Book Title: Sudrishti Tarangini
Author(s): Tekchand
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 583
________________ श्री सु [ ि ५७५ मई। ऐसे राजा यदु का वंश सामान्य कया । इति यदुवंश आगे कौरव पाण्डव वंश कहिए है। तहाँ कुरुवंशीन में, आगे शान्तिक नाम राजा भए । तिनकी शिवकी नाम, महासतो रानी भई। ता शिवको के गर्भ तैं, पाराशर नाम महाप्रतापी राजा भए । तिनके, गङ्गा नाम स्त्री होतो भई सो ये राजा गङ्गाधर की पुत्री है। इस गङ्गा के गांगेय पुत्र भया । सो ये गगिय, महान्यायो, बाल- ब्रह्मचारी भए पाराशर को दूसरी रानी, धीवर के घर पलती गुणवती नाम राजकन्या, पाराशर ने व्याही ता पुरायती दीवर पुत्री, सार्क व्यास नाम राजा अवतरे, सो महागुवान राजा भए । तिनके सुभद्रा नाम रानी भई ताके गर्भ तें, व्यास राजा के तीन पुत्र भरा। धृतराष्ट्र, पाण्डवकुमार और विदुर । सो धृतराष्ट्र के दुर्योधन, दुश्शासनादि पुत्र भए । पाण्डव नै अन्धकवृष्टिजी को, कुन्ती और माद्री – ये दोय पुत्री परणी सो कुन्तो के व्यारि पुत्र भए । सो बड़े तौ कर्ण, सो इनको बालपने में सन्दूक में धरि जल में बहाए थे। सो चन्द्रपुरी में राजा सूर्य के यहां पले । ये गुप्त भए थे। ताते पर घर पलै+ पोछे कुन्ती के तीन पुत्र और भरा। युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन अरु माद्री के नकुल, सहदेव - ये दोय मग जरु अर्जुन के अभिमन्यु नाम पुत्र भया । ऐसे कौरव पाण्डवन की उत्पत्ति कही। इति पाण्डववंश, सामान्य कथन । आगे द्रोणाचार्य को वंश-पट्टावली कहिए है। तहाँ वंश तौ भार्गव है। तामें वामदेव, महाविद्यातिलक भए । तार्के, कापिष्ठल- पुत्र भया । तिनकैं यशस्थामा पुत्र मया । तार्के, श्रवर नाम पुत्र भया । तार्के, सरासर नाम पुत्र भया ताकेँ, द्रावण नाम पुत्र भया । तार्के विद्रावण पुत्र भया । ताकेँ, द्रोणाचार्य भए । तार्के, अश्वत्थामा पुत्र भया । इति द्रोणाचार्य कुल। आगे जरा सिन्धु को पट्टावली कहिए है - हरिवंश के वसु के मगधदेश का राजा निहतशत्र भया । तिनके, राजा सतिपति भए । तिनके, वृहद्रथ राजा भए । तिनके राजा जरासिन्धु और अपराजित राजा भए । सो जरासन्धु नवां प्रतिहरि भया । ताकै, कालयमन पुत्र भया । यह जरासिन्धु का वंश काह्या । इति नववें नारायण के समय के पुरुषन का कथन आगे सगर चक्रो का वंश कहिए है। तहां इक्ष्वाकु तो वंश है। आदिजिन के पोछे, असंख्यात राजा भए । ता पोछें, राजा धरणीधर तिनके, तिरयशजय भये । तिनके पुत्र, जितशत्रु और विजयसागर ये दोय भए । सो जितशत्रु के तो अजितनाथ भरा अरु दूसरे भाई, विजय सागरकै, सगर चक्री भए। तिनके, साठ हजार पुत्र भरा और भागीरथजी भये। ऐसा जानना। ये सगर-वंश। ऐसे महान् पुरुषों की ३७५ • t गि सी

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