Book Title: Sudrishti Tarangini
Author(s): Tekchand
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 560
________________ ५१२ . है-आदिनाथ स्वामी ने तो एक वर्ष पीछे पारणा किया सो इक्ष-रसका भोजन किया। अरु मल्लिनाथ. पार्श्वनाथ । इन दोय जिनका तैले पारणा भया सो गायके दुधको खीर खाय पारणा किया और वासुपूज्य स्वामी ने एकान्तर पारणा किया सी गायके दुधको खीर स्वाय पारणा किया। सर्व जिन-देवनका वैले पारणा भया। सो भी सर्व गायके दूधको खोर स्वाथ पारणा किया। इति पारणा प्रमाण। आगे चौबीस-जिनके प्रथम पारणेको नगरोके नाम अरु तिन नगरनके राजा-प्रथम दानेश्वर तिनके नाम अनुक्रम तैं कहिये हैं--हस्तिनापुर विर्षे श्रेयांस राजा। अयोध्यापुरी विर्षं ब्रह्मदत्त नाम राजा। श्रावस्तीपुरी विर्षे सुरेन्द्रदत्त राजा, विनीता नगरी विर्षे राजा इन्द्रदत्त। विजयपुर विर्षे राजा पदम । मंगलापुर विर्षे राजा सोमदत्त । पाटली खंड वि राजा महादत्त । पदमखंडपुर विर्षे राजा सोमदेव । श्वेत नगरो विर्षे राजा पहुए। अरिष्टपुर विर्षे राजा पुनर्वसु । इष्टपुर विर्षे राजा सुनंद। सिद्धारथपुर विौं जयराजा। महापुर वि* राजा विशाख । ध्यानपुर विष राजा धर्म-वर्धन। वर्धमानपुर विर्षे राजा सुमति। सोमनपुर विर्षे राजा धर्म मित्र । मन्दिरपुर विर्षे राजा अपराजित । हस्तिनापुर विर्षे राजा नन्दषेण । चक्रपुर विर्षे राजा वृषभदत्त । मथुरापुर गिर्षे राजा दत्त। राजगृहपुर विर्षे राजा संजय । द्वारापुरी विर्षे राणा वरदत्त, काम्याकृतपुर विर्षे राजा धन्य । कुंडलपुर विर्षे राजा वकुल ये चौबीस-जिनके प्रथम पारणाके पुर अरु दानेश्वर राजा कहे। इन सर्वके घर पञ्चाश्चर्य भये। अरु ये चौबीस प्रथम दानेश्वर महा भाग्य राजा तिनके शरीरका वर्ण कहिये है—सो आदिके श्रेयांस राणा अरु ब्रह्मदत्त राजा ये दोय तौ श्याम शरीर धारी महासुन्दर भये । और सर्वबाईस जिनराजके दान देनेहारे भपनका शरीर ताये स्वर्ण समान जानना। इनमें से कोई तो मोन गर कोई कल्पवासी होय मैं तथा चय के मोक्ष जायगे ऐसा कथन बड़े हरिवंश पुराणके कर्ता श्रीजिनसेनाचार्य ने कहा है। कहीं-कहीं शास्त्र गिर्क गैसा भी कहा है जो प्रथम दानेश्वार मोक्ष ही जाय हैं। सो निशेष पाठान्तर भेद यथावत् जो केगलज्ञानमें भाष्या होय सो प्रमाण है। इति प्रथम दानश्वार राजानके नाम अरु तहाँ प्रथम पारणाकी पुरी कहीं। आगे चौबीस-जिनकुंकेतेक-केतक उपणास पीछे केवलज्ञान भया। सो कहिये है-तहां वृषभ देवा, मल्लिनाथ, पाश्र्वनाथ इन तीन जिनकं तैला व्यतीत भए केवलज्ञान प्रकटचा। वासुपूज्यको एक उपणास पूर्ण भये केलालज्ञान सूर्य उत्पन्न मया। और सर्व जिन कू वैला व्यतीत भये,

Loading...

Page Navigation
1 ... 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615