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जमान है। तोगका....... हुत सूजी के समूह समान है और पवनकायिक का शरीर प्राकार ध्वजा समान है। वनस्पति के तन का आकार अनेक प्रकार है वेन्द्रिय, तेन्द्रिय, चौन्द्रिय, पंचेन्द्रिय जीवन के शरीर के आकार अनेक प्रकार हैं। इति षटकाधिक शरीराकार। आगे षटुकाधिक का आयु-कम कहिए है। तहाँ पृथ्वी के भेद दोय। एक नरम और एक कठोर। पीली मिट्टी, खड़ी मिट्टी, गेरू मिट्टो आदि ए नरम पृथ्वीकायिक हैं। याकी उत्कृष्ट आयु बारह हजार वर्ष प्रमाण है। कठोर पृथ्वी जो हीरा रतनादि पाषाण ताकी उत्कृष्ट आयु बाइस हजार वर्ष है । जल कायिक उत्कृष्ट आयु सात हजार वर्ष है। अग्निकायिक को उत्कृष्ट प्रायु तीन दिन है। पवनकायिक की उत्कृष्ट आधु तीन हजार वर्ष है। वनस्पतिकायिक को उत्कृष्ट आयु दश हजार वर्ष को है। जल की जोंक, गिंडोला, लट, नारुवादि वेन्द्रिय जीवन की उत्कृष्ट प्राथु बारह वर्ष हैं। चींटी, खटमल, कुन्थुवादि तेन्द्रिय की उनचास दिन की है। चौन्द्रिय मक्खी, मौरा, टोड़ी आदि को उत्कृष्ट आयु षट मास की है और असेंनी पंचेन्द्रिय की उत्कृष्ट आधु कोड़ पूर्व वर्ष प्रमाण सैनी पंचेन्द्रिय वि देव नारकीन की उत्कृष्ट आयु तेतीस सागर की है। उत्कृष्ट भोग भमियां मनुष्य तिर्यश्चन की तीन पल्य की है। कर्म भूमियों ।। मनुष्य-पशु की उत्कृष्ट आयु कोडि पूर्व वर्ष प्रमाण है। देव नारकी की जघन्य आयु दश हजार वर्ष की है। मनुष्य तिर्यञ्चन की जघन्य आयु अन्तर्मुहूर्त है। इति षट्कायिक आयु। आगे षट्कायिक जीव उत्कृष्ट कर्मस्थिति केतो करें, सो कहिए है। तहाँ पञ्च स्थावर एकेन्द्रियन को उत्कृष्ट कर्म-स्थिति एक सागर जानना
और सर्व अष्ट कर्मन मैं उत्कृष्ट स्थिति दर्शनमोहनीय की जानना। वेन्द्रिय उत्कृष्ट कर्म-स्थिति बधैि तौ पचास सागर जानना और तेन्द्रिय उत्कृष्ट कर्म-स्थिति बांधै तो पचास सागर जानना और चौन्द्रिय उत्कृष्ट कर्म-स्थिति बांधै तौ सौ सागर जानना व असेनी उत्कृष्ट स्थिति हजार सागर की बांध है। संज्ञी पंचेन्द्रिय उत्कृष्ट सत्तरि । कोडाकोडि सागर कम-स्थिति बांध है। इति कर्म-स्थिति। आगे षटकायन को पंचेन्द्रिय हैं तिनके आकार कहिए है। तहां स्पर्शन इन्द्रिय शरीर है, सो शरीरन के आकार जनेक प्रकार तैसे ही स्पर्शन इन्द्रियन के भी आकार जानना और रसना इन्द्रिय का आकार गौ के खुर के समान है और नासिका इन्द्रिय का आकार तिल-फूल के आकार है और नेन इन्द्रिय का आकार मसूर की दाल समान है। श्रोत्र इन्द्रिय का आकार जव
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