________________
श्री
सु ट
ष्टि
१११
हजार पाच
५०२ जना
स्थान सम्बन्ध जीवन का प्रमाण पांचसौ अठ्यारा जानना । ऐसे प्रमत्ततैं लगाय अयोग पर्यन्त आठ कोड़ि निन्यानवे लाख निन्यानवें हजार नवसौ सित्यासवे, ८६६६६६६७ सर्व जानना । यह नाना जीव नाना काल अपेक्षा उत्कृष्टपने कथन हैं। इनतें अधिक प्रमाण नहीं होय, निश्चय कर ऐसा जानना । छः महीना आठ समय मैं "छः सौ आठ" जीव मोक्ष जाय हैं। ऐसी परिपाटी अनादि चली आई है। अधिक-हीन, नाहीं जांघ । केई अनन्तकाल गए कदाचित विरह काल पड़े तौ षट् मास मोक्ष बन्द होय। कोई जीव मोक्ष नहीं जाय, तौ अन्त के आठ समय मैं सौ आठ' जीव मोक्ष होय हैं। ऐसा जानना और कदाचित उपशम श्रेणि का भी विरह पड़े तो छे महीना कोई जोव उपशम श्रेशि नहीं चढ़ें और अन्त के आठ समयनमें 'तोनसौ च्यारि' जोव उपशम श्रेणि मोडें, ताकी विधि – जो प्रथम समय मैं सोलह, दूसरे समय मैं चौबीस तीसरे समय मैं तोस, चौथे समय मैं छत्तीस, पंचम समय मैं विद्या+ लोस, छठे समय मैं अड़तालीस, सातवें समय मैं चौवन, आठवें समय मैं चौवन ऐसे इन आठ समय मैं तोनसौं चारि जीव निरन्तर उपशम श्रेणि मॉड और कदाचित् क्षाधिक श्रेणि का उत्कृष्ट अन्तर पड़े तो षट्मास होय, तौ अन्त के आठ समय में 'छः सौ आठ' जीव निरन्तर मौड़- सो प्रथम समयमैं ३२, दूसरे समय में ४८, तीसरे समय में ६०, चौथे समय में ७२, पंचम समय में ८४, छठे समय में ६६, सातवें मैं १०८६, आठवें मैं २०५ ऐसे आठ समय में निरन्तर श्रेणि चढ़ें हैं कदाचित् एक समय युगपत क्षाधिक श्रेणि मॉड तौ च्यारिसौ बत्तीस, जीव एकै काल माँर्डे ताकी विधि- जो इनमें कौन-कौन जीव श्रेणी चढ़ें सो कहिए हैं। हाँ बुद्धिबोधित ऋद्धि के धारी २०८, जीव और पुरुषवेद सहित श्रेणी चढ़ें ऐसे जीव १०८ और सुरगनत चय मनुष्य होय महाव्रत धरि क्षपकश्रेणि माँडै ऐसे जोव १०८ और प्रत्येक बुद्धि ऋद्धि के धारी क्षपक श्रेणी चढ़े जोव २० और तीर्थङ्कर प्रकृति के उदद्य सहित तीर्थङ्कर पदवीधारी क्षायिक श्रेणी जीव स्त्री वेद सहित जीव श्रेणी चढ़े ऐसे २० और नपुंसक वेद सहित श्रेणी चड़े ऐसे जीव २० मनः पर्ययज्ञान सहित श्रेणी मोडें ऐसे जीव २० और अवधिज्ञान सहित श्रेणी चढ़े ऐसे जीव २८ उत्कृष्ट अवगाहना के धारी मोक्ष होने योग्य शरीर सहित क्षायिक श्रेणी चढ़ें ऐसे जीव दोय, मोक्ष होने योग्य जघन्य अवगाहना के धारी ऐसे
१११
व
गि