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इनके राज्य में अन्याय नाहीं । लोकनकों दारिद्र नाहीं। सर्व सुखी होय हैं । ये नारायण परम्पराय ज्योतिस्वरूप होंगे । इति नारायण नाम । आगे बलभद्रन के नाम कहिये है। तहां प्रथम बलदेव अचल, विजयभद्र, सुप्रभ, सुदर्शन, आनन्द, नन्दमित्र, रामचन्द्र और पद्म-ये नव बलभद्र हैं, सो नारायण के बड़े भाई पानना। इति बलभद्र नाम । आगे नारायण के प्रतिपक्षी (प्रतिनारायण) केशव के नाम कहिये है । तहाँ प्रथम अश्वग्रोव, तारक, मेरुक, मधु-कैटभ, निशुम्भ, बलि, प्रह्लाद, रावण और परासिन्धु । तिनमें आठ तौ विद्याधरन में भए अरु जरासिन्धु भूमिगोचरी भथे। इति प्रतिनारायण नाम। आगे बलभद्र की गति-गमन कहिये है। वहां विजय, अचल, भद्र, सुभद्र, सुदर्शन, आनन्द, नन्दमित्र और रामचन्द्र-ये आठ बलदेव तौ पाठ कर्म नाश करि सिद्ध भरा और नववा पन्ना मलदेस सो दियर शानिया दिन पानाद्धिधारी देव भया । तहाँ ते चय मोक्ष जायंगे तथा कृष्स महाराज तीर्थकर का अवतार धारेंगे और अनेक जीवनकी धर्मोपदेश देय सुमार्ग लगाय आप परमधामकौं पायेंगे, अब ताई अवतार धारचा अब अवतार नाहीं धारेंगे। इति बलभद्र गति। आगे चौबीस-जिन की आयु का प्रमाण अनुक्रम करि कहिये है। चौरासी लाख पूर्व, बहत्तर लाख पूर्व साठ लाख पूर्व, पचास लास पूर्व, चालीस लाख पूर्व, तीस लाख पूर्व, बीस लाख पूर्व, दस लाख पूर्व, दोय लास्त्र पूर्व, एक लाख पूर्व, चौरासी लाख वर्ष, बहत्तरि लास वर्ष, साठ लाख वर्ष, तीस लाख वर्ष, दस लाख वर्ष, एक लाख वर्ष, पंचानवै हजार वर्ष, चौरासी हजार वर्ष, पचपन हजार वर्ष, तीस हजार वर्ष, दस हजार वर्ष, एक हजार वर्ष, सौ वर्ष और बहत्तरि वर्ष—ये चौबीस जिन-जगत् मङ्गल करें। इति चौबीस जिन की आयु । आगे चक्रवर्तीन की आयु कहिये है। प्रथम की चौरासी लास्त्र पूर्व, दूसरे की बहत्तरि लाख पूर्व, तीये की पाँच लाख वर्ष, चौथे की तीन लाख वर्ष, पांचवें की एक लाख वर्ष, घट्ट की पंचानवे हजार वर्ष, सातवें की चौरासी हजार वर्ष, आठवें की साठ हजार वर्ष, नौवें की तीस हजार वर्ष, दावे की पब्बीस हजार वर्ष, ग्यारहवें की तीन हजार वर्ष और बारहवें की सात सौ वर्ष। इति चक्री-आयु । आगे नारायण की जायु कहिये है-प्रथम को चौरासी लाख वर्ष दुसरे की बहत्तरि लाख वर्ष, तीसरे की साठ लाख दर्ष,ौधे की तीस लाख वर्ष, पांचवें की दश लाख वर्ष, छठवें की साठ हजार वर्ष, सातवें की तीस हजार