Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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क्षेमधन्वन्
क्षेमधन्वन --क्षेमधृत्वन् पौण्डरिक देखिये । २. धर्मसावर्णि मनु का पुत्र । क्षेमधर्मन् नाम भी प्राप्त
है।
प्राचीन चरित्रकोश
क्षेमधर्मन--( शिशु, भविष्य) भागवत, मत्स्य, ब्रह्मांड तथा विष्णु मत में काकवर्ण का पुत्र वायु में इसे क्षेमवर्मन् कहा गया है (क्षेमधन्वन् २. देखिये) ।
क्षेमधी - (सू. निभि.) चित्ररथ जनक का पुत्र । विष्णु में इसे क्षेमारि कहा गया है।
क्षेमधूर्ति--सास्य का सचिव तथा सेनापति खांब ने इसे पराजित किया (म. व. १७.११)। भारतीय युद्ध में यह दुर्योधन के पक्ष में था। बृहत्क्षत्र ने इसका वध फिया (म. द्रो. ८२.६ ) । क्रोधवंश के एक राक्षस का । यह अंशावतार था (म. आ. ६१.५९ ) ।
२. क देश का अधिपति एवं एक क्षत्रिय । भीम ने इसका वध किया (म. क. ८.३२-४५ ) ।
२. (सो. कुरु) पृतराइपुत्र ( क्षेममूर्ति देखिये) ।
४. एक क्षत्रिय बृहन्त का बंधु सत्यकि के साथ इसका युद्ध हुआ था (म. हो. २०२५ - ४८ ) ।
क्षेकत्वन पौंडरिक-- (सू.. इ. ) मुझमन् नदी के तट पर पौंडरीकश कर के इसने समृद्धि प्राप्त की। पुराणों में इसे पुंडरीकपुत्र क्षेमधन्वन् कहा है (पं. ब्रा. २२.१८.७) ।
ख
खगण - (स. इ.) भागवत मत में बनाम का पुत्र इसका पुत्र विधृति । विष्णु मत में शंसनाम तथा बायु मत में शंखण यही होगा ।
खटवांग
क्षेमभूमि - (ग. भविष्य) वायुमत में भागवतपुत्र । क्षेममूर्ति -- धृतराष्ट्रपुत्र । भीम ने इसका वध किया। दाक्षिणात्य प्रति में क्षेमपूर्ति एवं उत्तरीय प्रति में क्षेमवृद्धि पाठभेद प्राप्त है (म. आ. परि. १.४१ पंक्ति १९ ) । २. पुलह तथा श्वेता का पुत्र (ब्रह्मांड. २.०.१८०१८१ ) ।
क्षेमवर्मन-क्षेमधर्मन् देखिये ।
क्षेमवृद्धि - साल्व राजा का सेनापति (म.व. १७. ११) ।
क्षेमशर्मन्दुर्योधन के पक्ष का एक राजा । भारतीय सुपणकार की थी। उस में गरुड की गर्दन की जगह युद्ध में दोणाचार्य सेनापति थे । उन्होंने सेना की रचना फलिंग, सिंहल आदि राजाओं के साथ यह राजा भी पूर्ण तयारी से खड़ा था (म. प्रो. २०.६ ) ।
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क्षेमा -- एक अप्सरा | कश्यप एवं मुनि की कन्या । क्षेम्य - - (सो. पूरु. ) उग्रायुधं राजा का पुत्र । इसे सुवीर नामक पुत्र था।
२. क्षेम ४. देखिये ।
क्षैमि सुदक्षिण का पैतृक नाम (जै. उ. प्र. २.६. ३; ७.१ ) ।
२. श्याम पराशरकुलोत्पन्न एक ऋषि ।
प्रमति को रुरु नामक पुत्र होगा। उससे भेंट होगी, तब तू शापमुक्त हो कर पूर्वस्वरूप को प्राप्त होगा " . (म. आ. ११)।
स्वगम एक तपस्वी ब्राह्मण यह एक बार अग्निहोत्र कार्य में निमग्न था । उस समय सहस्रपाद नामक एक मित्र ने विनोद से तृण का सर्प इसके ऊपर फेंका । इस कारण यह मूर्च्छित हो गया। सावधान होने के बाद इसने शाप दिया, 'जिस प्रकार के साँप से तूने मुझे डराया है, उसी प्रकार वा तृणतुल्य सर्प तू होगा। यह शाप सुन कर दुःख से बिल हो कर मित्र ने दया की विव्हल याचना की। तब खगम ने उःशाप दिया, "भृगुकुल में
खट्वांग -- (सृ. ३) विश्वसह राजा का पुत्र । देवदैत्यों के युद्ध में, यह देवताओं की मदद करने स्वर्ग गया था युद्ध समाप्त होने पर, देवताओं ने इसे वर मांगने को कहा । इसने पूछा कि, उसकी आयु कितनी अवशेष
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खंज ---दनसंशी राजा ब्रह्मदेव के वरदान के कारण, यह महापराक्रमी हुआ। अर्जुन ने इसका वध किया (पद्म.. ६)