Book Title: Prakrit Vyakaranam Part 2
Author(s): Hemchandracharya, Ratanlal Sanghvi
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 645
________________ [ ३६ ! णोइ सक, (गच्छति) वह जाता है १६२ ।। " तीए सर्व. .तस्याः ) उससे, ३२१, ३२३ । गीण सक. (गच्छति) वह जाता है, १६२। "ता सर्व. ( तस्य ) उसका, २६०। णीरवइ सक (बुझक्षनि साने को चाहता है, ५।। " तर सर्व. (स्य ) उमका, णीरवा सक आक्षिपति) वह आक्षेप करता है, " त पवं. (तस्य (तम उसका, उसके लिये, ३३८, ३४३, ३७५, ३८९, ३९६, ३९७, ४१२, णीलुक्कइ सक. (गच्छति। बह जाता है, १६२ । ४२८ । णीलुम्छइ सक. (आच्छोइयति) आच्छोटन करता है, ७१ " तालु सर्च. (तस्य उमका, ३५८, ४०१ णोलुन्छसक, (निष्पतति) वह पतन करता है. ७१। " तहो सर्व (तस्य) उसका, ३५६. ४२६ । णासर अक. (रमते वह क्रीडा करता हैं, १६८ । " ताए सर्व. (तस्याः ) उसके, ३२२ । गीहम्मद सक (गच्छति) बह जाता है. १६२ । " हे सर्व. तस्याः उसका, ३५०, ३५४ ३५९.३८२, णीहरड़ अक. (नि:सरति) वह बाहिर निकलता है, " तहिं सर्व, (तस्मिन् । उममें, ३५७, ३८६, ४१९ । गणीहाद अक. (आक्रन्दति) वह आनन्दन करता है, । "ते सबं ( ते वे, ३५३, ३७१, ३७६, ४०६ ४०९, ४१२, ४१४॥ णुभइ सक. (छादयति) वह ढांकता है, " ति सवं. ते ) वे. ३३०, ३४४, ३६३ । रामह सक. (न्यस्यति वह स्थापित करता है, " ते सर्व ते ) के २३६, ३८७। गुमज्जइ अक. निमज्जति) वह डूबता है. १२३ । " तेहिं सर्व. ( तै:), उन से, गुल्लइ सक, (क्षिपति) फेंकता है प्रेरणा करता है, " तहिं सर्व. ( तैः ) उन से, ४२२। गुरुवइ सक. (प्रकाशमति) प्रकाशित करता है, ४५ ताई सर्व. (तयोः) उन दोनों के ३५०,३६७,४०९ । गुमइ सक (छादयति) ढांकता है, छिपाता हैं, २१। "ता, सर्व. (तेषाम् ) उनका, ३०० । रणदं सर्व. नु+इम्) यह, २७६। " तई सर्व. (तेषाम् ) उनका, ४२२। गोल्लइ सक. (क्षिति) फेंकता है, प्रेरणा करता है, तह, त सौ. (ल्वया) तुझसे, ३७०, ४२२। १४३ । नइजो वि. तृतीया तीसरी. एडाह अक. (स्माति) वह स्नान करता है तइत्ता सर्व. (त्वत्) तुझमे, रहाणु न. (स्नानम्) नहाना हनान, ३९९, ४१९ । वि. (तादृशः) उसके समान, ४०३. तलने न. (दर्शने) देखने पर, तकर सक, (तर्कगति) तर्क करना. अटकल लगाना, २९ । [त] | तक्ख सक. (तक्ष्णोति) वह छोसता है. तीखा करता __ "त सर्व. (तत् तम् ) वह उसको; ३२६, ३४३, ४२६, ३२०, ३५०, ३५६, ३६०, तच्छद क (तक्ष्णोति) यह छीलता है, तीखा करता ३६५, ३७१, ३८८. ३९५, ४१४, ४१८, ४१९, ४२०, ४२२, ४२९ तटाकं न. (तडागम्) तालाब, ३२५। ४४६ । ! तडह सक, (सनोति) वह विस्तार करता है, १३७ । " तेण सर्व, (तेन) उससे; ३६५ ।। तत्ति न. (तट् + इति) " तलाक " ऐसा करके, " तें सर्व. (तेन) उस से, उनको, ३३९, ३५३, ३७९, ३५२, ३५७ । ४१४,४१७ । | तड़फड़द अक. (स्वन्दते) तड़पना, व्याकुल होना, ३६। " तया सर्व. (तया) उससे, अध्यय, (सदा) तब, २८३ । तडि पु. न. (तटे) किनारे पर, तीर पर, ४२२ । "ताए सर्व. (तया) उससे, ३७.। | तहह सफ. (तनति) वह विस्तार करता है, १२७ ।

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