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घोटकन की असवारी बताई। तातें इनका नाम, विमलवाहन भया। ७1 आठवे कुलकरका शरीर छह सौ पचत्तरि धनुष है। इनके समय माता-पिता, बालकका मुख देख मरण करते मये। पहिले माता-पिता पुत्रका मुख नहीं देखें थे। सो अष्टम कुलकरते देखतं मया और नवबें कुलकरका शरीर घह सौ पचास धनुष ' भया। याके समय माता-पिता बालक भये पीछे केतक काल जीवते भये। । । दश कुलकर का शरीर यह सौ पच्चीस धनुष भया । याके समय माता-पिता बालकन कू लेकर चन्द्रमादि की समस्या करि रमावते भये ।२०। और ग्यारहवें कुलकर का शरीर छह सौ धनुष मया। याके समय में परिवार सहित लोक बहुत जीवते भये। १३ । बारहवें कुलकर का शरीर पांच सौ पचत्तरि धनुष है। अब लोग पुत्र सहित सुखी होते भये ॥२२॥ और तेरहवें कुलकर का शरीर पांच सौ पचास धनुष ऊंचा था। ता समय बालक जर सहित उपजते भये। ताहि देख लोग डरे। तब कुलकर कुंजर सहित बालक दिखाया। सो याने जरा-छेदने की विधि बताई।१३। और चौदवें कुलकर नाभि राय भये। सो इनके समय बालक नाभि (नाल ) सहित होने लगे। तब-नाभि छेदने को कला इनने बताई। तातें नामिराय भये। इनका शरीर पांच सौ पच्चीस धनुष भया।१४। ऐसे चौदह कुलकर महा बुद्धिमान् इनमें स्वयमेव ही अनेक कला-चतुराई होय। महा सौम्यदृष्टि, मंद-कषायी होय। ऐसे पत्यके आठवें भाग कालमें, कुलकर चौदह भये। पीछे तीसरे कालके तीन वर्ष साढ़े आठ महिना बाकी रहे तब श्री आदिनाथ का निर्वाण-कल्याणक भया। चौथे कालके तीन वर्ष साढ़े आठ महिना बाकी रहे. तब अन्तिम तीर्थकर महावीर स्वामीका निर्वास कल्याणक भया । महावीरके मोक्ष गये पीछे इक्कीस हजार वर्षके पञ्चमकालमें इमोस कलंकी होयगे। इनके बीचि, इकईस 'उपकलंको होंगे। भावार्थ-इशीस हजार वर्षका पञ्चमकाल है। तामें हजार वर्ष भये एक कलंकी होंयगे । ता पीछे पांच सौ वर्ष पीछे एक उपकलंकी होयगे। ता पीछे यौन सौ वर्ष गये एक कलंकी होयगे। ऐसे हजार हजार वर्ष गये कलंकी हजार हजार वर्ष गये उपकलंकी जानना। बहुत उपद्रवी, धने-क्षेत्रके धर्म-घातक होय; सो कलंकी कहिये। अस अल्प-क्षेत्रके धर्म-घातक होय सो उपकांकी कहिये। सो कलंकी-उपकलंकी सब हो पायाँधकारके उदय करने को रात्रि समान हायगे। इनके। राज्यमें धर्मरूपी सूर्यका प्रकाश, मिट जायगा। पाप का अधिकार रहेगा सो पाप-मुर्ति, धर्म के घातक फल ते,
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