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ए चौबीस - जिनकेतप-दिन जानना। आगे चोबीस-जिनके केवलज्ञानके दिन अनुक्रम तें कहिए है--- फाल्गुण वदी १२. पौष सुदी ११, कार्तिक वदी ४, पौष सुदी १४, चैत्र सुदी १४, चैत्र सुदी १५ फाल्गुण वदी ६० फाल्गु वदी ७, कार्तिक वदी १४, पौष वदी १४. माघ वदी अमावस्या, माघ सुदी २, माघ सुदी ६, चैत्र वदी ३०, पौष सुदी १५ पौष सुदी १०, चैत्र सुदी ३, कार्तिक सुदी १२, पौष वदी २, वैशाख वदी ६, मार्गशीर्ष वदी १२. आसोज सुदी १, चैत्र वदी अमावास्या, और वैसाख सुदी १० । ये चौबीस-जिनके केवलज्ञान की तिथि कहीं। आगे चौबीस - जिनके निर्वाण दिन, अनुक्रम तैं कहिये है- माघ वदी १४, चैत्र सुदी १, चैत्र सुदी ६, वैशाख सुदी ६, चैत्र सुदी १२, फाल्गुन वदी ४ फाल्गुन वदी २, फाल्गुन वदी ७. भादौं वदी ८ आसोज सुदी श्रावस सुदोमा भाद्रपद सुदी १४ आषाढ वदीप, चैत्र वदी अमावस्या, जेठ वदी ४. ज्येष्ठ वदी १४ वैशाख सुदी १, चैत्र वदी अमावस्या, फाल्गुन सुदी ५ फाल्गुन सुदी १२, वैशाख सुदी १४ आषाढ़ सुदी ८ श्रावण सुदी ७, और कार्तिक वदी अमावस्या । ये चौबीस - जिनके निर्वाण दिन कहे। आगे गर्म दिन कहिये है। तप, ज्ञान, निर्वाण ये तीन कल्याणक तौ वीतराग दशाके कहे। जागे दोय कल्याणक, सराग अवस्थाके हैं। सो ये गर्भ-कल्याणक तौ परोक्ष-सराग उत्सव है । और जिनराजका जन्मका प्रत्यक्षसराग पुण्य जतिशय है सो प्रथम जिनराजके गर्भ - कल्याणकके परोक्ष-उत्सवके दिन, क्रम तैं कहिये है- आषाढ वदी २ जेठ वदी अमावस्या. फाल्गुन वदी, वैशाख सुदी ६ श्रावण सुदी २ माघ वदी ६. भादव सुदी ६, चैत्र वदी ५, फाल्गुन वदी ६० चैत्र वदीप, जेठ वदी ६, आषाढ वदी ६, ज्येष्ठ वदी १०, कार्तिक वदी १, वैशाख वदी १३. भाद्रपद सुदी ७, श्रावण वदी १० फाल्गुन सुदी ३, चैत्र सुदी १. श्रावण वदी २. आसोज वदी २, कार्तिक सुदी ६, वैशाख वदी २, और आषाढ़ सुदी २ । इति गर्भ दिन । आगे जन्म-दिन क्रम तैं कहिये है-चैत्र वदी ६, माघ सुदी १०, माघ सुदी १२ कार्तिक सुदी १५, चैत्र सुदी १२, कार्तिक वदी १३. जेठ वदी १२, पौष वदी १२. मार्गशीर्ष सुदी १, माघ वदी १२, फाल्गुन वदी ११ फाल्गुन वदी १४, माघ सुदी १४, जेठ वदी १२, माघ सुदी १३, जेठ वदी १४, वैशाख सुदी १. मार्गशीर्ष सुदी १४, मार्गशीर्ष सुदी १२. वैशाख सुदी १०, आषाढ़ वदी १०. श्रावण सुदी ६, पौष वदी ११, और चैत्र सुदी १३ । ये चौबीस-जिनके जन्म-दिन कहे। आगे चौबीस-जिनके पारशा का अन्तर हये
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