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उक्त संशय पर कहते हैं कि-नाड़ियों में विश्राम करने पर नाड़ी से ही जागना होता है । जैसे कि गड्ढे में गिरा हुआ उठकर बाहर आता है वैसे ही नाड़ियों से उठकर आता है । योनियों में भोगकर आने के समान तो, हृदयस्थ निद्रा में ही होता है । उस निद्रा में तो आत्मा मे ही जागरण होता है। प्रिया की तरह चिपटकर सोने वाले का जागने पर कैसे आगमन हो सकता है ? परमात्मा से चिपट कर ही गहरी नि होती है । इससे निश्चित हुआ कि-जिस स्थान पर निद्रा में जीव स्थित रहता है वहीं से उठता भी है।
स एव तु कर्मानुस्मृति शब्द विधिभ्यः ॥३॥२६॥
किचिदाशंक्य परिहरति । ननु प्रिययेव प्राज्ञेन.त्मना परिप्वक्तस्य ब्रह्मलोकं गतस्य प्रबोधेन ज्ञाने मुक्त एव भवेन्न तु पुनरागच्छेत । अतो भगवदिच्छया देहनिर्वाहाय तत्स्थाने नियुक्तोऽन्य एव जीवः समायातु। अन्यतः प्रबोधे तु स एव । व्यवहारस्तु तावता सेत्स्यति । मुक्त्यर्थं प्रयत्नस्तु न कर्त्तव्यः ? इत्याशंक्य परिहरति तु शब्दः । अस्नादपि प्रबोधे स एव, कुतः ? कर्मानुस्मृति शब्दविधिभ्यः । चत्वारोहेतवः । लौफिक वैदिक ज्ञानकर्मभेदात् । तत्र लौविके कर्मणि सामिकृत कर्मणः शेष समापनात् । नहि कश्चिदपि सुषुप्त प्रतिबुद्धः समिकृतं न समापयतीति क्वचित् सिद्धम् । तथाऽनुस्मृतिः । नहिपूर्वदृष्टं न स्मरतीति क्वचित । सिद्धम शब्दाश्च-"पुण्यः पुण्येन कर्मणा भवति, पापः पापेन क्वैष तदाऽभूत् कुत एत दागाति ?" इति । तथा सति सम्पयेत्यादयश्च विधयश्च"श्वोभूते ब्रह्माणं वृणीत, श्वोभूते शेषं समाप्नुयात् एक एव यजेत् , द्वादशरात्रीर्दीक्षितः स्यात् "इत्यादि ।" यः कामयेत् वीरो न आजायेत" इत्यादयः। भगवतैव मर्यादा रक्षार्थ तथा करणम् । पूर्वपक्षेषूक्तयो दुर्बलाः । तस्मात् स एव प्रतिबुद्ध यते।
कुछ आशंका करते हुए परिहार करते हैं। प्रश्न ये है कि प्राज्ञ परमात्मा से प्रिया की तरह चिपटे हुए ब्रह्म लोक को प्राप्त जीव को तो प्रबोध होने पर भी मुक्त ही हो जाना चाहिए, उसके पुनः लौटने की बात तो समझ में नहीं आती, वह तो वहाँ से लौट नहीं सकता। हो सकता है, देह निर्वाह के लिए उस स्थान पर नियुक्त कोई और जीव भगवत् प्ररणा से लौटता होगा। कुछ और लोग कहते हैं कि प्रबोध में वही जीव लौटता है। जागा हुआ जीव, सोने के पूर्व व्यवहार को ही करता है, इसलिए वही जीव होना चाहिए, सो तो अन्य जीव से भी वैसा व्यवहार संभव है, भगवान के द्वारा उसे वैसे व्यवहार की प्रेरणा मिल सकती है । निद्रा में ही जब भगवान से साक्षात्कार संभव है तो