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| सातवें नरक पर्यन्त होय हैं। विशेष एता. ऊपरले देवन की विक्रिया विविक्तपने तौ तीसरे नरक पर्यन्त ही है।।
आगे नाहीं। अरु शक्ति रूप सातवें ताई कही है और अवधिन्नान अपने-अपने विषय योग्य क्षेत्र के शुभाशुभ भाव सर्व जान हैं। इति जवधि, विक्रिया। जागे देव चर पीछे केोक काल पीछे देव तहाँ उपजै ताका स्वर्ग पर्यन्त अन्तर कहिए है। तहा प्रथम युगल विर्षे अन्तर उत्कृष्ट सात दिन का है। पीछे कोऊ उपजे ही उपजे। दूसरे युगल मैं पन्द्रह दिन का अन्तर है। तीसरे युगल में अन्तर एक मास का है। चौथे युगलमैं अन्तर एक मास का है। पाँचवें, छठे युगल मैं अन्तर उत्कृष्ट दोय मास है और सातवें, आठवें युगल मैं च्यारि मास का है। ऊपर अहमिन्द्रन मैं उत्कृष्ट अन्तर षट्र मास का है। ऐसे उत्कृष्ट अन्तर षट् मास है। पीछे अपने अन्तर उपरान्त कोई पुण्याधिकारी जीव उपजै ही उपजै। स्थान खाली रहै तौ इतना रहै। मध्य के अनेक भेद हैं । इति उत्पत्ति अन्तर। भागे देवन के मनसा भोजन केतक काल में होय सो कहिये है। तहाँ देवन की जितने सागर की आयु होय तेते हजार वर्ष गये भोजन पैमन होय है। पोछे तृप्ति होय है और जहाँ जितने सागर की आयु होय तेते पक्ष गये श्वासोच्छवास होय है। इति भोजन श्वासोच्छवास। आगे स्वर्ग प्रति देवन के मुकुट के चिह्न कहिये हैं। सूर, हिरण, महिष, मछली, कछुवा, मैंडक, घोटक (घोड़ा), हस्ती, चन्द्रमा, सूर्य, खड्गी, बकरी, बैल, कल्पवृक्ष इत्यादिक चिह्न देवन के मुकुटन में होय हैं। इति मुकुट चिह्न। आगे देवन के विमान की मोटाई स्वर्ग प्रति कहिये है। तहाँ प्रथम युगल के विमानन को मोटाई ११२५ योजन जानना। दूसरे युगल के विमानन की मोटाई २०२२ योजन जानना। तीसरे युगल के विमानन की मोटाई १२३ योजन जानना। चौथे युगल के विमानन की मोटाई ८२८ योजन जानना। पाँचवें युगल के विमानन की मोटाई :७२५ योजन जानना। छठे युगल के विमानन की मोटाई ६२६ योजन जानना। सातवें युगल के विमानन की मोटाई ५२७ योजन जानना। आठवें युगल के विमानन की मोटाई ४२८ योजन जाना। नव ग्रैवेयक के विमानन की मोटाई ३२६ योजन जानना। नव अनुत्तर विमानन की मोटाई २३० योजन जानना। पंच अनुत्तरन के विमानन की मोटाई १३३ - योजन जानना। ऐसे स्वर्ग प्रति विमानन की मोटाई कही। इति विमानन की मोटाई। आगे स्वर्गप्रति देवन के लेश्या कहिये है। तहां प्रथम युगल में लेश्या पीत है। दूसरे साल में पीत पद दोय लेश्या हैं। तीसरे युगल में
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