Book Title: Prakrit Vyakaranam Part 2
Author(s): Hemchandracharya, Ratanlal Sanghvi
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
छोज विधि. (भयतु) वह होवे, ३-१५९ १६५, । मइत्तो, ममत्ती, महत्तो, मज्झत्तो, सर्व. (मत) १७७, १७९।
मुझसे, ३-१११ । होज्जा विधि (भवतु) वह होवे,३.१५६,१७८.१७९ ।। ममतो. ममाहितो, ममासुन्तो, मसुत्तो, सर्व'. हुम्ज विधि (भव. भवतात्) तू हो, ३.१८॥
(अस्मत्) हमारे से, ३-११२। होजइ वर्त. (भवति) बह होता है, ३.१६५ ।
मइ, मम, सह, मई, मझ, म , सर्व (ममा मेरा, होस,हो हिमि, होरसामि, होहामि भाव (भवि -
ज्यामि) मैं होऊंगा, ३-१६६, १६७ १६९। । मझ, मज्माण, मझाणं, ममाण, ममारणं, होज्जस्सामि, होज्जासं, होज हामि, भवि (भवि- महाण महाशं सर्व(अस्माकम् ) हमारा, हमारे, व्यामि) मैं होकगा, ३-१७८ ।
हमारी, ३-११४ । हुवीन भूत. (अमवत) वह हुआ ३-१३।
मि, मइ, ममाइ, मए, मे, स. मयि। मुझ पर, होइनइ माय, कर्म. (मूयते) उससे हुया जाता हैं,
३-११५ । (मइ, ३-१३५॥
ममम्मि, महम्मि, मज्झम्मि, सर्व (मयि) मुझ पर, होइनइ भाव, कर्म. (भूयते) उससे हुआ जाता है,
ममेसु, महेसु, मन्मेष, ममसु, महसु, मासु एवं भावेइ प्रेर. (भावयति) वह चिंतन कराता है (अस्मासु) हमारे पर, हम पर, हमारे में, ३.११७ ।
३-१४९ । मर-मार सक. (मारपति) वह मारताहे. ५-१५३ । होन्तो हेतु. (अभविष्यत्) होता हुआ, होता, मरं अक. क्रि. (निये) मैं मरता हूँ. ३-१४६ ।
३-१८० । । मलिभाई वि. (मुदितानि । मसले हुए, ३-१३५ । होमाणो हेतु. (अभविष्यत् । होता हुआ, होता, महिला स्त्री. (महिला) स्त्री, नारी, ३-८६,८७ । पहुप्पिर अक. (प्रभवतः) दो प्रभावशील होते हैं, महिले स्त्री . हे महिलै ! ) हे नारि 1 ३-४१।
३-१४२। । महिलायो स्त्री, महिलाः) मारी गण, ३.८६ । भूमिसु स्त्री. (भूमिपु) पण्वियों में, ३-१६। | मही स्त्री. (मही) पृथ्वी, भूमि, एक नदी, छन्द विशेष, मे सवं. (यूयम, युष्मान, पया, युष्माभिः, युष्माकम् तुम,
३-८५ । तुमको, तुझसे, तुम्हारा, ३-९१.९३ ९४,९५, | महु न. मधु) शहद, :-२५ ।
१००,१०६ । | हे महु ! न. ( हे मधु ! ) हे शहद, ३-३७ । भेच्छ, भषि (भेत्स्यामि) मैं भेद दूंगा, :-१७१।।
(रूपावलि)-३-१६,१९,२०,२.,२२,२३,२५, भमाइ, भमाडेइ, भमावइ, भमाइ, भामेह, प्रेर.
२५.२६,१२४,१२८ । (धामयति) वह घुमाता है, ३-१५१ । | माश्रा स्त्री. : मातृ = माता. जननी, माना, ३-४६ ।
माइगणो पु. (मातृ-गणः) माताओं का समूह; २-४६ । [म]
माइ-देवो पुमातृ-देव, माता रुप ईश्वर.३.४६/
माइण स्त्री. (मातृणाम्) माताओं का, की, के, ३.४६ । म्मि सर्व. (अहम्) मैं; ३-१०५।
माउच्छा स्त्री., मातृष्वसा) माता की बहन,मोसी,३-४१ । मो सर्प. (वयम् । हम; ३-१०६ ।
माऊए स्त्री. (मात्रे माता के लिये, ३-४६।। मं, ममं, मि, झिम, मम्ह, सवं, (माम्) मुझको | मामि अ. (सखी-आम-प्रण-अर्थक) सहेली को बसाने के
अर्थ में प्रयुक्त किया जाने वाला अम्मय विशेष. मि, मे, ममं, ममाप, ममाइ. मइ मयाइ, सर्व,
३-१.५। (मया) मुझसे, ३-१०९। मारुश्र-तणी पु. (मारुत-तनयः) मारत का पुत्र हनुमान मए, सर्व (मया) मुझसे; ३-१०९,१६० ।
३-८७।
......... ... ....... ... ...

Page Navigation
1 ... 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678