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केवलज्ञानगम्य है। सो या दान देनेवारे के नफा नहीं भार्से है। कोई से दाताकैं भला फल होय तौ होय, नहीं तो दान का जमाव होगा यह सन्देह है। तांका समाधान भो भव्य ! यह बात तूने कही सो सत्य है; परन्तु है भव्यात्मा । जैसे— काहू राजा का राज्य वैरी ने छीन लिया है सो वह बाहरे जाय फौज बाजे है। युद्ध कर बन्दी करि, युद्ध करै । राज का तखत ताके हाथ नाहीं, परन्तु राज्य भ्रष्ट भी राजा रह्या है। सो वैरीको जीत कभी राज पावैहोगा, तासू राजा ही कहिए हैं। तैसे जे मुनि सम्यक्तव सहित चारिन के धारक थे से कोई कर्म को जीरावरी तैं मोह की प्रबलता करि सम्यक्त्व राजपद छूटि गया होय, तौ भी वह ति अपनी चरित्र सैन्या जोड़ि कैं मोह राजा तैं युद्ध कर रहे हैं । सो कबहूं मोहको जोति सम्यक्त्व राज्य लेंगे। तातें ऐसे मुनि जिनकों सम्यक्त्व कम होय कभू जाय ऐसे निमित्त जिनके बनि रह्या होय तिन्हें कुपात्र ही जानना । कोई जीव कर्म योगतें चारित्र मोह की मन्दता तैं चारित्र तौ धारचा होय। अरु के तौ अभव्य होय तथा दूरानदूर भव्य होय, अभव्य राशि-सा होय । ऐसे मिथ्यादृष्टि के धारी मुनि सो कुपात्रन मैं जानना । सो ऐसे मुनि करोड़ों में भी एक-दीय नहीं होय हैं कठिन हैं होंय । सो ए कुपात्र हैं तथा जे मुनीश्वर चारित्रमूलगुण धारें हैं। परन्तु अन्तरङ्ग कषायन के योगर्ते तिनके मूलगुण दूषित हैं। सो मुनि अपनी मायाचारी करि अपने दोष बाह्य प्रगट नहीं करें हैं। बाह्य, शुद्ध मूल गुण से दीखें हैं। अन्तरङ्ग - ज्ञानी के जानने में दोष सहित हैं। ऐसे कषाय भार करि सहित मूलगुण के धारी सो मुनि कुपात्रन मैं हैं । सो ऐसे भी मायावी मुनीश्वर बहुत थोड़े ही हैं। कोई करोड़ों-अरबों में एक होय तौ होय। नाहीं हौय तौ नाहीं । ए मुनि कुपात्र हैं । सो कोई दाता के अशुभ कर्म तैं ऐसे मुनि के दान का निमित्त मिले, तौ कुभोग भूमि का फल होय । नहीं मुनि-दान का फल भोले मिथ्यादृष्टि जीवन के तथा पशून, सुभोग भूमि का फल होय है और सम्यग्दृष्टि हैं, तिनकूं दान का फल स्वर्ग -मोक्ष ही जानना । ऐसा तेरे का प्रश्न उत्तर जानि । सुवान के दान देने को बुद्धि सदैव राखना, अनु मोदना करनी । सर्व उत्तम फल दाता जानना । कुपात्र का निमित कदाचित् अशुभ उदय तैं बने तौ बने, नहीं तो सदैव सुपात्रन का निमित्त जानना । जैसे - देशान्तर के फिरनहारे व्यापारी, द्रोपान्तर जाय अनेक कष्ट खाय बहुत धन कमाय ल्याय, सुखी होने हारे ताका निमित्त तो बहुत है। देशान्तर मैं लुट जाहारे, जहाज
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