Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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खट्वांग
प्राचीन चरित्रकोश
खर
है। उन्होंने कहा कि, केवल मुहूर्त्तमात्र शेष है। तब खनपान-(सो. अनु.) भागवतमत में अंगराज
और कुछ न माँग कर, यह द्रुतगामी विमान पर बैठ कर पुत्र, विष्णुमत में पारपुत्र, मत्स्य एवं वायु मत में शीघ्र ही अयोच्या आया। अपने पुत्र दीर्घबाहु को गद्दी
दधिवाहनपुत्र । अपानद्वार न होने के कारण, इसे पर बैठ कर, आत्मस्वरूप में लीन हो गया (भा.९.९)।
अनपान कहते थे । इसका पुत्र दिविरथ। दिलीप प्रथम को खट्वांग मानते है (ब्रह्म. ८.७४; हं.वं.
__ खनित्र--(सू. दिष्ट.) भागवतमत में प्रमति राजा १.१५.१३)। वस्तुतः दिलीप द्वितीय को खट्वाँग कहना
का पुत्र । इसका पुत्र चाक्षुष । विष्णु तथा वायु के मत में चाहिये (दिलीप देखिये)।
प्रजनिपुत्र । इसका पुत्र क्षुप । सदाचारी होने के कारण खड्गधर-सौराष्ट्र देश का एकराजा। इसके मदमत्त इसके उपर अभिचार का परिणाम नहीं हुआ (मार्क. हाथी का मद, एक ब्राह्मण ने गीता के सोलहवें अध्याय
| ११४-११५)। के पठनसामर्थ्य से उतारा (प. उ. १९०)।
खनिनेत्र--(सू. दिष्ट.) भागवतमत में रंभपुत्र । खड्गबाह--एक राजा। इसके पुत्र का दुःशासन | वायु एवं विष्णु मत में विविंशपुत्र । वायुमत में इसका नामक सेनापति था । वह मदमत्त हाथी से गिर कर मर
पुत्र करंधम तथा विष्णुमत में अतिभूति । गया। अगले जन्म में वह हाथी हुआ। सिंहल देश के
___ इसके कुल चौदह भाई थे। यह अत्यंत दुष्ट था । राजा ने वह हाथी खड्गबाहु को दिया। खड्गबाहु ने उसे
इसलिये इसने सब भाईयों का हक छीन कर स्वयं अकेले एक कवि को तथा कवि ने मालव देश के राजा को दिया
ने राज्य किया। यह प्रजा को अप्रिय था, इसलिये शीघ्र ( पन. उ. १९१)।
ही पदच्युत हुआ। पश्चात् इसका पुत्र सुवर्चा गद्दी पर बैठा खड्गहस्त - दक्षसावर्णि मनु का पुत्र ।
(म. आश्व. ४)। यह हिंसा से उद्विग्न हो कर तपस्या खड्गिन--(सो. कुरु.) धृतराष्ट्रपुत्र । भारतीययुद्ध | करने लगा (मार्क. ११७) । इसका पुत्र बलाश्व । में भीम ने इसका वध किया (म. क. ६.२)।
खर--विश्रवा ऋषि का राका से उत्पन्न पुत्र । • खंडपाणि--(सो. कुरु. भविष्य) भविष्य एवं | शर्पणखा इसकी बहन तथा रावण सौतेला भाई था विष्णु के मत में अहीन का पुत्र । अन्य पुराणों में दंडपाणि
(म. व. २५९. ८)। शूर्पणखा के कथन से पता पाठभेद हैं।
चलता है कि, दूषण इसका भाई था (वा. रा. अर. खंडिक औद्भारि-केशिन का गुरु तथा एक शास्त्रा- | १७)। यह बचपन में वेदवेत्ता, शूर तथा प्रवर्तक (पाणि नि देखिये)। केशिन् के यज्ञ में शेर ने | उत्कष्ट सदाचारी था । यह पितासहित गंधमादन 'गाय को मारा । प्रायश्चित् क्या है, यह पूछने पर सब | पर्वत पर रहता था । दक्षिण दिशा में यह रावण लोगों ने उसे इसके पास भेजा । इसने सभा बुला कर | का सीमारक्षक अधिकारी था (वा. रा. अर. ३१)। विचार किया तथा प्रायश्चित बताया (श. वा. ११. ८. इसके अधिकार में चौदह सेनापति तथा चौदह हजार ४. १)। यह केशिन का प्रतिस्पर्धी था। खंडिक एवं | सैनिक थे (वा. रा. अर. १९; २२)। खांडिक्य एक ही होंगे (मै. सं. १. ४. १२)। । ___ शूर्पणखा ने रामलक्ष्मण से प्रेमयाचना की। राम
खनक--विदुर का मित्र । यह पच्चीकारी के काम में | के संकेतानुसार लक्ष्मण ने उसके नाक, कान काट अत्यंत कुशल था। पांडवों को मारने के लिये दुर्योधन ने | डाले। वह आक्रोश करते हुए जनस्थान में खर पुरोचन के द्वारा लाक्षागृह तैयार कराया। पांडव के पास गयी । खर ने अपने चौदह सेनानायक एवं, लाक्षागृह में रहने लगे। एक दिन खनक, विदुर की | चौदह हजार सैनिक राम पर आक्रमण करने भेजे । आज्ञा से विदुर की चिह्नस्वरूप अंगूठी ले कर युधिष्ठिर | राम ने सब का वध किया। अपने सेनापति दूषण के के पास आया । विदुर के द्वारा बताया गया समाचार नेतृत्व में सेना तयार कर, इसने स्वयं राम पर आक्रमण उसने निवेदन किया। युधिष्ठिर ने संतुष्ट हो कर, पुरोचन | किया। राम ने लक्ष्मण को सीता की सुरक्षा के लिये, को पता न लगते हुए पांडवों की लाक्षागृह से मुक्ति | एक पर्वत की गुहा में जाने को कहा । उन के जाने के बाद, करने के लिये, इससे कहा। इसने लाक्षागृह के मध्य से | राम कवच धारण कर, युद्ध के लिये तत्पर हुआ । युद्ध खंदक तक एक सुरंग बनायी (म. आ. १३५.१)। प्रारंभ होने के बाद, राम ने केवल धनुष बाण से दूषण प्रा. च. २३]
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