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तत्राचेतन साधारण्यात् वर्णतुल्यत्वादाकाशवदस्याप्यब्रह्मत्वमेव । धु भ्वाद्यायतनस्तु तुल्यः । अतएवागतार्थता अदृश्यत्वाद्यधिकरणेन न हि तत्र विरुद्धधर्मा पाशंक्य निराक्रियन्ते । अतोऽचेतन तुल्यत्वात् ब्रह्मवादस्यासमाप्तत्वादाग्रहाविष्टत्वात्, प्रष्टुः स्त्रीत्वाच्च "स्मरो वा व आकाशाद् भूयान्" इतिवत् कदाचिदुपपत्त्या स्मरणकाल भूतसूक्ष्म प्रकृति जीव विशेणामन्यतर परिग्रह इति वक्तव्यमुपासनार्थम् । अत्र हि प्रापंचिक सर्व धर्मराहित्य ब्रह्म धर्मत्वं च प्रतीयते । तदुपासनार्थत्व उपपद्यत । ब्रह्म परिग्रहे तु वैयर्थ्यमेव । उपदेष्ट्रत्वाभावात् । तस्मादक्षरमन्यदेव ब्रह्मत्वेनोपास्यम् ।।
उक्त प्रकरण में अचेतन आकाश के ओत प्रोत होने की बात कही गई है जो कि साधारण अचेतनता की ही सूचक हैं, अचेतन वस्तु अचेतन में ही व्याप्त हो सकती है, क्यों कि दोनों में तुल्यता है, ब्रह्म चेतन तत्त्व है इसलिए, अक्षर के रूप में जिसका उल्लेख है वह कोई अचेतन पदार्थ ही है, ब्रह्म नहीं। जैसे कि, द्यभू आदि के आयतन की बात थी वैसे ही यह भी है । अदृश्यत्वादि अधिकरण में जब अक्षर की ब्रह्म स्वरूपता पर विचार किया जा चुका है, फिरसे इस अधिकरण में अक्षर पर विचार किया जा रहा है, इसलिए निश्चय ही यहां विषय भेद है, उस अक्षर की बात यहां लागू नहीं होगी। उस प्राधिकरण में तो विरुद्ध धर्मता की आशंका का निराकरण किया गया है, इस प्रधिकरण में तो वे विरुद्ध धर्म स्पष्ट हैं, इसलिए विषम भेद है। इसमें, एक तो अचेतन की तुलना की बात है, दूसरे ब्रह्मवाद की बात तो अन्तर्यायी ब्राह्मण में ही समाप्त हो गई, तीसरे आग्रह पूर्वक स्त्री द्वारा पूछा जाना अर्थात् स्त्री को ब्रह्म विद्या श्रवण का अधिकार नहीं है । इन तीनों ही बातों से यह प्रकरण ब्रह्म परक नहीं प्रतीत होता। तथा "स्मरो वा व आकाशाद् भूयानि" में जैसे आकाश का भोग्य रूप से वर्णन किया गया है, वैसे ही, "न क्षरति इति प्रक्षरः" इस भाव से, उपासना के लिए, स्मरण काल में अति सूक्ष्म रूप जीव विशेष को ही यहाँ अक्षर नाम वाला, कहा गया प्रतीत होता है। इसमें जो प्रापंचिक धर्मों की हीनता का उल्लेख है, वह ब्रह्मत्व का द्योतक है, पर वह उपासना की दृष्टि से जीव विशेष के लिए ही प्रयोग किया गया गया है, ब्रह्म के लिए उसके विवेचन की आवश्यकता ही क्या है, वह तो प्रसिद्ध ही है, उनके लिए ऐसा वर्णन व्यर्थ ही है। इससे निश्चित होता है कि यहाँ अक्षर नाम से किसी और का ही ब्रह्म की तरह उपास्य रूप से उल्लेख किया गया है।