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। नांहीं है आर जेते संसार में देव, इन्द्र, अहमिन्द्र, चक्री, कामदेव, विद्याधर-इन सबनि के सुख अनन्तकाल के बीते; सो सबनिकों इकट्ठ करिश, तो भी मोक्ष सुस्त्र के एक समय मात्र भी नाहीं होय हैं। इहाँ प्रश्न-जो अहमिन्द्र अरु इन्द्र के सुखत भी बहुत सुख और कहा होयगा, सो कहो? ताकौं कहिए हैं। भो भव्य ! सुनि, जैसे कोई पुरुष ऊँट की असवारी किरा राह में ऊँट को दौड़ावता, चल्या जाय है । सो ताके पीछे एक मारने को वैरी पोठि पीछे लागा, सो वाकौं देखि भय खाय ऊँट दौड़ाया, सो कुदाता चल्या जाय है। पीछे वैरी भी चल्या आये है। ऐसे जात राह (रास्ते) में भूख लागी, अरु प्यास लागी। सो ताके पास लाडू थे सो खाता जाय
है। अस प्यास लागी सो ठण्डा नीर था सो बेला (कटोरा) भरि, पीवता जाय है। सो कछु बन्न-पानी मुख मैं, | कछू भूमि में पड़ता जाय है। ऐसे पुरुष ने ऊँटये लाडू खाय, ठण्डा पानी पीयकै, क्षुधा तिरषा मेंटि, सुख मान्या है! अरु एक पुरुष अपने घर के बाग में सघन छाया में तिष्ठा ताके पासि अनेक सज्जन सुखकारी बैठे हैं। सो द्वेषो कोई नाहीं। सो या पुरुष ने भूख तिरषा मेटवैकौं ठण्डा जल पीया भोजन खाया अरु सुसते सोय रखा। सो इन दोनों में धना (बहुत ) सुख किसके? लाडू जलतो ऊँटवाले ने भी खाये। लाडू जल घर बैठनेवाले ने मी खाये सो जैसा अन्तर इनके सुख में है। तैसा अन्तर देव इन्द्र, बहमिन्द्रन के सत्र में अरु मोक्ष के सुख में है। मोक्ष का सुख तो निराकुल है, भयरहित है अविनाशी है और इन्द्र बहमिन्द्र देव के सुख हैं सो विनाशिक हैं। इनके पीछे कालरूपी वैरी लागा है तातें भय सहित सुख है। ऐसे सामान्य दृष्टान्त का भाव जानना। सो | हे भाई! संसारी इन्द्रादिक के सुख इन्द्रिय जनित तिनत मोक्ष के अतीन्द्रिय सुसते अनन्तानन्त गुणा अन्तर है। तातें जो भव्य सुख का अर्थो होय सो मोक्ष जावे का उपाय करौ। ऐसा उपदेश सुनि कोई भव्यात्मा मोक्ष सुख का अभिलाषी पूछता मया । हे गुरु नाथ ! मोक्ष के सुन अाफ्ने सर्व दुस्ख-रहित कहे। सो मोक्ष केसे पाईए ताका मार्ग कहो । तब गुरु है सोई शिष्य के प्रश्नपाय ताके हितकं कहते भये । भो भव्य ! सुनि, सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान सम्यकचारित्र है । सो मोक्ष मार्ग है। सौ है भव्य सम्यग्दर्शन तो मोक्ष का सरधान ( श्रद्धान) होय है। मोक्ष अनन्त सुख का स्थान है। ऐसे श्रद्धान होते पीछे सम्यग्ज्ञान होय । तात मोक्ष-मार्ग जान्या जाय है। ता मोक्ष-मार्ग मैं चालिए है।तात प्रथम तौ श्रद्धान चाहिये पीछे जानपना चाहिये पीछे मार्ग में चलना होय है। तब वांछित स्थान
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