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*प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित answerrantiesometriu mmmonwerstotreeMeimerome
मथ:-प्राकृत भाष में श्राकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों में तृतीया-विमति के एक बस में पंचमी विभक्ति के एक वरन में; षष्ठी विक्ति के एक वचन में और सामो विमति एक वचन में संस्कृतीय मामय प्रत्यय 'टा-स-सस और जि' के स्थान पर सूत्र-संख्या ३.२४ से ओमिक चार अादेशमान प्रत्यय "म-आई और ए" प्रात होते हैं। इनमें से "आ" प्रत्यय की प्राप्ति नहीं होती है। किन्तु खान प्रत्थयों की ही प्राप्ति होती हैं जो कि इस प्रकार हैं:-"अ- और ए सारांश यह है कि भाकारान्त स्त्रीलिंग में 'या' प्रत्यय नहीं होता है जैसे:-कामिक सदाहरणा-तृतीया विभक्ति के पक बचन में:मालया कृनमः मालालमालाइ और मालाए कर्य; पंचमी विभक्ति के एक वचन में:-मालायाः भागत:मालाश्र, मालाइ और मालाए आगो । वैकल्पिक पक्ष होने से मालतो, मालाश्रो, मालाउ और मालाहिती श्रागओ भी होते हैं।
षष्ठी भक्ति के एक बचन में:-मालाया सुख:-मालाभ, मालाइ और मालाए सुई। सप्तमी विभक्ति के एक वचन में:-मालायाम् स्थितम्-मानाथ, मालाइ, मालाए ठिअं । इस प्रकार से सभी पाका. रान्त स्त्रीलिंग रूपों में 'अ-इ-प' प्रत्ययो की ही प्राप्ति जानना और 'या' प्रत्यय का निषेध समझना।
मालया-मालायाः-मालाया:-मालायाम संस्कृत कमिक तृतीयान्त-पञ्चम्यन्त-षष्ठयम्त और सप्तम्यन्त एक वचन रूप हैं। इन सभी के स्थान पर प्राकृत में एक रूपता वाले ये तीन रूप-'मालामा मालाइ-और मालाए' होते हैं । इनमें सूत्र संख्या ३-२६ से संस्कृतीय क्रमिक-प्रत्यय 'टा-सि-मस्क स्थान पर श्रादेश रूप 'अ श्रा-इ-और ए' प्रत्वयों को क्रमिक प्राप्ति और ३-३० से 'मा' प्रत्यय की निषेध अवस्था प्राप्त होकर क्रमिक तीनों रूप 'मालाअ माला और मालाए' उपरोक्त सभी विभक्तियों के एक वचन में सिद्ध हो जाते हैं।
'क' रूप की सिद्धि सूत्र-संख्या १-16 में की गई है। 'सुह' रूप की मिद्धि सूत्र-संख्या -78 में की गई है। 'आगओ' रूप की सिदि सूत्र-संख्या १-२०१ में की गई है। 'टिभ' रूप की सिद्धि सूत्र-संख्या १5 में की गई है। 'चा' (अव्यय) रूप की सिद्धि सूत्र-संख्या १.१७ में की गई है ।।३-३०।।
प्रत्यये डीन वा ॥३-३१॥ श्रणादि सूत्रेण-(हे. २-४) प्रत्यय निमित्तो यो ङीरुक्तः स स्त्रियां वर्तमानाभाम्नीः षा भवति ॥ साहणी | कुरुचरी । पचे । आत्- (हे०२-४) इत्याप् । साहया ॥ कश्चरा॥