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| करें, तो याका दुख-दरिद्र कसे मिटे। तातै प्रथम ताके बड़प्पन को जाने, तौ पीछे श्रद्धान होय। जो ये बड़ा पुरूष है, याको सेवा किये सुखी होऊंगा, तब सेवा कर रोसी प्रतीति लौकिक मैं प्रत्यक्ष देखिए है। सो पहिले जानपना होथ। पोछे श्रद्धान होय 1 ता पीछे ताको सेवा करी जाय। तैसे हो दया-भाव को उत्कृष्टता पहिले
जाने, तौ पोछ ताका दृढ़ श्रद्धान करे। पछि दया को उत्कृष्ट जानि, ताको रक्षा करे-सेवा करें। दया धर्म की । पूजा करें-विनय करें। जब याके ऐसा सांचा दृढ़ श्रद्धान प्रगटैगा। तब इस निकट संसारी भव्य के ऐसे परि
गाल होयगे जो सुख का समूह तौ मोक्ष स्थान है। अरु मोक्ष है, सो दया-भाव ते होय है। सो मैं महा गृहासम्म विर्षे पड्या हो। तहां पर जीवन की रक्षा होतो नाहों। मोकौं मोक्ष के सुख कैसे होय? तातें सर्व प्रकार दया—मार्ग सद्गुरु जाने हैं। वह गुरु दया का भण्डार बाजै हैं । तातै मैं गुरु के पास जाय, विनीत करौं। तौ दया के समूह मो कृपा करके, मेरा मनोरथ पूर्ण करेंगे। ऐसा विचार करि, ये भव्यात्मा, मोक्षामिलाषी, श्री गुरु पे जाय, नमस्कार करि, तीन प्रदक्षिणा देय, महा विनय सहित हस्त जोड़ खड़ा होय, अपना अन्तरंग अभिप्राय कहता भया। हे नाथ ! हे दीन दयाल ! मैंने सांसारिक सुख बहुत भोगे। परन्तु हे नाथ! मेरी वाच्छा पूर्ण नहीं मई। जैसे कोई अन्तरंग ज्वर का रोगी, सदैव सोणा तन होय। सो तन पुष्ट करने की बड़ी इच्छा जाकै. सो तन स्थल करवे को अनेक पुष्ट-गरिष्ठ भोजन करें। परन्तु पुष्ट होता नाही. दिन-प्रति क्षीण होता जाय है। याको इच्छा पूरती नाहीं। तात दुख ही व है, नेसे ही हे नाथ! मैंने सुखी होयने के अनेक भोग-सामग्री पाय-पाय भोगी। परन्तु सम्पूर्ण सुन्बी नहीं भया। ओ मेरे सर्व सुखो होयवे की इच्छा बनी रहे है। मेरे इच्छा नाम रोग का महा दुःख, मिटता नाहीं। नाते मी जगत गुरु ! जैसे मोकौ सम्पूर्ण सुखकी प्राप्ति होय, सो ही उपदेश करौं। जाकै धारण किए, मैं सूखी होऊ। अब मोकी यह इन्द्रिय जनित सख है सो महा भय उपजावे है, | प्रिय नाहों। तातें अब आज्ञा करौ, सो हो करूं। तब योगीश्वर ने जानी, जो ये जीव मोक्ष सुख को बड़ा-सर्वोत्कृष्ट जाने है, ताही के योग करि याके दृढ़ श्रद्धान प्रगट्या है। ऐसा विचार, आचार्य दया भाव करि कहते
भए। भो मन्या तेने भली विचारी। यह सांसारिक भोग, अज्ञानी जीवन कौं अपने सुख की आमासा सो || दिखाय, मोह उपजा हैं। बाकी य सर्व-इन्द्रिय भौग, रोग करि पूरित हैं। गुण रहित हैं। जैसे शरीर बाह्य में