Book Title: Sudrishti Tarangini
Author(s): Tekchand
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 576
________________ कछु मन्द भई। सो सूर्य-चन्द्रमा दीखते भयै। तिनकं देख, प्रजा डरी। जो ये कहा है? तब कुलकर ते पूछी । Jहे प्रभो ! ये वहा सवाला नहीं दीष्टे सोये हमारा कहा करेंगे, सो कहौ । तब कुलकर महाविवको सर्वकू । सम्बोधे। कही भय मति करौ। ये ज्योतिषी देवन के इन्द्र हैं। इनके विमान, अनादि-निधन है। अ विमान, अनादि-निधन हैं। अब ताई कल्यवृतन की प्रभाते नहीं दीखते थे, सो अब वृक्षन की ज्योति मन्द भई तातें दीखे। खेद-कारी नाहीं। ऐसे संबोध, प्रजा को सुखी किया।शदूसरे कुलकर की काय १३०० धनुष । इनके काल में, ज्योतिषी जाति के कल्पवृक्षन की प्रभा, मन्द भई। तब तारा-नक्षत्रन के विमान दीखे। तिनकं देख, भोरी दुनियां डरी। तब जाय कुलकर पै पूछी। तब कुलकर ने सर्व भेद बताय सुखी किये। तातें सन्मति नाम भया।२। तीसरे कुलकर की काय, आठ सौ धनुष। थाके समय सिंहादिक जीव कर भये। तिनकू देख, भोरे लोक डरते भये। तब कुलकर • पूछी। प्रभो अब ताई इन जीवनतै रमै थे, सो नाना सुख होय था। अब ये भय करि, मारे हैं। तब कुलकर लोकन कू भोरे-सरल परिणामी जानि कही तुम इनका विश्वास मति करौ। लष्ट-मुष्ट ते निवारौ। ऐसे कह सुखी किये। सो इनका नाम-क्षेमङ्कर कह्या । ३। और चौथे कुलकर के समय, शरीर की उतुङ्गता, सात सौ । पचत्तरि धनुष है । याके समय सिंहादिक जोय कर भये । तब कुलकर काही-सुम लाठी राखौ। आवे तब मारौ। विश्वास मति करौ। काल दोष ते, आगे विशेष कर होयगे। ऐसे उपाय बताय सुखी किये। तातै क्षेमंधर नाम भया । ४ । पञ्चम कुलकर के समय, काय सात सौ पचास धनुष रही। कल्पवृक्ष घटि चले। कोऊ के कैसा कल्पवृक्ष नाही, कोऊ कैसा नाहीं। इसमें परस्पर खेद करते भये। तब कुलकर पै गये। सो कुलकर ने, अपनी-अपनी सीमा बताय दई। जो अपने-अपने क्षेत्र में होय सो भोगों और दुसरे की सीमा का, ताकी आज्ञा के बिना मति लांघौ। आपस में याच लेव! जो फल जाके नहीं होंय सो वा लीने और वाकें जो फल नहीं होय, सो वाकौ दिये। ऐसे उपाय कर सीमा बाँधी । तातै सीमंकर नाम पाया। ५। छ? कुलकर को काय सात सौ ५६० पच्चीस धनुष है। इनके समय, कल्पवृक्ष विशेष घटि चले। तब परस्पर लोग खेद करि कषाय रूप होने लगे। तब कुलकर ने, अपने-अपने कल्पवृक्ष के चिह कर दिये, सो जो जाके चिह्न का है, सो ही भोगै। तातै इनका नाम-सोमंधर भया।६। सातवें कुलकर की काय को ऊँचाई, सात सौ धनुष को थी। याने लोकन कं, हस्ती

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