस्वयंवर में गया था । भारतीययुद्ध में भी यह था। इसके रथ के गंध कुछ पीलाहट लिये थे । सुशर्मा के साथ, काफी देर तक, इसका
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युद्ध हुआ। द्रोण ने इसके सारथी पाणि को मार डाला । म. द्रो. १२५ ) भारतीययुद्ध में यह दुर्योधन के द्वारा मारा गया (म.शं.१९.३१ ) ।
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२. एक ब्राह्मण। यह कृषि करता था। एक दिन यह खेती का काम कर, पसीने से लथपथ हो घर आया । नैवेद्य अर्पण किया। मरणोपरांत यह शिवलोक गया। पसीना न पोंछ कर ही जल्दी में इसने शंकर की पूजा कर, वीरभद्र ने इसे शाप दिया, पसीना न पोछने के पहले ही शिव पूजन किया, इसलिये तुम्हारे शरीर से हमेशा पसीने की धाराएँ बहती रहेंगी। तुम्हें स्पेवगण नाम मिलेगा ' ( पद्म. पा. ११७ ) ।
चुमरि - एक अनार्य राजा। यह तथा इसका मित्र धुनि, दभीति ऋषि को सताते थे। दभीति के कहने पर इंद्र
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चेदि - (सो. यदु. रोमपाद ) उशिक का पुत्र । यह विदर्भपुत्र रोमपाद के वंश में से एक था। इससे चैद्यनृप
चिरांतक - गरूडपुत्र ( म. उ. ९९.१३ ) । चीरवास एक यक्ष (म. १. १०.१७) ।
२. दुर्योधनी एक राजा (म. आ. ६१.५६ ) । पैदा हुएँ (मा. ९. २४. १-२ चिदि । शिशुपाल चीरवास इसीका पाठभेद है । चैव देखिये) । दिदेश विध्य के पश्चिम शु भाग में था । इस देश के नृप महाभारतादि ग्रंथों में प्रसिद्ध है।
तथा