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प्राकृत व्याकरण meeroesroornawkterrrrrrrrorkerworketoorrearesosexdooroseromosoorn अर्थ में कमशः प्राप्तांग 'होरसा, होहा और होहि' में तृतीय पुरुष के बहुवचन के अर्थ में क्रमशः 'मो, मु और म' प्रत्ययों की प्राप्ति होकर होस्सामी. होहामो, हास्सामु. होहामु, होहम, होस्साम, होहाम और होहिम रूप सिद्ध हो जाता है।
हासंध्यामः और हासतास्मः संस्कृन के कमशः भविष्यन-काल वाचक लट् लकार और लुटलकार के तृतीय पुरुष के बहुवचन के रूप हैं। इनके प्राक्त-रूप (समान रूप से हतिम्लामो और हसिहिमो होते हैं । इनमें सूत्र संख्या ३-३५७ से मूल प्राकृत-धातु 'हम' में स्थित अन्त्य 'अ' के स्थान पर भागे भविष्यत-काल-वाचक प्रत्यय 'स्सा' और 'हि' का समाव होने के कारण से 'इ' को प्राप्ति; ३-१६७ और ३.१६६ से भविष्यन-काल के अर्थ में प्राप्तांग 'हमि' में क्रमशः 'स्मा' और 'हि' प्रत्यय की प्राप्ति और ३. १४४ से भविष्यात काल के अर्थ में क्रमश: प्राप्तांग हसिम्ता' और 'हमिहि' में तृतीय पुरुष के बहुवचन के मर्थ में 'मो' प्रत्यय की प्राप्ति होफर हसिस्सामी' और 'हामहिमों' रूप सिद्ध हो जाते हैं । ३-१६७।।
- मो-मु-मानां हिस्सा हित्था ॥३-१६॥
धातोः परी भविष्यनि काले मो म मानां स्थाने हिस्सा हित्था इत्येतो का प्रयोक्तव्यों । होहिस्सा । होहित्था । इसिहिस्सा । हसिहित्था । पक्षे । होहिमो होस्सामो। होहामो । इत्यादि।
___ अर्थ:- भविष्यत्त-काल के अर्थ में धातुओं में तृतीय पुरुष के बहुवचन-मोधक प्रत्यय 'मो-मु-म' परे गहने पर नया भविष्यत काल-योतक प्रत्यय हि अथवा सा अथवा हा' होने पर कभी कभी वैकल्पिक रूप से ऐमा हाता है कि उक्त भविष्यत-काल-द्योतक मन्यय हिला-हा' के स्थान पर और वक्त पुरुष. बोधक स्यय 'मां-मु-म' के स्थान पर अर्थात दोनों ही प्रकार के प्रत्थयों के स्थान पर चातुओं में हिस्सा अथवा हिस्था' प्रत्ययों को आदेश प्राप्ति होकर भविष्यत-काल के अर्थ मे तृतीय पुरुष के बहुवचन का अर्थ अभिव्यक्त हो जाता है। यों धातुओं में रहे. हम हि-मा-हा' प्रत्ययों का भी लोप हो जाता है और 'मी मु-म' प्रत्ययों का भी लोप हो जाता है; तथा दोनों प्रकार के इन तुम प्रत्ययों के स्थान पर हिस्सा अथवा हिस्या' प्रत्ययों को आदेश-प्राप्ति होकर तृतीय पुरुष के बहुवचन के अर्थ में भविष्यत-काल का रूप तैयार हो जाता है । जैसे:-भविष्यामः अथवा भवितास्मः = हाहिरमा और होहित्था हम होंगे; चूंकि यह विधान वैकल्पिक-स्थिति वाला है अतपत्र पक्षान्तर में 'होहिमो, होरसामो और होहामो' इत्यादि रूपों का मा निर्माण हो सकेगा । दूसरा उदाहरण इम प्रकार है:-- इसिष्यामः अथवा हसिताम:= इसिहिस्सा और हमिहिन्या; हम हँसेंगे; पक्षान्तर में हमिहिमो, हसिस्सामी प्रादि रूपों का भी सद्भाव होगा । इस प्रकार से वैकल्पिक स्थिति का समाव भविष्यत-काल के अर्थ में तृतीय पुरुष के बहुवचन के सम्बन्ध में जानना चाहिये।