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| ज्योतिरसा, अंजना, अंजनमलिका, अंकापृथ्वी, स्फाटिका, चन्दना, सर्वार्थका, वकुला. शैला-ऐसे सोलह भाग हैं। पंक भाग चौरासी हजार योजन है। इन दोऊ भागन में तौ व्यन्तर भवनवासी देव बसे हैं और अस्सी हजार । योजन का जाड़ायरा (मोटा) लिये अब्बल माग है। तहां प्रथम नरक है। तहाँ पाथड़े तेरह हैं और सर्व बिल || तीस लाख हैं। तो आयु उत्कृष्ट राक सागर है। काय की ऊँचाई सवा इकतीस हाथ है। ऐसे प्रथम नरकाश आगे दूसरा शर्करा नामा नरक तहां पाथड़े ग्यारह । काय साढ़े बासठि हाथ आयु तीन सागर और बिल पच्चीस लाख, मोटाई पृथ्वी की बत्तीस हजार योजन है । २ । बालुका नरक में पाथरे नव, बिल पन्द्रह लाख, आयु सात सागर, पृथ्वी को मोटाई अठाईस हजार योजन और काय एक सौ पच्चीस हाथ। इति तोजी नारक।३। चौथी पृथ्वी पंकप्रभा में पाथड़े सात आयु सागर दश की काय दोय सै पचास हाथ है। भूमि की मोटाई चौबीस हजार योजन है और बिलन का प्रमाण दश लाख है। रीसे चौथी नारक। ४। आगे धूम प्रभा पाँचवों नारक। तहां पाथड़े पांच काय हाथ पांचसै आयु सतरह सागर बिलन का प्रमाण तीन लाख पृथ्वी की मोटाई बोस हजार योजन । इति पांचवीं नारक।श आगे छठी पृथ्वी तमनामा तहां पाथड़े तीन है। काय एक हजार हाथ है। बिलन का प्रमाण पोच घाटि एक लाख है। भूमि की मोटाई सोलह हजार योजन है। इति घट्ठी पृथ्वी।६। आगे सातवीं पृथ्वी महातम। तहाँ पाधड़ा एक है। बिल पोच हैं। काय दोय हजार हाथ (पांच से धनुष) है। आयु तैतीस सागर है। भमि की मोटाई आठ हजार योजन की है। इति सातवीं पृथ्वी। ७। ऐसे अधोलोक का सामान्य कथन कह्या ।।
आगे मध्यलोक एक राज विस्तार सहित है। तहा असंख्याते द्वोप असंख्याते समुद्र हैं। तहां असंख्यात द्वीप तौ तिर्यक-लोक है। तिनके मध्य मैं अढाई द्वीप पैंतालीस लाख योजन क्षेत्र मनुष्य-लोक है। इससे मागे मनुष्य का गमन नाहीं। तहां प्रथम लास्त्र योजन विस्तार सहित जम्बूद्वीप है। तहां दोय चन्द्रमा, दोय सूर्य हैं
और लवण समुद्र मैं चन्द्रमा चार है। सूर्य चार हैं। सो सागर दोय लाख योजन विस्तार धरै है। जम्बूद्वीप | ते दुना जानना। तहां आगे च्यारि लाख योजन विस्तार सहित लवणोदधितै दुना बड़ा धातकीखण्ड द्वीप है। तहा चन्द्रमा बारह और सूर्य बारह हैं और धातकोखण्डत द्वना विस्तार सहित आठ लाच घोजन विस्तार धरै