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कुमार-काल तीन सौ वर्ष । माण्डलिक पद सौ वर्ष । दिग्विजय सत्तरि वर्ष। और चको पद नौ लाख निन्यावे हजार पाँच सौ तीस वर्षांश और छठा, पुण्डरीक वासुदेव भया। ताकी आयु पैंसठ हजार वर्ष । तामें कुमारकाल, अढ़ाई सौ वर्ष । माण्डलीक पद, अढ़ाई सौ वर्ष । दिग्विजय. साठ वर्ष। तीन खण्डका राज्य, चौसठ हजार च्यारि सौ चालीस वर्षदा और सातवां, दत्त नाम नारायण । ताको आयु बत्तीस हजार वर्ष । तामें कुमार-काल, | दोय सौ वष । माण्डलिक पद पचास वर्ष। दिग्विजय, पचास वर्ष तीन खण्डका राज्य, इकतीस हजार
सात सौ वष । ७। और आठवा वासुदेव लक्ष्मण। ताकी आयु बारह हजार वर्ष। कुमार-काल, सौ वर्ष दिग्विजय काल, चालीस वर्ष। अरु राज्य काल, ग्यारह हजार आठ सौ साठ वर्ष। ८। और नवा वासदेव, कृष्णदेवा ताकी आयु, एक हजार वर्ष । तामें कुमार-काल, सोलह वर्ष । माण्डलिक पदछप्पन वर्ष। दिग्विजय आठ वर्ष। अरु वासुदेव पद, का राज्य, नौ सौ बीस वर्ष।। ये नव वासुदेवोंकी आयुका विस्तार कह्या । आगे आठवें, नव नारायण के पिता-दादादिक पुरुषन के नाम। इन के पुत्रन के नाम। इन के समय जो बड़ेबड़े महान राजा मये, तिनके नाम कहिये हैं। आठवें नारायणको तीन योढ़ी कहिये हैं-तहां जागे अनेक राजान करि वन्दनीय, सूर्य समानि तेज का धारी, प्रजा का माता-पिता महान्यायवान्, रघु राजा भया। तिन तें रघुवंश प्रगट भया। ताके वंशमैं, बड़े-बड़े राजा मये। सो प्रजापालक, न्यायके प्रभाव ते. तिनका यश प्रगट मया पीछे सांसारिक सामग्री विनाशिक जानि, पुत्रनक पुर देशनका राज्य सौंप दीक्षा धरि-धरि, स्वर्ग-मोक्षक गये। ऐसे अनेक राजा भये। तिनके पीछे राजा अनिरम्य भये। सो न्यायके सूर्य प्रजारूपी कमलकुं सूर्य समान
आनन्दकारी, तिनकै राजा दशरथ, यशकी मूर्ति होते मथे। सो ए राजा अनिरन्यके पुत्र राजा दशरथ, महा प्रतापी भाये। जिनके तेजकै आगे, वैरी रूपी सरोवर सूखते भये। महा न्यायका जहाज भया। पीछे दशरथजीके च्यारि महादेवी, परमसती.देवीनके रूपकं जीतनहारी, रानी होती भई। तिन रानीके नाम कौशल्या. || सुमित्रा, कैकई, और सुप्रभा। ये च्यारि महा भागवन्ती रानी, इनके च्यारि पुत्र भये। सो कौशल्याके गर्भ ।। ते तौ, श्रीरामचन्द्रजीका अवतार माया. सो बलभद्र भये। सुमित्राके गर्भ त, श्री लक्ष्मण कुमार अवतार पावते भाये सो ए नारायण भए । कैकई के गर्भ से, भरत नाम कुमार भए । सुप्रभाके गर्भ तें शत्रुन कुमार अवतरते भए।