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सहित विहार करि मोक्ष गए।२१। और नेमिनाथ-जिनकी आयु एक हजार वर्ष । तामें कुमारकाल तीनसौ वर्ष। राज्य इनने नहीं किया। तीनसौ वर्षक होयकें तप लिया। संयमकाल एप्पन दिन । धप्पन दिन धाटि सातसौ वर्ष केवलज्ञान हैं धर्मोपदेश देय सिद्ध भए ।२२। पार्श्वनाथ-जिन की आयु, सौ वर्ष की। तामें कुमारकाल, तीस वर्ष। इनने व्याह और राज्य नहीं किया। तीस वर्णमें ही. दीक्षा धरी। संयम-काल, च्यार महिना। अरु च्यार महिना घाटि, सप्तर वर्ण, केवल-झान सहित रह, भव्यन कूसम्बोध करि, मोक्ष गये ।२३। महावीर-जिनकी आयु, बत्तरि वर्ष । तामें कुमारकाल, तीस वर्ष। इनने व्याह व राज्य नहीं किया। तीस वर्षामें तप धरा। संयमकाल, बारह वर्ष। बाकी वर्ष केवलज्ञान सहित रहकर, मोक्ष गये।२४। यह सर्व जिनकी बायुको विगत कही। तामें कोई की जायके च्यारि विभाग, कोई की आयु के राज्यावस्था बिना, तीन विभाग को। आगे चौबीसजिनके, च्यारि प्रकार संघका प्रमाण कहिये है। तहाँ पहिले चौबीस-जिनके गणधर देवनका प्रमाण अनुक्रम तें कहिये है-८४,६०,१०५, २०३, १२६,१११.६५, ६३,८८,८१, ७७.६६,५५,५०,४३, ३६,३५,३०, २८,१८,२७, २१,२०, और श्ये चौबीस-जिनके, चौदह सौ त्रेपण (२४५३) गणधर जानना। तिनमें हैं एक-एक जिनके मुख्य एक-एक गणधरनके नाम कहिये हैं वृषमसेन, सिंहसेन, चारुदत्त. वन चमर, वप्रबलि, चरवलिदरिडक, वैदर्भ, जनागार, कंथ, सुधर्म,नन्दराज, जय, अरिष्ट, चक्रायु, स्वयंभ, कंथ, विशाल, मल्लि, सोम, वरदत्त स्वयंभू और इन्द्रभूति । ये चौबीस मुख्य गणधर कहे। ये सर्व गणधर सप्त ऋद्धि करि सहित हैं । सर्व जिन श्रुतके पारगामी हैं । बागे एक-एक जिनके सङ्ग, केते-केते राजा वैरागी भये ; तिनका प्रमाण कहिये हैंमहावीर के संग तीन सौ राजा यति भये ।। पार्श्वनाथ के साथ वह सौ छह । २ । मल्लिनाथ के साथ छह सौ छह । ३। वासुपूज्य की लार छह सौ। ४ । आदिनाथके साथ चारि हजार राणा यति भये। ५। बाकी सर्व जिनके संग एक-एक हजार राजाओंने तप लिया। आगे चौबीस जिनके यतीश्वरन की संख्या कहिये है। तहां वृषभदेव के सर्व मुनीश्वर ८४ हजार हैं अजित के एक लाख हैं। सम्भवके दोय लाख । अभिनन्दन के | तीन लाख । सुमतिनाथ के तीन लाख बीस हजार । पानाथ के तीन लाख तीस हजार । सुपार्श्वनाथ के तीनलाख। चन्द्रप्रभ के सर्व मुनि अढ़ाई लाख। पुष्पदन्त-जिन के दोय लाख ! शीतलनाथ के एक लाख। श्रेयांसनाथ के,