Book Title: Sudrishti Tarangini
Author(s): Tekchand
Publisher: ZZZ Unknown
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कहे। २६। कुन्थुनाथ जिन के साठ हजार यति है। चौदह पूर्वके धारी, सात सौ। शिष्य जातिके मुनि, तेतालीस हजार डेढ़ सौ। अवधिज्ञानी, अढ़ाई हजार। केवलज्ञानी, दोय हजार आठ सौ विक्रिया ऋद्धिके धारी, इक्यावन सौ। विपुलमति मनः पर्यय ज्ञानी, सैंतीस सौ पचास । वादिन ऋद्धि धारी, दोय हजार। ये साठ हजार संघ, कुन्थुनाथ-जिनका कह्या । २७। अरहनाथका संघ, पचास हजार है। तामें चौदह पूर्वक धारी, छह | सौ दश। शिष्य जातिके मनि.पैंतीस हजार आठ सौ पैंतीस। अवधिमानी. अदाईस सौ। कैवलबानी. अदाईस सौ। विक्रिया ऋद्धिके धारी, तेतालीस सौ। विपुलमति मनः पर्यय ज्ञानी, बीस सौ पचपन । वादिन शद्धिक धारी, सोलह सौ हैं। ये सर्व जातिके, पचास हजार मुनि हैं। १८ अरु मल्लिनाथके, चालीस हजार यति हैं। तिनमें चौदह पूर्वके धारी, पांच सौ पचास। शिष्य जातिके. गुणतीस हजार। अवधिज्ञानी बाईस सौ। केवली, साढ़े छब्बीस सौ। विक्रिया ऋद्धिके धारी, चौदह सौ । विपुलमति मनः पर्यय ज्ञानी बाईस सौ। वादिन ऋद्धिके धारी, बॉस सी। चालीस हजार सथ मलिनाथ-जिनका कह्या । १६ । और मुनिसुव्रतनाथके, तीस हमार यति हैं। तामें चौदह पूर्वके धारी, पांच सौ। शिष्य मुनि, इक्कीस हजार। अवधिज्ञानी, बठारह सौ। केवली, बठारह
सौ। विक्रिया ऋद्धिके धारी, बाईस सौ। विपुलमति मनः पर्यय ज्ञानी, पन्द्रह सौ । वादिन ऋद्धिक धारी, बारह | सौ। ये सात जाति मिलि, तीस हजार मथे । २०। नमिनाथके, बीस हजार यति। चौदह पूर्वके धारी, साढ़े च्यारि सौ। शिष्य जातिके यति. तेरह हजार छह सौ। अवधिज्ञानी, सोलह सौ । केवली, सोलह सौ । विक्रिया ऋद्धिके धारी, पंद्रह सौ । विपुलमति मनः पर्यय ज्ञानी साढ़े बारह सौ । वादिन काद्धिके धारी, एक हजार है। ये बीस हजार यति, इकोसर्वे-जिनके कहे ।२श नेमिनाथके, अठारह हजार यति है। तिनमें चौदह पूर्व धारी, च्यारि सौ। शिष्य जातिके मुनि, ग्यारह हजार पाठ सौ । अवधिज्ञानी, पंद्रह सौ। केवलो पन्द्रह सौ विक्रिया ऋद्धिके धारी. ग्यारह सौ। विपुलमति मनः पर्यय ज्ञानी, नौ सौ। वादिन ऋद्धिके धारी, बाठ सौ। ये अठारह हजार यति, नेमिनाथ-जिनके कहे।२२. पार्श्वनाथके, सोलह हजार यति है। तिनमें चौदह पूर्वकेधारी, साढ़े तीन सौ शिष्य जातिके मुनि, दश हजार नौ सौ। अवधिज्ञानी, चौदह सौ। केवली, एक हजार। विक्रिया ऋद्धिके धारी, एक हजार। विपुलमति मनः पर्यय ज्ञानी, साढ़े सात सौ। वादिन ऋद्धिके धारी, छह सौ। ये सोलह हजार यति पार्श्वनाथ

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