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जायका एक
और
( १२२ ) गिराना, ----पूर्ण (वि.) आसुओं से भरा हुआ, आकुल को घुमाने का स्थान,-चिकित्सकः,--वैद्यः शालिहोत्री, आँसुओं से भरा हुआ तथा व्याकुल--रघु० २।१, पशुओं का डाक्टर,--चिकित्सा घोड़े की चिकित्सा,
-मुख (वि०) आँसुओं से युक्त, अचानक आँसू गिराने पशुचिकित्साविज्ञान,-जघनः नराश्व (जिसका शरीर वाला, लोचन,-नेत्र (वि.) आँसुओं से भरी हुई | घोड़े का, तथा गर्दन मनुष्य की होती है),-दूतः घुड़
आँखों वाला, जिसकी आँखें आंसुओं से भरी हुई हों। सवार दूत, नायः घोड़ों को चराने वाला, घोड़ों का अश्रुत (वि०) [न० त०] 1. न सुना हुआ, जो सुनाई न समूह,निबन्धिकः घोड़ों का साइस, घोड़ों को बांधने दे 2. मूर्ख, अशिक्षित ।।
वाला,-पः साइस,-पाल:-पालकः,-रक्षः घोड़ों अश्रौत (वि.) [न० त०] अवैदिक, जो वेदों के द्वारा का साइस,-बंधः साइस,-भा बिजली,-महिषिका अनुमोदित न हो।
भैसे और घोड़े के बीच रहने वाली स्वाभाविक शत्रुता, अश्रयस् (वि०) [न० त०] 1. अपेक्षाकृत जो उत्कृष्ट न -मख (वि.) जिसका मंह घोड़े जैसा है (-खः) हो, घटिया (नपुं० ---स्) बुराई, दुःख ।
घोड़े के मुंह वाला पश. किन्नर, देवदूत (-खी) अश्लील (वि.) [न श्रियं लाति-ला-+-क] 1. भद्दा.
किन्नर स्त्री,-भिन्दन्ति मन्दां गतिमश्वमुख्य:-कु० ११११, कुरूप 2. ग्राम्य गन्दा, अक्खड़,--अश्लीलप्रायान् कल
--मेधः एक यज्ञ जिसमें घोडे की बलि चढ़ाई जाती कलान्--दश० ४९, परिवाद-याज्ञ० १३३. 3. अप
है—यथाश्वमेधः ऋतुराट् सर्वपापापनोदन:--- मनु० भाषित,-लम् 1. देहाती या गंवारू भाषा, गाली 2.
१११२६१.---मेधिक, मेघीय (वि०) अश्वमेध के (सा० शा० में) रचना का एक दोष जिसमें ऐसे शब्द
उपयुक्त या अश्वमेध से संबंध रखने वाला (-का-यः) प्रयुक्त किये जायें जिनसे श्रोता के मन में शर्म, जुगुप्सा
अश्वमेघ के उपयुक्त घोड़ा,--युज् (वि०) जिसमें और अमंगल की भावना पैदा हो-उदा० साधनं सुमह
घोड़े जुते हुए हों (जैसे कि घोडागाड़ी), (स्त्री०) 1. द्यस्य, मुग्धा कुडमलिताननेन दघती वायं स्थिता तत्र एक नक्षत्रपुञ्ज,अश्विनी नक्षत्र 2. मेष राशि 3. आश्विसा, तथा-मदुपवनविभिन्नो मत्प्रियाया विनाशात-में नमास,-रक्षः अश्वारोही या घोड़े का रखवाला, साधन, वायु और विनाश शब्द अश्लील है और क्रमशः
साइस, रथः घोडागाड़ी (-था) गंधमादन पर्वत शर्म, जगप्सा और अमंगल की भावना पैदा करते हैं
के निकट बहने वाली एक नदी,---रत्नम्,- राजः 'साधन' शब्द तो लिंग (पुरुष की जननेन्द्रिय), 'वाय'
बढ़िया घोडा, या घोड़ों का स्वामी--अर्थात् उच्च: शब्द अपान (गुदा से निकलने वाली दुर्गधयुत वायु) श्रवाः,- लाला एक प्रकार का साँप,---वक्त्र-अश्वतथा 'विनाश मृत्यु को प्रकट करता है।
मुख, दे० किन्नर और गंधर्व,- बडवम् साँड घोड़ों की अश्लेषा [ न श्लिष्यति यत्रोत्पन्नेन शिशना, शिलष्+घञ
जोड़ी,-बहः अश्वारोही,-वारः,—वारकः अश्वारोही, तारा०] 1. नवाँ नक्षत्र जिसमें पाँच तारे होते हैं 2.
साइस,-वाहः, --वाहक: घुड़सवार, -विद् (वि०) अनैक्य, वियोग । सम.--जः,-भवः,--भूः केतुग्रह
1. घोड़ों को सचाने में कुशल 2. घोड़ों का दलाल अर्थात् उतार का शिरोबिन्दु।
(पुं०) 1. पेशेवर घुड़सवार 2. नल का विशेषण, अश्वः [ अंश्+क्वन् ] 1. घोड़ा 2. सात की संख्या का प्रकट
-वृषः बीजाश्व, सांडघोड़ा,--वैद्यः घोड़ों का चिकिकरने वाला प्रतीक 3. (घोड़े जैसा बल रखने वाले)
त्सक,- शाला अस्तबल,—शावः बछेरा, बछेरी, मनुष्यों की दौड़, काष्ठतुल्यवपुर्धष्टो मिथ्याचारश्च
--शास्त्रम् शालिहोत्र, पशु चिकित्सा-विज्ञान की पाठ्यनिर्भयः, द्वादशांगुलमेदश्च दरिद्रस्तु हयो मतः । -श्वौ
पुस्तक,-- शृगालिका घोड़े और गीदड़ की स्वाभाविक (द्वि० व०) घोड़ा और घोड़ी। सम०-अजनी हंटर,
शत्रुता,-सादः, --सादिन् (पुं०) घुड़सवार, अश्वारोही -अधिक (वि.) जो अश्वारोहियों में प्रबल हो.
अश्वसनिक रघु० ७१४७, सारथ्यम् कोचवानी, जिसके पास घोडे अधिक हों,-अध्यक्षः अश्वारोहियों
सारथिपना, घोड़ों और रथों का प्रबंध--सूतानामश्वका सेनापति,--अनीकम् अश्वारोहियों की सेना,-अरिः
सारथ्यम् -- मनु० १०॥४७,- --स्थान (वि०) अस्तबल भैसा,----आयुर्वेदः अश्वचिकित्सा-विज्ञान--आरोह
में उत्पन्न (नम्) घुडसाल, तबेला,-'हारक: (वि०) घोड़े पर चढ़ा हुआ (-हः) 1. घुड़सवार,
घुड़चोर, घोड़ों को चुराने वाला,- हृदयम् 1. घोड़े की अश्वारोही 2. घुडसवारी,-उरस् (वि०) घोड़े की
इच्छा 2. अश्वारोहिता। भांति चौड़ी छाती वाला,-कर्णः,---कर्णक: 1. एक
अश्वक (वि.) [ अश्व-कन् ] घोड़े जैसा-क: 1. छोटा वृक्ष 2. घोड़े का कान,-कुटी घुड़शाल,-कुशल,
घोड़ा, 2. भाड़े का टट्टू 3. सामान्य घोड़ा। -कोविद (वि०) घोड़ों को संघाने में चतुर,-खरजः | अश्वकिनी [ अश्वस्य के मुखं तत्सदृशाकारोऽस्त्यस्य इनि खच्चर,-खुरः घोड़े का सुम,--गोष्ठम् घुड़साल, अस्त- डीप -तारा०] अश्विनी नक्षत्र । बल,घासः घोड़े की चरागाह,-चलनशाला घोड़ों । अश्वतरः (स्त्री०-री) [ अश्व+ष्टरच् ] खच्चर ।
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