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। सो जाका आयुष्य के दिन पूरण होय तब भगवान् के सेवक सदैव पास ही रह्या करें हैं तिन यमन (सेवकन) । कंखिदाय ( भेज) ताका जीव भगवान् अपने पास मंगाय लेंय । पीछे सुख-दुख देय हैं। या जीव का लेखा लेय
हैं । जो त संसार मैं जायकै कहा किया, सो वाकौ पंछे हैं। सो वानै पाप किए होंय तो तहां भगवान के लोक मैं नरक-कुण्ड है तहाँ नाखि दुखी करें हैं और वान पुण्य किए होंय तो भगवान् के लोक मैं नाना प्रकार रतनमयी महल हैं सो ताकों धन-धान्य तें भरे महल-मन्दिर देय सुखी करैं हैं। जैसा जाका शुभाशुभ कर्तव्य होय तैसाही सुख-दुख भगवान् देय हैं। ऐसे रात्रि-दिन भगवान निरन्तर लेखा-देखा करें हैं। ऐसा विकल्प सदैव मोक्ष मैं भगवान् कौं बता हैं केले पण्डित विवेकी भोले ऐसा कहें हैं। तिनकौं कहिए है। भो मोक्षामिलापो ! हो मोक्ष वि ऐसा विकल्प नाहों जहां विकल्प है ते संसारी स्थान जानना। मोक्ष तौ निर्विकल्प है, निराकुल है। तातै जाकै मोक्ष विर्षे इतना विकल्प होय सो मोत हेय है और केतक जीव ऐसे ही शरीर सहित मोक्ष में हैं। ऐसी कहैं हैं कि जायै भगवान् कृपा करि राजी होय । ता मनुष्य कू अपना भक्त जान यह सप्त धातु के भरे शरीर सहित हो, अपने पास मोक्ष मैं बुलाय सुखी कर है। जो कोई नगर भर के लोक भगवान की भक्ति करें तो भागवान् सन्तुष्ट होय सर्व नगर के लोकनकी ही अपने पास मोक्ष में बुलाय लेय हैं। केतेक जीव ऐसा मानें हैं तिनकौं कहिर है । भो सुज्ञानी जीव ! तूं सममि । यह अपवित्र शरीर महामलिन सप्तधातु व मल-मूत्र का मरया, मूर्तिक जड़ शरीर, सो तो मोक्ष में जाता नाहीं। अरु जहां इस मूर्तिक शरीर का आना-जाना होय सो संसार अवस्था हो है। मोक्ष विर्षे मूर्तिक शरीर है नाहों मोक्ष मैं अमूर्तिक शरीर है। तातें जाको मोक्ष में मूर्तिक शरीर जाना हो सो मोक्ष हैय है । अरु केतेक ज्ञान-दरिद्री मोक्ष मैं शून्य भाव मान हैं । जीव ऐसा कहैं हैं। जो जेते सुख हैं। सो तो सर्व संसार मैं हैं। रबी सम्बन्धी भोग सख, नाना प्रकार षट रस मेवादि मोदकादि जिहा इन्द्रिय के सुख तथा नाना प्रकार सुगन्ध नासिका इन्द्रिय के सुख और नाना प्रकार रतन-कनक के आभूषण वस्त्र
स्त्रोन के रूप नृत्य-शोभादि अनेक चक्षु इन्द्रिय के सुख और अनेक प्रकार मिष्ट-स्वर सहित अनेक सङ्गीतादि २३७
राग को वीणा, बांसुरी, पखावज, तन्दुरादि अनेक सचित्त-अचित्त मिश्र स्वरन के मनोज्ञ राग शब्द, सो कर्ण इन्द्रिय के सुख । र पञ्च ही इन्द्रिय सम्बन्धी जेते सुख हैं सो संसार में ही हैं। ए सुख मोक्ष में नाही, वहां तौ ।