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सो संगति नहीं करनी तथा जिस संगतें अपना यश होय, लोकन मैं सत्कार होय, भली वस्तु का लाभ होय, शुभ-कर्म का बन्ध होय इत्यादिक सुबुद्धि प्रगटै, कुबुद्धि नाश होय, जो अपने भले की संगति होय, सो करें। पोछे ऐसा विचारै जो इतने तो कुसंग हैं-चोरी के करनहारे निशदिन चोरी की चतुराई की नाना कला करनहारे चोर तथा पराये द्रव्य हरवेकौं अनेक छल-छिद्रम करें, विचार, ते चोर हैं। अरु माया करि नाना प्रकार भेष धरि परकौं ठगैं, सो चोर हैं तथा पराये ठगवेकौं अनेक असत्य वचन भाखनेहारे, इत्यादिक लतरान सहित होंय, सो चोर हैं। तिनका संग हेय है। मोजे तति सूत्र रेशम वस्त्र की फांसी बनाय पर जीवन का घात करि पराया द्रव्य ह.सो फांसिया चोर है तथा स्त्री का स्वांग मांगता वैरागी जोगी व्यापारी अनेक भेष धरि परकू छलते मारि द्रव्य हरें, सो ठग जाति के चोर हैं। राह के मारनेहारे जे जबरदस्ती धन खोसें नहीं देय तौ माएँ। ऐसे निरास करनेहारे भोल, मीशा. मौढ़, मैर इत्यादिक ए चोर हैं। जैसे-लौकिक मैं चोर-चकार कहैं हैं जो पराये घर फोड़े छल-छिद्र करि पराया धन हरै। सो तो चोर कहिये। जै जबरीत पराया माल खोसें आपको जोरावर मान तुरङ्गन के असबारादि तिनतं दोन जन डरें। बहुत धन के धरनहारे गिरासियादिक ए चकार है। ऐसे चोर अरु चकार ए चोर के दोय भेद हैं। इनकौ आदि और भी लकड़ी, घास, भाजी के चोर अरु इन चोरन के मित्र तथा चोरन की विनय करनहारे, चौरन के पास बैठनहारे ए सब चोर समान जानि विवेकी पुरुष इनका संग तजें हैं और द्यूतकार जो चौपरि, गंजफा, नरद, मुठि, होड़ादिक । जुवा के खेलने मैं प्रवीण द्युत व्यसन के प्रसिद्ध व्यसनी तिनकू सब जानैं जो ए प्रसिद्ध जुवारी हैं। ऐसे चूतन का कुसंग तजना योग्य है। जे अभक्ष्य के भस्खनेहारे मलिन प्राणी मांसाहारी अशुचि के भोगी तिनका संग तजने योग्य है। जे मद्यपायो मदोन्मत्त स्वफ्त दिवाने समान बेसुधि जिनके वचनन की प्रतीति नांहों ऐसे मद्यपी जीवन का संग तजिवे योग्य है और वेश्या व्यसनी निर्लज्ज विनय रहित वेश्यान के संगम के तथा गाने के नृत्य के लोभी कौतकी तिनका संग तजवे योग्य हैं और जे महाहिंसक जीवन के घाती महापापी, निर्दयी, भील, चण्डाल, मोघिया, कसाई, खटीक-इन आदिक जे करुणा रहित नाशकारी ज्ञान अन्ध दुराचारी इन आदिक हिंसक जीवन का संग तजवे योग्य है और जे पर-स्त्रीन का रूप देखि भोग अभिलाषी कुशील के
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