________________ नीति-शिक्षा-संग्रह 73 तालाबों, नदियों, कुओं, बावडियों और ऐसे ही अन्यान्य अलाशयों में पत्थर मत फेंको / 74 पराई स्त्री को अपनी माता के समान समझो। पराये धन को धूल के बराबर समझो और प्राणी मात्र में अपनी सी नान देखो. अर्थात् किसी को कष्ट न पहुँचाओ। 75 यदि भाप ठाले (निकम्मे) हों तो किसी अपने मित्र के यहाँ जाकर उसके काम में विन्न मत डालो / यदि आपका मित्र लिहाज के कारण आपसे कुछ न कहता हो तो आप उसके समय का.ध्यान रखो / अपनी व्यर्थ की बातों में उसका अमूल्य समय बरबाद मत करो। __76 किसी पाठशाला में जाकर पढ़ानेवाले से अकारण ही बहुत देर तक बातचीत न करो। जहाँ तक बन सके किसी साधारण काम के लिये भी स्कूल में न जाओ / आप अपनी बात को पत्र द्वारा भी अध्यापक महाशय को सूचित कर सकते हैं। 77 जिस किसीने अपने साथ कभी भी उपकार किया हो उसके उपकार का बदला, समय पाते ही, अवश्य चुका दो / ... 78 टेबल (मेज) वगैरः बैठने की वस्तु नहीं है, इसलिये बैठने की जगह पर ही बैठो। बहुत से महाशय लिखते हुये व्यक्ति की टेबल पर ही लद जाते हैं। 76 अपनी खुद की पुस्तक पर अथवा किसी दूसरे की पु. स्तक पर जो मन में भावे सो न लिखो। क्योंकि पुस्तकें लिखने के