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होय, तो औरन कूं मिध्या उपदेश देय, औरन का बुरा करै। अपने उत्तम कुलकूं दोष लगावें । तातें ब्राह्मणकूं यथार्थ श्रद्धान आपकं चाहिये, तो औरनकूं भी सत्य उपदेश देय, औरन का भला करै । तब ब्राह्मण कुल की श्रेष्ठता रहे। याका श्रेष्ठता नाम-पचिव अधिकार है | ५| जो ब्राह्मण आप पण्डित होय । दया-धर्म का धारी होय अन्य शिष्यजनक कल्याण के अर्थ – मोक्ष- लक्ष्मी का वांच्छ्नहारा होय । अनेक प्रायश्चित्त शास्त्रन का वेत्ता होय, श्रावकन के व्यवहार का परिपाटी का जाननहारा होय। जहां कोई श्रावककों प्रमादवशात्, संयम में दोष लगा होय, तो दया भाव करि, ताके मेंटवे कूं. शिष्यन के पाप नाशवे कुं, यथायोग्य प्रायश्चित्त बताय, शुद्ध करें। ऐसा ब्राह्मण चाहिये और कदाचित् आपही अशुद्ध होय. क्रोध-मान- माया -लोभ- पाखण्ड करि भरया होय तथा अज्ञानी होय; तो औरनकों धर्म-मारग कैसे बतावें ? जैसे --- कोई उग से उद्यान मैं
शुद्ध-राह । तो ठग. शुद्ध राह कैसे बतावे ? तथा कोई अन्धे सैं उद्यान की राह पूछे तो वह उद्यान की राह कैसे बतावें ? तैसे ही कषायसहित सो तो ठग समान, सो शुद्ध मार्ग नहीं बतावें । वह अज्ञान अन्धे समान है। सो आपही कौं सुमार्ग नहीं सू । तौ औरकों कैसे बतावें ? तातैं ब्राह्मण के ये दोऊ दोष कहै । सो कषाय अरु अज्ञानता तैं रहित सज्जन स्वभावी, दयामूर्ति, महापण्डित, अनेक प्रायश्चित्त शास्त्रन का ज्ञाता ब्राह्मण चाहिये । अरु जो ब्राह्मण आप प्रायश्चित्त शास्त्र तो नहीं जानें। आपको दोष लागे, तब आपकूं औरन पै दीन होय. प्रायश्चित्त याचना पड़े। तार्तें आपा-पर के सुधारक, अनेक नय का वेत्ता, गृहस्थन को क्रिया व्यवहार जानें वह व्यवहार नाम छट्टा अधिकार है । ६ । ब्राह्मण, उत्तम गुण-सम्पदा का धारी, उत्कृष्ट-पूजनीय गुण सहित, धीर बुद्धि, पूजा-जप-तप-संयम सहित अनेक गुण पालक, सत्पुरुष ब्राह्मण राजान करि अवध्य है। जैसेचोर, चकार, चमचोरादि सप्तव्यसन के धारी जीव, वधवे योग्य हैं। तैसे अनेक गुण का धारी ब्राह्मण. वधवे योग्य नाहीं । पूजने योग्य है और जो गुणी, पूजन योग्य, दीर्घ ज्ञानी कूं हनै, तो महापाप होय । ज्यों-ज्यों दीर्घ ज्ञानी का घात होय त्यों-त्यों विशेष पाप जानना । जैसे— राकेन्द्रिय के घात तैं, दो इन्द्रिय के घात का पाप बहुत है। ते इन्द्रिय का दो-इंद्रिय तैं बड़ा है। ते इन्द्रिय के घात तैं चौ-इन्द्रिय के घात का पाप विशेष है। ऐसे ज्यों-ज्यों ज्ञान बध्या, त्यों-यों इन्द्रिय बधो, सो इन्द्रियन के बघवे हैं, ज्ञान बध्या तातें ज्यों-ज्यों ज्ञान बधता
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