________________
३८.
प्रमाण है। प्रथम तौ तीर्थङ्कर प्रकृति का बन्ध मनुष्य ही के होय है। या बात प्रमाण है। परन्तु मनुष्य गति का किया बन्ध देव, नारकी में जाय है । तातें तहां बन्ध और गति जानना । यहाँ फेरि प्रश्न—जो तीर्थकर प्रकृति का बन्ध करनहारा सम्यग्दृष्टि देव गति में जाय । सो देव मैं तौ तीर्थङ्कर का बन्ध करै है, सो सम्भवै। परन्तु तीर्थकर प्रकृति का बन्ध करनहारा जीव नरक में कैसे जाय ? ताका समाधान-कोऊ जीव नै मिथ्या-दशा में प्रथम नरकायु का बन्ध किया था पीछे उस निकट भठ्यात्मा संसारी जीत सम्यस्त भया सोतोशकर केवली के निकट निमित्त पाय षोडश भावना भाय तथा इनमें से एक दोय आदि कोई भावना भाय परिणामन की विशुद्धता तें तीर्थङ्कर प्रकृति का बन्ध कर पीछे आयु बन्ध के योगत जीव नरक जाय । तहां तीर्थङ्कर बन्ध लिये जाय । ताकी अपेक्षा बन्ध कहा है। सो प्रथम नरक में जानेहारा जीव तौ सम्यक्त्व सहित भी जाय है और दूजे व तीज का जानेहारा जीव सम्यक्त्व क्रू तजकै जाय है। सो अन्तर्मुहुर्त मिथ्यात रहै। कार्मण से जाय पर्याप्ति पूर्ण करें। जहाँ ताई पर्याप्ति पूरन नाही करै तहो ताई तौ मिथ्यात्व है। पर्याप्नि पूर्ण किये तीर्थङ्कर बन्धवारे के सम्यक्त्व होय है । तब ते तीर्थकर बन्ध जानना। ऐसे च्यारि गति में बन्ध कह्या । सो ए तो प्रकृति बन्ध है और इन राकएक प्रकृति की साथि अनन्त परमाणु स्कन्ध रूप होय। सो समय प्रबद्ध की गैलि केतो परमाणु बन्धी तिनकी संख्या सो प्रदेश बन्ध है। बन्धी जो कम प्रकृति तिनमैं मोह-कर्म की उत्कृष्ट स्थिति सत्तर कोड़ाकोड़ी सागर प्रमाण हैं। नाम व गोत्र की बीस कोड़ाकोड़ी सागर स्थिति है। आयु-कर्म की तैतीस सागर स्थिति है । सानावरणीय, दर्शनावरणीय, वैदनीय, अन्तराय—इन च्यारि कर्मन को तीस-तीस कोड़ाकोड़ी सागर की स्थिति है वेदनीय की जघन्य स्थिति द्वादश मुहर्त को है। नाम व गोत्र इन दोय कर्मन की जघन्य स्थिति आठ-आठ मुहूर्त को है। बाकी औरन की जघन्य स्थिति एक अन्तर्मुहूर्त की है। ऐसे यथायोग्य स्थिति का बन्ध होना सो स्थिति बन्ध है । बन्ध कर्म विष उदय भये जैसा रस देबे की शक्ति जो र कम उदय भये राता रस प्रगट करेगा। सो अनुभाग बन्ध है। रोसे कहे जो च्यारि प्रकार बन्ध सो बन्ध है। सो प्रकृति व प्रदेश बन्ध तो योगनते होय है। स्थिति व अनुभाग बन्ध कषायन ते होय है। ऐसे तौ रा बन्ध करण जानना। इति बन्ध करण ।। आगे उदयकररा कहिये है। तहां उदय भी च्यारि प्रकार है। प्रकृति उदय, प्रदेश उदय, स्थिति उदय और अनुभाग उदय ।