Book Title: Sudrishti Tarangini
Author(s): Tekchand
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 584
________________ श्री सु इ ि ५७६ परिपाटी कही। सो भव्यनकं मङ्गलकारी होऊ। आगे ग्यारह रुद्रन का कथन कहिए है। तहाँ प्रथम भीम नामा रुद्र है। सो आदिनाथ के समय भए । ताको आयु. तियासी लाख पूर्व की है। शरीर को ऊँचाई, पांच सौ धनुष है । २ । दूसरा जयतिशत्रु नाम सी अजितनाथ के समय भया । इनकी आयु इतर लाख पूर्व ! शरीर को ऊँचाई साढ़े च्यारि सौ धनुष है । २ । तीसरा, नववें तीर्थङ्कर के समय भया, सो रुद्र नाम का रुद्र है। इनकी आयु, दोय लाख पूर्व को है। काय, सौ धनुष है । ३। चौथा रुद्र विश्वानल है। सो दशवें तीर्थङ्कर के समय भया । आधु. एक लाख पूर्व । काय की ऊँचाई नब्बे धनुष । ४ । पचिव रुद्र, सुप्रतिष्ठ है। सो श्रेयांस तीर्थङ्कर के समय भया । याकी आयु, चौरासी लाख वर्ष । काय उतुङ्ग ८० धनुष है। ५। और छठवां रुद्र, वासुपूज्य जिनके समय भया । ताका नाम, अचल रुद्र है आय, ताकी साठ लाख वर्ष हैं। काय सत्तर धनुष की है । ६ । सातव रुद्र. पुण्डरीक नाम सो विमलनाथ के समय भया । ताकी आयु, पचास लाख वर्ष है। काय, साठ धनुष है। ७ । और आठवां, अजितधर नाम रुद्र । सो अनन्तनाथ के समय भया। ताकी आयु. चालीस लाख वर्ष है। काय, पचास धनुष है। | नववा रुद्र, जितनामि है सो धर्मनाथ के समय मया । ताकी जय, बीस लाख वर्ष । काय, अट्ठाईस धनुष है | दशव रुद्रपीठि नाम है सो शान्तिनाथ के समय भया । ताकी आयु. एक लाख वर्ष । काघ, चौबीस धनुष को है । ३०१ ग्यारवां रुद्र, सात्यकी है सो अन्त में महावीर के समय भया । आघु ताकी गुणत्तरि वर्ष है। काय, सात हाथ की है । २१1ये सर्व रुद्र, ग्यारह अङ्ग व दश पूर्व के पाठो होय हैं और जिनका क्रोध रूप, सहज स्वभाव है। इन ग्यारहों का हो कुमारकाल, संयम काल, संयम छूटने का काल असंयम-काल ही है। ये पहिले संयम धारें हैं। अनेक तप-बल, तैं, इनको ज्ञान शक्ति ऋद्धिशक्ति बधै प्रगटे है। तब पीछे भोगाभिलाषी, मानार्थी होय, संयम तर्जें हैं। ऐसा सर्व रुद्रन का सहज स्वभाव जानना । इति रुद्र कथन । आगे नव नारद का स्वरूप कहिये है | ये नव नारद हैं, सो नारायण के समय ही होय । सो तिनकी आयु काय, नारायण बलभद्र प्रमाण जानना | सो तिनके नाम सुनहु भीम, महाभीम, रुद्र, महारुद्र, काल, महाकाल, दुर्मुख, नरक-मुख और अधोमुख । इति नारद नाम आगे चौबीस कामदेव के नाम कहिये हैं। बाहुबलि, अमिततेज, श्रीधर, दश-भद्र, प्रसेनजित, चन्द्रवर्ण, अग्रिमुक्त, सनत्कुमार, वत्सराज, कनकप्रभु, मेघवर्ण, शान्तिनाथ, कुन्थुनाथ, अरहनाथ, ५७६

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