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केवलज्ञान भया। इति केवलज्ञानके पूर्व के उपवास। आगे चौबोस-जिनके केवलज्ञान उपजनके क्षेत्र कहिये । ।। है-तहां वृषभदेवका केवल-कल्याणक तौ पुरमताल नाम नगरीके निकट, सकटामुख, नाम वन विर्षे भया।
नेमिनाथका गिरनारजी विणे, पाश्र्वनाथका काशीके निकट. महावीरजीका ऋजुकला नदीके तट। बाकी सर्व जिनके केवल-कल्याणक, मनोहर वन विष भये सो वृषभनाथ, श्रेयांस-जिन, मल्लिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ इन
| पांच जिन कूतो केवलज्ञान प्रभात समय भया। और सर्व कू दिनके पिछरे पहरमें केवलज्ञान मया । इति । केवलज्ञानके स्थान और काल। आगे निर्वाण होनेके काल कहैं हैं-तहां वृषभनाथ, अजितनाथ, श्रेयांसजिन,
शीतलजिन, अभिनन्दननाथ, सुमतिनाथ, सुपार्श्वनाथ, चन्द्रप्रभ इन जिन कौ तौ दिनके प्रथम पहरमें मोक्ष भया । अरु संभवनाथ, पद्मनाथ, पुष्पदंत ये जिन दिनके पिछले पहरमें मोक्ष गए। वासुपूज्य, विमलनाथ, अनंतनाथ, शीतलनाथ, कुंथुनाथ, मल्लिनाथ, मुनिसुव्रतनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ इनको मुक्ति रात्रि-समय भयो और धर्मनाथ, अरहनाथ, नमिनाध, महावीर इनकी मुक्ति, सूर्यके उदयकाल समय प्रभात हो भयो। इति चौबीस-जिनके मुक्ति समय। आगे चौबीस-जिनके मोक्ष-गमन आसन कहिए है.-तहां वृषभनाथा, वासपूज्य, नमिनाथ, ए तीन जिन तौ पदमासन से मोक्ष गए। और सर्व जिन कायोत्सर्ग(खड़गासन) आसन ते सिद्ध-लोक गए। इति मोक्ष-गमनके आसन । आगे चौबीस-जिनका समवशरण विघटना अरु वाणी (दिव्यध्वनि) नहीं खिरना ताका प्रमारा कहिय है-तहां आदि-जिनके अरु अन्त-जिनके इन दोय जिनके तौ मोक्ष जानेके जब चार दिन रहे तब समवशरण विघटत्या। अरु वाणी नहीं खिरो। अन्य सर्व जिनके एक महीना पहिले समवशरण विघटया अरु दिव्यध्वनि नहीं खिरी1 आगे चौबीस-जिनके संग केते-केते यति मोझ भए तिनका प्रमाण कहिए है-महावीरके संग ३६ मुनि मोक्ष गए। पाइ नाथकी लार ५३६ मुनि मुक्ति पहुँचे। नैमिनाथके संग ५३६ ऋषीश्वर मोक्ष गए। मल्लिनाथके साथ ५०० यति मोक्ष भए। और शान्तिनाथके संग ६०० योगीश्वर मोक्ष गए। और धर्मनाथकी लार (संग)८०१ तपोधन मोक्ष भए। विमलनाधाके लार ६६१२ जाचार्य
मोक्ष भए। अनन्तनाथके संग ५५०७ निर्माता, निरञ्जन भरा और पद्मप्रमके साथ ३८०० दिगम्बर भए । ।। अरु सिद्ध लोक गए। और वृषभदेवके लार १०००० गुरुनाया अमूर्ति भए। शकी सर्व तीर्थकरोंके साथ
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