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साधनावस्थारूपत्वात् तेषामपि मुक्तिरावश्यकी तथा च फलतो न कश्चिद् विशेष इति प्राप्ते-उच्यते-तद्भूतस्य इत्यादि । तु शब्देन मर्यादा मार्गीयव्यवच्छेदः । अत्र विश्वास दाढ्याय आह-अन्यस्य का वार्ता, कर्ममात्रनिरूपकस्य जैमिनेरपि यदि कदाचित् भगवत्कृपयाऽयं भावो भवेत् तदा तद् भूतस्य पुष्टिमार्गीय भगवद्भावं प्राप्तस्य तस्यापि नातदभाव उक्तभाव तिरोधनं न कदाचिदपीत्यर्थः । अत्र हेतुमाह नियमादीन् । तैत्तरीयके-'तेतेधामाम्युष्मसि' इति मंत्रे “यत्र भूरिशृंगा अयासस्तदुरुगायस्य परमं पदम्" इत्युक्त्वा तदनन्तरं तत्र कृतानि कर्माण्यपि "विष्णोः कर्माणि पश्येत्' इति मंत्रण निरूप्य पुनः पूर्वोक्त लीला स्थानं "तद् विष्णोः परमं पदम्" इतिपदेनानूद्य तस्यनित्यत्वनिरूपणायोच्यते--"सदा पश्यन्ति सूरयः" इति विद्वांसः पुरुषोत्तम ज्ञानवन्त इति यावत् । तच्च भक्त्यवेति सूरिपदेन भक्ता उच्यन्ते । तथा च भक्तानां सार्वदिक दर्शनं नियम्यते, सदेतिपदेन । एवं सति पुष्टिमार्गीय भगवदभावं प्राप्तस्य मुवतावच्यमानायां तन्नियमो भज्येतेत्यर्थः ।
अब विचार करते हैं कि भगवदीय जनों का भी कभी सायुज्य मोक्ष होता है या नहीं ? इस पर पूर्वपक्ष का मत है कि-भक्तिमार्ग भी एक साधना, है अतःउसका पर्यवसान भी मोक्ष ही है, भक्त साधनावस्था वाले होते हैं अतः उनका मोक्ष भी आवश्यक है' मोक्षावस्था में ज्ञानी और भक्त दोनों ही समान हैं। इस पर सूत्रकार कहते हैं—“तद्भूतस्य तु" इत्यादि । सूत्रस्थ तु पद मर्यादा मार्ग का व्यवच्छेदक है। अपनी बात को हड़तापूर्वक कहते हैं कि-अन्य की बात तो छोड़ो, कर्म शास्त्र के निरूपक जैमिनि का भी यदि कभी भगवकृपा से यह भाव हो जाये तो पुष्टि मार्गीय भगवद् भाव को प्राप्त उन जैमिनि का भी, भक्ति भाव तिरोधान रूप सायुज्य मोक्ष नहीं हो सकता। क्योंकि श्रुतियों में स्पष्टतः भक्तों की विशेष प्रकार की मुक्ति का उल्लेख है। तैत्तरीयक में जैसे-'तेतेधामान्युष्मसि" इत्यादि मन्त्र मैं “यत्र भूरि शृंगाअयासः" इत्यादि कहकर "विष्णोः कर्माणि पश्येत्" इत्यादि से उनके कर्मों का उल्लेख “करके तद् विष्णोः कर्माणि पश्येत्" इत्यादि से उनके कर्मों का उल्लेख करके "तद् विष्णोः परंम पदम्" से पुनः पूर्वोक्त लीला स्थान का वर्णन करते हुए "सदा पश्यन्ति सूरयः" पद से भक्तों को नित्यता का निरूपण करते हैं । इसमें सूरि पद पुरुषोत्तम ज्ञानवान भक्त के लिए ही आया है। उक्त प्रसंग में भक्ति का उल्लेख है अतः सूरि पद भवतों के लिए ही आया है।