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घर तिष्ठया। पोछे महीना दोय-राक भये और लोक अन्न कूट उड़ाय, गाड़े भरि-भरि अपने घर लाये। तब या किसान नैं विचारी, जो मेरा खेत देखौ तौ सही। तब और ही राह होय कैं, किसान खेत पै गया। सो देखै तो ।२४६ । घास ऊँगा है। सोने रिटी के ढीग पड़े हैं। रोर देखि कराल की छाती टूट गई। महादुखी भया।
रुदन करता भया। जो वर्ष दिन की रोटी गई। अब कहा करै? तब खोपड़ी याकौं रोवता देखा हँसो। तब किसान नै कही, कहा हँस है ? मैं तैरे वचन का विश्वास करि खोत मैं बीज नहीं डार था। अब और तो बहुत अन्न लाये, अरु मेरै खोत मैं कछू नहीं। तैंने मुझे विश्वास देय, बुरा किया। तब यह दुष्ट को झोपड़ी महाहास्य करि कहतो भई। भो भाई किसान ! तू सुनि। हमनें जीवतें बहुतन का विश्वास देय बुरा किया था और मुरा पोखे तो एक तेरा ही बुरा किया है। सो जे दुष्ट, सोपड़ो समान विश्वासघाती महापाप मूर्ति जीव सो विश्वासघाती हैं। एकहे जो कृतघी व विश्वासघाती ते बड़े पापी हैं। इनका स्वरूप श्रुत-ज्ञान ते पाईए है। सो श्रुतझान उपादेय है। च्यारि गति के जीवन की आगति-जागति श्रुत-ज्ञानतें जानिए है। सो कहिए है। तहां जिन स्थान तजि,जा स्थान में उपजै, सो जागति कहिये और अन्य स्थान तजि निज स्थान में आवै सो आगति कहिये। तहां प्रथम देवगति में जागति कहिये है। सो राती जायगा के देव गति मैं जाय उपजै सो कहिये है। मिथ्यादृष्टि भौगभूमिया—मनुष्य तियश्च कर्म भूमियां-मनुष्य, तिर्यच, सैनी तथा असैनी ए तो सब भवनत्रिक मैं शुभ-भाव फलते उपजें हैं और सम्यग्दृष्टि भोगभूमियां मनुष्य, तिर्थश्च ए सर्व पहले, दुजे स्वर्ग पर्यन्त उपज हैं और कर्मभमि के मनुष्य, स्त्री. तिर्यच सोलह स्वर्ग पर्यन्त उपजें हैं और सम्यग्दृष्टि तथा मिथ्या दृष्टि, मुनि लिङ्ग धारि ग्रैवेयक लौ जाय हैं और नव अनुत्तर अरु पञ्चपश्चोत्तर इन चौदह विमानन मैं सम्यग्दृष्टि मुनि ही साथ हैं। इति देवगति मैं बागति। आगे देव की जागति कहिए है-ध्यारि प्रकार के देव मरि कहां जाय उपजै हैं. सो जागति है। यहां भवनवासी, व्यन्तर, ज्योतिषो देव, पहले-दुजे स्वर्गवासी देव रा मरि करिपृथ्वी कायिक, अपकायिक, वनस्पति सैनो-पंचेन्द्रिय, तिर्यञ्च और मनुष्य-इन पञ्च जगत् मैं जाय उपजें हैं और तीसरे स्वर्ग ते | लगाय स्वर्ग पर्यन्त के देव चयके, मनुष्य तिर्यश्च सैनी पंचेन्द्रिय में उपजें हैं और तेरह स्वर्ग ते लगाय नववयक पर्यन्त के देव चय करि सम्यग्दृष्टि तथा मिथ्यादृष्टि मनुष्य ही उपजें हैं और नवग्रैवेयक ते ऊपरले देव ।
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