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बज्य 5
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टोपादिक तैं रक्षा होगी और मेरे पास सुभट सैन्या बहुत है सो मैं जीतूंगा। ऐसा विचार करे है सो सब वृथा है । रातें जीवित प्रावना जोति आवना सो सर्व फल एक पूर्वले पुण्य का है। पूर्व पुरुष नाहीं होय तो मरण ही हो है ऐसा जानना और कोई दीर्घ अटवी (वन) में भूलकर आ गया होय तो तहां अनेक सिंह, सुअरादि दुष्ट जीवन बचना तथा चोरादि के भय तैं बचि सुख तैं घर जावना। सो भी पूर्व-पुण्य का ही सहाय जानना और कोई दीर्घ वैरी के दाव में आ जाय, तहां भी पूर्व पुष्य सहाय है। कोई नदी सरोवर के दीर्घ जल में जाय पड़े तो वहां मी पूर्व-पुण्य सहाय जानना। दीर्घ अग्नि बीच में पड़ जाय, तहां भी पूर्व-पुण्य सहाय है। कदाचित् समुद्र जाता जाय पड़े। तो वहां भी पूर्व-पुण्य सहाय है और अनेक भय के स्थान ऐसे भारी पर्वतन के समूह में जा पड़े। तहां पुण्य ही सहायक होय है। सो कैसे हैं पर्वत उत्तुङ्ग शिखरको धेरै बड़ी-बड़ी गुफान करि पोले अत्यन्त भय के उपजावनहारे सिंहादि क्रूर-जीवन करि भरे, ऐसे पर्वतन में बचावनहारा एक पुण्य ही है। जब जीव, निद्रा के उदयतें निद्रा के वशि होय, तब मृत्यु की नाई आशंका उपजै है। बेसुध होय पराक्रम रहित होय है। ऐसी अवस्था में वैरी चोर अग्नि सर्वादिक जीवन बचावनहारा पुण्य ही है। प्रमाद दशा में अनेक कार्य करै है सो अनेक स्थानन में प्रमाद तें चलें है। प्रमाद तें बोलतें, प्रमाद तैं खावतें, प्रमाद मैं भागतें इत्यादिक प्रमाद दशान में पुण्य सहाय करें है। अनेक सङ्कटन में अनेक रोग के सङ्कटन में, वैरी के सङ्कटन में, सिंहादिक जीवन के सङ्कट में अग्रि जलादि अनेक सङ्कटन में पुण्य सहाय करें हैं। जब जीव, हस्ती की असवारी करि भ्रम है तब तथा घोटक असवारी करि भ्रमैं तब इनकी असवारी का निमित्त काल समान भयदाई है । सो इन गज-घोटक की असवारी में, पुण्य ही सहाय है। ऐसे ऊपर कहे जे सर्व स्थान, तिनमें काल का प्रवेश है। ये सब स्थान, दुख के कारण हैं। सो इनमें निर्विघ्र राखनहारा पुण्य हो जानना। तातें विवेकी जीव हैं, तिनकौं भव भव सुख के निमित्त, पुण्य-उपार्जन करना योग्य है। हे भव्यात्मा ! तूं महासङ्कट पाय के, धन भी उपाया चाह है। सो सङ्कट- खेद किये तो धन का उपार्जना दुर्लभ है। तूं सङ्कट सेवन कर के, धर्म का सेवन करें। तो धर्म के प्रसाद हैं, धन होना सुगम है। देखि, कष्ट तैं धन होय, तौ नोच- कुली हिम्मालादि, शोश-भारादिक द्रोवन कार्य बहुत करैं हैं । सो तिनका उदर भी कठिनता तैं भरे है। तातें तूं धन का अर्थी है, तौ तुझे धर्म का हो सेवन
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