Book Title: Sudrishti Tarangini
Author(s): Tekchand
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 582
________________ . a का अवतार भया सो राजा इन्द्र का मुख्य सेवक सो इन्द्र के संग, यतीश्वर भया। ऐसे इन्द्र रावण का सम्बन्ध जानहु-ये रातसर्वशी रावण है । राक्षस-देव नाहीं। रावण मनुष्य है। आगे विद्याधरों में वानरवंशो हैं। तिनको कथा सुनौ-आगे श्रीकण्ठ नाम विद्याधर भए । तिनने समुद्र के टापू में वन्दर-द्वीप वसाया। ता श्रीकण्ठ के कुल में, राजा अमरप्रभ भए। शिम ध्वजा में य-दर का चित कराया। इस यन्दरवंशी प्रसिद्ध भए । पोछे अमरप्रभ के कुल में, कहकन्द नामा राजा भए, सी कहकन्द के दोय पुत्र भए । सो एक नाम सूरजरज अरु दूसरे का ऋष्यरथ । सुरजरजकों, बालि अरु सग्रोव-ये दोय पुत्र मए अरु ऋष्यरण के, नल अरु नोल भए । अरु सुग्रीव के, अङ्ग अरु अङ्गद-ये दोय पुत्र भए। ये सुग्रीव का वंश कह्या और इस हो वंश विर्षे, राजान का राजा, महातेजस्वी, अनेक विद्याधरन का नाथ राजा प्रहलाद भया। ताके पुत्र महा पुण्याधिकारी, पवन समान महाबलवान्, राजा पवनअय भए । तिन पवनय के, अञ्जना के गर्भ से महाबड़भागो, चरमशरीरी, हनुमान पुत्र भरा । सो कामदेव भरा। ये वन्दर-वंशीन का कुल कया। ये मनुष्य, महारूपवान राजा हैं । वन्दर नाही हैं । इनका वंश, वन्दर है । ऐसा जानना । ऐसे बन्दर-वंश कह्या । इति आठवें नारायण के समय का कथन, सामान्य कह्या । इनका विशेष, श्रीपदापुराराजी तें जानना । अागे नववें नारायण व बलभद्र के कुल की पट्टावलो तथा इनके समय भये महान् राजा पाण्डवादिक तिनकी उत्पत्ति कहिये है। तहां मुनिसुव्रत स्वामी का कुल हरिवंश तामें अनेक कुल-मण्डन भये । ता पोछे महाप्रतापी राजा यद भये । इनसे यदुवंश प्रगट्या । तिनके कल में, राजा नरपति भये। तिनके दोय पुत्र भये । एक शर, दुसरे सूवीर। सो शर के, अन्धकवृष्टि नाम पुत्र भये और सुवीर के, भोजकवृष्टि मये। सो अन्धकवृष्टि के दश पुत्र भये । तिनमें बड़े पुत्र का नाम तो, समुद्रविजय है अरु सब तैं छोटे का नाम, वसुदेव है। भोजकवृष्टि के तीन पुत्र भये। उग्रसेन, महासेन और देवसेन सो उग्रसैन के, कंस नाम पुत्र भया अरु देवसेन के, देवकी नाम पुत्रो भयो। समुद्रविजय, जगत्-गुरु नेमिनाथ, अवतार लेते भये । सो तप लेय, मोक्ष गये अरु वसुदेव के, पन्ना नाम बलभद्र, नारायण कृष्णदेव, जरत्कुमार और गजकुमार-2 च्यारि पुत्र भये और कृष्णा महाराज के प्रद्युम्नकुमार, शम्भुकुमार और मानुकुमार-ये तोन पुत्र भये और अन्धकवृष्टि के कुन्ती अस माद्री-ये दोय पुत्री

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