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[ ३८८ ] • * प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित * morermentotrarterrowrotremesternmentertwroteoroore.........
विश्रमे णिव्या ॥४-१५६॥ विश्राम्यते शिव्या इत्यादेशो वा भवति ॥ णिवाइ । वीसमइ ।।
अर्थ:-'विश्राम करना, थकने पर आराम करना' अर्थक मंस्कृत धातु वि + श्रम -विश्राम्य के स्थान पर प्राकृत भाषा में विकल्प से 'णिया' (धातु) रूप को प्रादेश प्राप्ति होती है । वैकल्पिक पक्षहोने से 'बीसम' भी होता है। जैसे:-विश्राम्यात = णिवाइ अथवा वीसमद वह विश्राम करता है।। १-६५६ ।।
आक्रमेरोहा वोत्थार च्छुन्दाः ॥४-१६० ॥ भाभतेरत त्रय श्रादेशा वा भवन्ति ।। ओहावइ । उत्थारइ । छुन्दइ · अकमह ।।
अर्थ:--'आक्रमण करना, हमला करना अर्थक संस्कृत धातु 'श्रा + क्रम' के स्थान पर प्राकृत भाग विकम्प से तीन (धातु रूपों की आदेश प्राप्ति होती है। जो क्रम से इस प्रकार हैं:-१) मोबाव, (२) उत्थार, और (३) छन्द । वैकल्पिक पक्ष होने से 'कम' भो होता है। उदाहरण क्रम से इस प्रकार हैं:- आकमते - (१) ओहाषद, (२) उत्थारइ, (७) चुनड़ पक्षान्तर में अक्कमह= वह आमण करता है वह हमला करता हे ॥ ४-१६० ।। भ्रमेष्टिरिटिल्ल-दुल्ल-ढंढल्ल-चक्कम्म-भम्मड-भमड-भमाड-तलअंट-झट झम्प-भुम-गुम-फुम-फुस-दुम-दुस-परी-पराः ।।४-१६१॥
भ्रमेरेतेष्टादशादेशा वा भवन्ति ।। टिरिटिन्नइ ! दुन्दुल्लइ । दंडन्लइ । चकम्मइ । मम्मडइ । भमडइ । भमाउइ । तलअंटइ । झंटइ । मंगइ । शुमइ । गुमाइ । फुमइ । फुसः । दुमइ । दुसइ । परीइ । परइ । भमइ ॥
अर्थ-'घूमना, फिरना' अर्थक संस्कृत धातु 'भ्रम' के स्थान पर प्राकृत-भाषा में विकल्प से अठारह (धातु) रूपों की आदेश प्राप्ति होती है। जो कि कम से इस प्रकार है :- (१) टिरिटि ले. (२) दुन्दुल्ल, (३) ढंढरल, (४) चकम्म, (५) भम्मड, (६) भमड, (७) मभाउ (6) तलअंट, (E) अंत (१०) झप, (११) भुम, (१२) गुम, (१३) फुम, (१४) फुल, (१५) ढुम, (१६) दुस, (१७) परी और (१८) पर । वैकल्पिक पक्ष होने से 'भम' भी होता है। उदाहरण क्रम से इस प्रकार है:- माति = (१)दिरीिटिल्लइ, (२) छैदल्लइ, (३) इंदल्लइ, (४)चम्मइ, (५) भामडइ, 15) भमडइ, (७) भमाडइ, (4) तल अंटइ, (९) झटइ, (१०) झण्ड, (११) भुमद, (१२) गुमा, (१३) फुमइ, (१४) फुसइ, [१५] दुमड़, [१६] दुसह [१७] परी, [१८] परद, पक्षान्तर में भमइवह घूमती है, वह फिरता है। ॥४-१६१॥