Book Title: Sudrishti Tarangini
Author(s): Tekchand
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 591
________________ ghost ho श्री सु श्री ५०३ छत्त हैं. लंबता जानना । और धूपघट, धरती प जानना । और माला, चौतरफ मोति, तिनतें लटकती जाननी । ऐसे रचना सहित जिन मन्दिर हैं। ताके आगे १०० योजन लम्बा, ५० योजन चौड़ा और १६ योजन ऊंचा, जिन मन्दिर समान, एक मुख्य मंडप है। सो अनेक रचना सहित जानना । ताही मुख्य मण्डप के आगे एक चौकोर, प्रेक्षण मंडप है। ताका विस्तार २०० योजन लम्बा-चौड़ा, और कुछ अधिक सोलह योजन ऊंचा है। और इस प्रेक्षण मण्डप के आगे, दोय योजन ऊंचा, ८० योजन चौड़ा - लम्बा एक पीठि कहिये चबूतरा है। सो कनकमयो जानना । तिस पीठिका के मध्य, चौकोर, मणिमत्र, ६४ भोजन लम्बा, १६ योजन ऊंचा एक मन्डप है। इसही मण्डप के आगे, एक मणिमयी, स्तूप की पीठिका है। सो पीठिका, ४० योजन ऊंची है । तिस पीठिका के चौतरफ, १२ वेदी हैं । तिन एक-एक वेदों के व्यारि-व्यारि द्वार हैं। ता पीठिका के मध्य, तीन कटनी सहित ६४ योजन ऊंचा, अनेक-रत्नमयी स्तूप है। ता स्तूप के ऊपर, जिनबिम्ब विराजमान हैं । सो ऐसे, ६ स्तूप हैं । तिन सबका ऐसा हो वन जानना । तिन स्तूपोंके आगे, १००० योजन लम्बा-चौड़ा, एक स्वर्णमयी पीठ है। ताके चौगिरद, १२ वेदी हैं। तीन कोट व च्यारि च्यारि द्वारन करि सहित, कोटवेदी जानना | तिस पीठि के ऊपर, एक सिद्धार्थ नामा वृक्ष है। ताका स्कन्ध ४ योजन लम्बा, और चौड़ा १ योजन है। ताकी व्यारिः बड़ी साखायें, १२ योजन लम्बी हैं। छोटी शाखा अनेक हैं। और वृक्ष, ऊपर १२ योजन चौड़ा है । और अनेक पात, फूल, फलन करि सहित है । सो यह वृत्त, रत्नमयी जानना। यह एक सिद्धार्थ नामा, बड़ा वृक्ष जानना । ताके परिवार में अनेक वृक्ष हैं। ऐसो हो रचना सहित तथा ऐसाही विस्तार धरै, चैत्य वृक्ष है। ऐसे सिद्धार्थ व चैत्य थे दोय महा वृक्ष हैं। सो सिद्धार्थवृक्षके मूल विषै तिष्ठति, सिद्ध-प्रतिमा है। और चैत्यवृक्षके मूलभाग विषै तिष्ठती समभूमि पै, तीन पीठका, सिंहासन, छत्र आदि अनेक प्रकारको रचना सहित च्यारों दिशा विषै. अरहंत प्रतिमा विराजमान हैं। तहाँ अरहंत व सिद्ध प्रतिमा विष, विशेष एता जानना । जो सिद्ध प्रतिमा चमर-छत्रादिको रचना नाहीं। और अरहंत प्रतिमा कैं, बमर-छत्रादिकी रचना होय है । और तिस पीठिके आगे एक पीठि है तामै नाना प्रकार ध्वजा शो हैं । तिन ध्वजाके, स्वर्णमयी दण्ड हैं सो दण्ड, १६ योजन लम्बे हैं। और एक योजन चौड़े हैं। और तिन ध्वजाके अनेक प्रकार वर्ण हैं । रत्नमयो वस्त्र हैं १८३ . रं 何 यो

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