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ननु कथं अन्यस्यान्यधर्मवत्वेन कथनम् ? नहि निरुपणस्थल एवोपचारः संभवति । तत्राह-प्राज्ञवत्, "तद्यथा प्रियया स्त्रिया संपरिष्वक्त" इत्यत्र "एवमेवायं शारीर आत्मा प्राज्ञेनात्मना संपरिष्वक्त" इत्यभिधाय प्राज्ञस्वरूपमाह । “तद् वा अस्मैतदतिच्छन्दो अपहतपाष्माऽभयंरूपमशोकान्तमत्र पिता' अपिता भवति" इत्यादि । प्राज्ञश्यच सुषुप्ति साक्षी । नहि तस्यापहतपाप्मत्वमस्ति । ब्रह्मलिंगात्, एवमेव शारीरस्यापि जीवस्य ब्रह्म धर्म बोधिकाः श्रुतयः
प्रतिपक्षी कहते हैं कि, अन्य के धर्मों को अन्य के लिए कैसे प्रयोग हो सकता है, निरूपण के स्थल में ऐसा उपचार नहीं हो सकता । इस पर सूत्रकार "प्राज्ञवत" पद प्रस्तुत करते हैं। कहते हैं कि जैसे—'तद्यथा प्रियमा संपरिष्वक्त" इत्यादि श्रति में "एवमेवायं शारीर आत्मा प्राज्ञेनात्मना संपरिष्वक्त' इत्यादि वर्णन में प्राज्ञ का स्वरूप कहा गया गया है तथा. "तद् वा अस्यैतदतिच्छन्दो" इत्यादि में प्राज्ञ को सुषुप्ति का साक्षी कहा गया है, उसमें अपहत प्राप्मत्व की कमी बतलाई गई है जो कि ब्रह्म का विशेष गुण है। इसी प्रकार शारीर जीव की भी, ब्रह्म धर्मवोधिका श्रुतियाँ हैं ।
___ इहमत्र वक्तव्यम्, सर्वोपनिषत्सु ब्रह्मज्ञानं परंपुरुषार्थ साधनमिति तन्निर्णयार्थं भगवान् व्यासः सूत्राणि चकार । तत्र ब्रह्मसूत्र विचारं प्रतिज्ञाय जगत्कर्तृत्वाद्य' । साधारणलक्षणं ब्रह्मणः प्रतिज्ञाय समन्वय निरूपणे जीववाक्यानि दूरीकृत्य अविरोधे ऐक्यऽप्यहिताकरणादि दोषमाशंक्यं, अधिकंतु भेदनिर्देशादिति परिहृत्य, जीवस्याणुत्वमुपचाराद् ब्रह्मत्वमंशत्वं पराधीनकर्तृत्वादिकं प्रतिपाद्य तस्यैव दक्षिण मार्गेण पुनरावृत्तिमुक्तवा ससाधनेन ब्रह्मज्ञानेन अचिरादि द्वारा ब्रह्म प्राप्तिभुक्तवा, न स पुनरावर्तत इत्यनावृत्ति वदन् शास्त्रपर्यवसानेन सर्वान् वेदान्ता- . नव्याकुलतया योजितवान् ।
कथन यह है कि समस्त उपनिषदों में परंपुरुषार्थ साधन ब्रह्मज्ञान ही है, उसी का निर्णय करने के लिए भगवान् व्यास देव ने सूत्रों की रचना की है उन्होंने ब्रह्मविचार से ही सूत्रों का प्रारम्भ करते हुए, ब्रह्म के जगतकत्त त्व आदि साधारण लक्षणों का विवेचन करके, वेदांत वाक्यों का समन्वय ब्रह्म में करके, जीव सम्बन्धी वाक्यों को उससे अलग किया। अविरोधाध्याय में जीव और ब्रह्म की एकता होते हुए भी, ब्रह्म के सम्बन्ध में अहितकारण निर्दयता आदि दोषों की आशंका करते हुए “अधिकं तुभेद निर्देशात्" सूत्र से उसका