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सो सर्व ते बहुत सम्यम्दष्टि देवन में है। सोही दिखाइये हैं। यहां प्रथम युगल में सम्यग्दृष्टि सर्व ते अधिक है। सो असंख्याते हैं । ते सर्व पल्प के असंख्यातवें माम जानना । याही युगल के सम्यग्दृष्टित असंन्यास भाग ह्यांक मिश्र गुसस्थानी है और इन मिश्रनसे संख्यातवें भाग प्रथम युगल के सासादनी है और प्रथम युगल के सासादनी । से दूसरे युगल के सम्यग्दृष्टि असंख्यातवें भाग हैं। दुजे युगल के सम्मादृष्टित असंख्यात माग यहाही के पिख || गुणस्थानी हैं। इन मिश्रनत संख्यातवें भाग इसही दूसरे युगल के सासादनी हैं। दूसरे युगल के सासादनीनतें ।।। असंख्यात भाग तीसरे युगल के सम्यम्दृष्टिन का प्रमाण है। इन सम्यादृष्टिनतें असंख्यात भाग यहों के मित्र हैं। इन मिश्रन संख्यातवें भाग तीसरे युगल के सासादनी है। तीसरे युगल के सासादनीम के असंख्यातवें । भाग बौथे युगल के सम्यग्दृष्टि हैं। इनत असंख्यातवें भाग मिश्र गुणस्थानी है। मिश्रनत संख्यातवें भाग सासादनी हैं। चौथे युगल के सासादनी ते असंख्यात भाग पंचम युगल के सम्पम्दृष्टि हैं। इन सम्यक्त्वोनतें असंख्यातवें भाग ह्यां ही के मिश्र हैं। इन मिश्रन ते संध्यातवें भाग पंचम युगल के सासादनी है । पंचम युगल के सासादनीन ते छठे भाल के सभ्यष्टि असंख्यात गुने धादि हैं। इन सम्यग्दृष्टिनतें असंख्यातवें भाग मिश्र गुणस्थानी हैं । मिश्रनत संस्थातवें भाग ह्या ही के सासादनी हैं और छठे युगल के सासादनीत असंख्यातवें भाग ज्योतिष देवन के सम्यग्दृष्टि हैं । तिनतें असंख्यात भाग मिश्र गुणस्थानी हैं । मिश्रनत संख्यातवें भाग ज्योतिषीन के सासादनी है। ज्योतिषीन के सासादनीनतें असंख्यातवें व्यन्तरन में साम्यग्दृष्टि हैं । खाके सम्यम्दृष्टिनत ! असंख्यात भाग मित्र है। व्यन्तर मिश्रनसे संझ्यात भाग सासादनी व्यन्तर हैं। आगे सासादनी व्यन्तरनते असंख्यातवें भाग भवनवासीनके सम्यग्दृष्टि है । सम्यक्त्वीनतें असंख्यात भाग मिश्र है । मिश्रन संख्यातवें भाग भवनवासी सासादनी हैं । आगे सासादनी भवनवासोन" असंख्यातवें भाग तिर्यजनके सम्यग्दृष्टि है सम्यग्दृष्टिनते असंख्यात भाग मिश्रगुणस्थानी तिर्यंच हैं। मिश्रत सध्यातर्फे भाग सासादनी तिर्यच हैं और सासाचनी नियंचमतें
असंख्यातवें भाग देश-संयमी तिच है और जेते देश-संयमी तिथंच हैं । तितने ही प्रथम नरक में सम्यग्दृष्टि हैं। गि १०८ | इनते असंख्यासवें भाग मिश्रसम्यक्त्वी हैं। इन मिश्रनत संख्यात भाग प्रथम नरक के नारको सासादनीनत
पसंख्यातवें भाग दुसरे नरक के सम्यम्दष्टि है। इनत असंख्यातवें भाग मिश्रसम्यक्त्वी हैं । इन मिसनत